प्रीति सेंगर
फरीदाबाद,1 मार्च: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के हिसार केंद्र द्वारा चन्द्रलेन में एक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए ब्रह्माकुमारी वंदना बहन ने कहा कि शिव को स्वयंभू कहा जाता है। अर्थात् वे माता के गर्भ से जन्म न लेकर प्रकृति को वश में करके स्वयं एक बूढ़े व्यक्ति के तन का आधार लेकर अवतरित होते हैं। इसलिए उनका जन्म दिव्य और आलौकिक है। शिव पुराण में स्पष्ट किया गया है कि मनुष्य सृष्टि का उद्धार करने के लिए परमात्मा शिव ब्रह्मा के ललाट से प्रकट होते हैं। जब धर्म ग्लानि का समय आता है शिव प्रजापिता ब्रह्मा के तन का आधार लेकर तीनों कालों, तीनों लोकों एवं स्वयं का परिचय देते हैं और सत्य ज्ञान देते हैं। इसलिए इस तन को भागीरथ व नंदीगण भी कहा जाता है।
परमात्मा निराकार व अजन्मा है, वे सभी आत्माओं के पिता हैं जबकि शंकर अकारी देवता हैं। शिव तो महादेव हैं अर्थात परमात्मा हैं। शिव कल्याणकारी हैं जबकि ये कहा गया है कि शंकर की तीसरी आंख खुलने से विनाश हो जाता है। परमात्मा परमधाम में रहते हैं जबकि शंकर सूक्ष्म लोक में निवास करते हैं। शंकर तपस्वी स्वरूप हैं और वे शिव के ध्यान में मग्न रहते हैं। उन्होंने ही तप के बल पर काम को भस्म किया है जबकि परमात्मा शिव सम्पूर्ण हैं, सदा मुक्त हैं, उन्हें किसी की तपस्या करने की जरूरत नहीं।
इस अवसर पर सोनिया बहन ने भी प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है। परमात्मा तो सबसे ऊंचा है। वह कंकर पत्थर में कैसे हो सकता है। हम सभी परमात्मा की संतान हैं। हममें परमात्मा कैसे हो सकता है। बच्चे में कोई पिता विद्यमान हो सकता है क्या? परमात्मा तो आनंद व सुख का सागर है। अगर हमारे अंदर परमात्मा है तो फिर हम दुखी क्यों हैं? हम तो सभी आत्माएं हैं। अपने कर्मों के अनुसार दुख व सुख भोगती हैं।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमार प्रमोद भाई ने भी प्रवचन किए। उन्होंने बताया कि देहभान की स्मृति में रहकर जो कर्म किए जाते हैं वे विकर्म बन जाते हैं। आत्मिक स्वरूप में रहकर किए गए कर्म श्रेष्ठ कर्म बन जाते हैं अत: हमें आत्मिक स्वरूप में रहकर कर्म करने चाहिएं। इस अवसर पर केक काटा गया व शिवध्वज फहराया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ० सतबीर अहलावत, डॉ० जिले सिंह, कुसुम मलिक सीडीपीओ, महेन्द्र कौर असिस्टेंट मैनेजर एसबीआई, प्रो० रविन्द्र कौशिक, डॉ० रामफल कुण्डू, पुष्पा मिश्रा, डॉ० आरके मलिक, मदन वासुदेवा, अनिल जैन, हरीश ऐलावादी, पूनम राज, सुनीता, जगदीश, पुष्पा मिश्रा व सुनीता आदि उपस्थित रहे।