नवीन गुप्ता
चंडीगढ़/सोनीपत, 24 फरवरी: आरक्षण की मांग के चलते जाट आंदोलन की आड़ में जिस तरह से उपद्रवियों ने महिलाओं से सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया है, उसने पूरी दुनिया और देश में हरियाणा को शर्मसार कर दिया है।पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वयं ही संज्ञान लेते हुए सरकार से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है।
जाट आंदोलन की आग हरियाणा में अभी पूरी तरह से बुझी भी नहीं है कि इस आंदोलन की आड़ में उपद्रवियों द्वारा किया गया एक और कुकृत्य सामने आया है। जानकारी के मुताबिक हरियाणा में सोनीपत जिले के मुरथल के पास नेशनल हाईवे-1 पर सोमवार भोर होने से पहले कुछ गाडिय़ों को रोककर उनमें सवार करीब 10 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया। हालांकि पुलिस ने इस घिनौनी वारदात को अफवाह मात्र करार दिया है, लेकिन चश्मदीदों के मुताबिक 10 महिलाओं का जबरन यौन शोषण कर उन्हें खेतों में छोड़ दिया गया। इससे भी खौफनाक बात तो यह सामने आई है कि जिला प्रशासन ने यहां भी घटना के शिकार पीडि़तों और उनके परिवारों को अपने सम्मान की खातिर रिपोर्ट दर्ज न कराने को कहा जो प्रथम दृष्टया बहुत ही घिनौना सा लग रहा है।
सूत्रों के मुताबिक सोमवार को तड़के 30 से अधिक बदमाशों/उपद्रवियों ने दिल्ली एनसीआर की तरफ जाने वाली गाडिय़ों को रोका और उनमें आग लगाई दी। अचानचक हुई इस घटना से घबराकर कई लोग जान बचाकर भागे, लेकिन अचानक हुई इस आपदा में कुछ महिलाएं नहीं भाग पाईं। उपद्रवियों ने उनके कपड़े फाड़ दिये और उनके साथ बलात्कार भी किया। दिल दहला देने वाली इस खौफनाक वारदात की शिकार हुई पीडि़त महिलाएं तब तक खेतों में पड़ी रहीं जब तक कि उनके पुरुष रिश्तेदार और जीटी रोड के गांव हसनपुर और कुराड के लोग कपड़े और कंबल लेकर वहां नहीं आ गये।
नाम उजागर न करने की शर्त पर गांव एक चश्मदीद ने बताया कि सामुहिक बलात्कार की शिकार हुई महिलाओं में से तीन महिलाओं को बेहोशी की हालत में अमरीक सुखदेव ढाबे पर लाया गया, जहां ये महिलाएं कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में अपने परिजनों से मिलीं। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी आ वहां गये, लेकिन मामले की जांच या पीडि़तों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के बजाय परिजनों पर महिलाओं को घर ले जाने का दबाव बनाया गया। कई पीडि़तों को वहां से भेजने के लिए उन्हें वाहन भी उपलब्ध कराये गये। ध्यान रहे कि रविवार को हुई आगजनी के कारण हसनपुर और कुरड गांव के कई लोग भी सुखदेव ढाबे पर शरण लिये हुए थे। मुरथल के एक मशहूर ढाबा संचालक ने मीडिया को बताया कि उन्हें इस वारदात के बारे में तड़के 3 बजे के आसपास तब पता चला जब सड़क पर चल रहे कुछ लोगों ने महिलाओं की चाखें चीत्कार सुनी। उन्होंने बताया कि उनके ढाबे से करीब एक किलोमीटर दूर सड़क पर लगाये गये जाम को लाठीचार्ज के बाद सुरक्षाबलों ने हटा दिया था। जिसके चलते कुछ बदमाश वहीं झाडिय़ों में छिप गये। वाहनों की आवाजाही शुरू होने के बाद वहां से सुरक्षाबलों के हटते ही ये लोग वहां आ गये। एक और प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि वाहनों को रोकने के बाद उपद्रवियों ने गाड़ी में सवार पुरुषों को वहां से भाग जाने को कहा। कुछ महिलाएं जो वहां रह गयीं थी उनके साथ उपद्रवियों द्वारा अमानवीय कृत्य हुआ। कुरड के युवक हरिकृष्ण और हसनपुर के जिले सिंह ने कहा कि वह वारदात की इस दुर्भागपूर्ण घटना पर चर्चा भी नहीं करना चाहते। तो क्या ये कहना सही होगा कि पुलिस ने ही अपराधियों को शरण दी होगी? कोई सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा, यहां तक की यहां रहने वाले स्थानीय लोग भी।
प्रत्यक्षदर्शियो के अनुसार पीडि़त महिलायें कई घण्टों तक उनकी टंकियों के पीछे छिपी रहीं। ढाबा चलाने वाले जय भगवान ने बताया कि कुछ महिलाएं तो इन खूंखार लोगों के चंगुल से आश्चर्यजनक ढंग से बच कर उनके ढाबे तक पहुंच गयीं। उन्होंने बताया कि चार औरतें मेरे ढाबे पर लगी टंकियों के पीछे छिप गयीं। तभी हमने सारी बत्तियां बुझा दीं, ताकि उनका पीछा कर रहे लोगों का ध्यान उनकी तरफ न जाये। वे वहां लगातार चार घंटों तक बैठी रहीं। कई लोगों ने इस बात की पुष्टि की कि पीडि़तों को बदनामी से बचने के लिए मामले को न उठाने की बात समझायी गयी। पीडि़तों और उनके परिजनों की भीड़ के बीच इस मौके पर सेना के भी कुछ अधिकारी भी मौजूद थे। ये हरियाणा के लिए एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जिसका जिक्र करने के बाद हरियाणा के हर निवासी का सर शर्म से झुक जाएगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि ये मामला तूल पकड़ता है तो भविष्य में ये अमानवीय घटना हरियाणा और देश की राजनीति में भी भूचाल ला सकती है।