दोषी अधिकारियों की सजा ने डाला उनके परिवार के त्यौहारों में रंग में भंग
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 30 अक्तूबर: भाजपा विधायक विपुल गोयल द्वारा अदालत में डाले गए अवमानना के मामले में पांच सरकारी अधिकारियों को हुई सजा ने सरकार की अच्छी खासी किरकिरी करवा दी है। वो बात अलग है कि जिस समय विपुल गोयल ने अदालत में यह केस दायर किया था, उस समय प्रदेश में कांगे्रस की सरकार थी और वह विधायक नहीं थे।
विपुल गोयल बनाम एमसीएफ मामले में अदालत ने करवा चौथ के दिन पांच सरकारी अधिकारियों को सजा क्या सुनाई, शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। कोई चटकारे लेकर जहां इसका मजा ले रहा है तो वहीं करवा चौथ के दिन हुई इस सजा ने दोषी अधिकारियों के त्यौहार का मजा ही किरकिरा कर दिया है। इस सजा के मामले को लेकर नगर निगम की भी अच्छी खासी किरकिरी हो रही है।
गौरतलब रहे कि अदालत की अवमानना के एक मामले में आज सिविल जज (सीनियर डिविजन) महेश कुमार की अदालत ने हरियाणा सरकार की एक एचसीएस महिला अधिकारी सुनीता वर्मा सहित एक अन्य एचसीएस अधिकारी धमेंद्र, नगर निगम फरीदाबाद के दो एसडीओ ओपी मोर व अशोक रावत तथा एक जेई सुरेंद्र हुड्डा को तीन-तीन महीने की सजा सुनाई है। जबकि नगर निगम के एक्सईएन रमेश बंसल को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया।
विपुल गोयल बनाम एमसीएफ शीर्षक के तहत अदालत की अवमानना के इस मामले में विपुल गोयल निवासी सैक्टर-17, पल्लवी गोयल निवासी सैक्टर-15, अनुराधा जख्मी पत्नी कमल जख्मी निवासी सैक्टर-17, कमलजीत निवासी सैक्टर-17, सुरेश कुमार निवासी सैक्टर-21बी तथा हरदीप सिंह निवासी सैक्टर-29 याचिकाकर्ता थे,जबकि नगर निगम फरीदाबाद द्वारा कमिश्नर, डिस्ट्रिक टाऊन प्लानर (इंर्फोसमेंट), रमेश बंसल एक्सईएन नगर निगम फरीदाबाद, अशोक रावत एसडीओ, ओपी मोर एसडीओ, नगर निगम के जेई सुरेंद्र हुड्डा सहित एचसीएस महिला अधिकारी एवं नगर निगम की तत्कालीन ज्वाईंट कमिश्रर एनआईटी सुनीता वर्मा तथा तत्कालीन एसडीएम फरीदाबाद धर्मेन्द्र को इन याचिकाकर्ताओं ने पार्टी बनाकर जून, 2014 में यह केस दायर किया था।
मामले की जानकारी देते हुए क्रिमनल लॉयर एडवोकेट दीपक गेरा ने बताया कि उनकी पार्टी के सूरजकुंड रोड़ पर अनखीर क्षेत्र में फार्म हाऊस हैं जिनकी चारदिवारी तोडऩे के लिए नगर निगम फरीदाबाद ने उन्हें आठ जनवरी, 2014 तथा 13 जनवरी, 2014 को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। इन नोटिसों को लेकर याचिकाकर्ताओं ने स्थानीय अदालत में स्टे के लिए केस दायर कर दिया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सिविल जज (सीनियर डिविजन) ए.एस.चालिया की अदालत ने एक जनवरी, 2014 को दीवार ना तोडऩे का स्टे जारी कर दिया। जिसकी जानकारी नगर निगम अधिकारियों को भी थी।
बावजूद इस सबके नगर निगम के अधिकारियों ने अदालत का स्टे दिखाने के बाद भी भारी पुलिस बल के साये में गत् 26 मई, 2014 को उनके सभी फॉर्म हाऊसों पर जबरन तोडफ़ोड़ कर उनको क्षतिग्रस्त कर दिया। मौके पर मौजूद अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी। इस पर नगर निगम की तोडफ़ोड़ का शिकार हुए इन याचिकाकर्ताओं ने उपरोक्त संबंधित अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए जून 2014 में सिविल कोर्ट में अदालत की अवमानना का केस दायर कर दिया। करीब डेढ़ साल तक चले इस केस में अब दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सिविल जज (सीनियर डिविजन) महेश कुमार ने आरोपियों में से नगर निगम के एक्सईएन रमेश बंसल को तो सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
बकौल दीपक गेरा, रमेश बंसल ने अदालत में अपना पक्ष देते हुए कहा था कि जिस समय याचिकाकर्ताओं के फार्म हाऊसों पर तोडफ़ोड़ हुई थी, उस समय वो शहर में ही नहीं थे जिसके सबूत उन्होंने अदालत में पेश किए थे। जबकि नगर निगम की तत्कालीन ज्वाईंट कमिश्रर (एनआईटी) सुनीता वर्मा, तत्कालीन एसडीएम फरीदाबाद धर्मेन्द्र सिंह, नगर निगम के दो एसडीओ ओपी मोर, अशोक रावत तथा जेई सुरेन्द्र हुड्डा को इस मामले में अदालत की अवमानना का दोषी करार देते हुए आज शुक्रवार को इन सभी पांचों अधिकारियों को तीन-तीन महीने की सजा सुना दी गई।
एडवोकेट दीपक गेरा ने बताया कि मजेदार बात यह है कि नगर निगम के एसडीओ अशोक रावत तथा जेई सुरेन्द्र हुड्डा ने उक्त कोर्ट में यह शपथ पत्र भी दे दिया था कि उन्होंने यानि नगर निगम ने उक्त क्षेत्र में कोई तोडफ़ोड़ नहीं की, जोकि अदालत में झूठा साबित हुआ। जो भी अदालत के इस फैसले ने नगर निगम अधिकारियों द्वारा की जाने वाले कार्रवाईयों पर प्रश्रचिंह लगा दिया है।
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