Metro Plus News
फरीदाबादहरियाणा

इस वजह से शुरू हुआ था कोर्ट में वकीलों का काला कोट पहनना

नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 26 फरवरी: आपके मन में यह सवाल कई बार उठता होगा कि वकील हमेशा काला कोट ही क्‍यों पहनते हैं। हालांकि वकील के अलावा और भी कई पेशे हैं जहां ड्रेस कोड होती है। जैसे कि डॉक्‍टर्स का व्‍हॉइट कोट या फिर शेफ की टोपी…तो आइए जानें इन ड्रेस कोड के पीछे क्‍या है राज…

1. वकीलों का काला कोट :-
रिपोर्ट के मुताबिक, यह परंपरा इंग्‍लैंड से शुरु हुई थी। 1865 में इंग्‍लिश शाही परिवार ने किंग्‍स चार्ल्‍स द्वितीय के निधन पर कोर्ट को ब्‍लैक पहनने का आदेश दिया था। हालांकि इसके बाद कोर्ट में ब्‍लैक कोट पहनने का चलन शुरु हो गया। अब यह तो पता ही है कि, भारतीय न्‍यायपालिका अंग्रेजों के सिस्‍टम से ही चलती है इसलिए यहां भारत के कोर्ट में भी वकीलों के ब्‍लैक कोट पहनने का रिवाज आज भी है। इसके बाद 1961 में आजाद भारत में एडवोकेट एक्‍ट के तहत इसे ड्रेस कोड के रूप में जोड़ दिया गया।
lawyer-coat_b_25
2. डॉक्‍टर्स का सफेद कोट :-
डॉक्‍टरों के सफेद कोट पहनने की परंपरा 1930 से चली आ रही है। द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान डॉक्‍टरों ने सफेद कपड़े पहनने की शुरुआत की थी। वहीं 20वीं शताब्‍दी के बाद मेडिकल कॉलेजों से पास होने वाले सभी ग्रैजुएट्स को सफेद कोट दिया जाने लगा, यह उनके डॉक्‍टर होने की निशानी मानी जाती थी। इस सफेद कोट को पहनने के पीछे कई तर्क भी दिए जाते हैं। जैसे कि सहकर्मी और मरीज आपको आसानी से पहचान सके, सफाई का सिंबल, नियमों का पालन। वैसे मॉडर्न मेडिकल में कुछ डॉक्‍टर्स इस नियम को फॉलो नहीं करते हैं। खास तौर पर सर्जन्स व्हाइट एप्रन की जगह हल्के पेल ब्लू या टील कलर में नज़र आते हैं।
doctor-coat_i
3. आर्मी की कैमोफ्लेज वर्दी :-
इंडियन आर्मी में हर पद की एक जैसी, लेकिन अलग यूनिफॉर्म होती है। यानी कि आर्मी कहां और किस जगह लड़ रही है यह इस बात पर निर्भर करता है। अब अगर वर्दी में बने फूल-पत्‍ती वाले प्रिंट की बात करें तो यह इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि आसपास के जगहों जैसे- जंगलों और पेड़-पौधों में छिपने में आसानी हो ताकि दुश्‍मन पहचान न सके।
army-dress_i
4. शेफ की टोपी :-
शेफ्स अपने सिर पर एक लंबी टोपी लगाते हैं, तो इसके पीछे भी एक लॉजिक है। इस कैप को सिलिंड्रीकल हैट्स बोला जाता है और यह काफी पुराने हैं। इसके पीछे एक कहानी है कि शेफ्स, क्रिएटिव होने पर मिलने वाली सज़ा से बचने के लिए साधुओं के पास जाकर छिपते थे। उस वक्‍त साधु भी यह हैट्स पहनते थे, तो खुद को छिपाने के लिए शेफ्स भी वही पहन लेते थे। यह हैट्स ज़्यादातर पेपर की बनी होती है (इन दिनों डिसपोज़ेबल हैट्स भी इस्तेमाल की जाती है) और उनमें प्लीट्स होती हैं। प्लीट्स की संख्या ये बताती है कि शेफ कितनी तरह के अंडे बना सकता है। हैट पर 100 प्लीट्स होना सबसे बड़ी कामयाबी है।
cheff-dress_i


Related posts

महावारी/पीरियड्स के दौरान किशोरियों को घबराने की जरूरत नहीं: SDM अपराजिता

Metro Plus

विद्यासागर इंटरनेशनल में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया ईद पर्व

Metro Plus

आयशर स्कूल में दो-दिवसीय प्रोत्साहन दिवस का आयोजन

Metro Plus