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मेट्रो अस्पताल में अब हो सकेगें हर तरीके के घुटने के आप्रेशन

मैट्रो अस्पताल आधुनिक तकनीकों के माध्यम से एक ही छत के नीचे बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए कृत-संकल्पित: डॉ० बंसल
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 11 अप्रैल (नवीन गुप्ता ) : मैट्रो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थाेपेडिक सर्जन डॉ० सुजोय भट्टाचार्य एवं नी-रिप्लेसमेंट सर्जन ने अमेरिका के प्रसिद्ध आर्थाेपेेडिक सर्जन के साथ मिलकर एशियाई शरीर की रचना, विज्ञान और जीवन शैली के लिए विशेष रुप से फ्रीडम डिजाईन द्वारा डिजाईन नी के साथ घुटने तैयार किए है। इस नई तकनीक से अब फरीदाबाद के लोग अमेरिकी तकनीक के घुटने अपने शहर में भी बदलवा सकेंगे। डॉ० सुजोय व डॉ० हिल द्वारा पहली बार अस्पताल में नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की गई है। यह जानकारी मैट्रो अस्पताल के निदेशक एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ० एसएस बंसल ने सैक्टर-15ए स्थित जिमखाना क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दी।
डॉ० बंसल ने कहा कि मैट्रो अस्पताल समय-समय पर आधुनिक तकनीकों के माध्यम से लोगों को एक ही छत के नीचे बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए कृत-संकल्पित है। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में यह पहली बार है, जब किसी अमेरिकी डॉ० ने मैट्रो अस्पताल में नी -रिप्लेसमेंट सर्जरी की है। यह शहर के लोगों के लिए हर्ष का विषय है क्योंकि भविष्य में घुटनों व कूल्हों से पीडि़त लोगों को बेहतर व विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं अपने शहर में ही उपलब्ध हो सकेगी।
गौरतलब है कि डॉ० हिल ब्रेडेटोर, फ्लोरिडा अमेरिका के एक प्रसिद्व आर्थाेपेडिक सर्जन है और पिछले 10 वर्षाे से इस विभाग में अभ्यास कर रहे है। उन्होंने डॉ० सुजोय के साथ मिलकर संयुक्त रुप से घुटना बदलकर अपने ज्ञान और विशेषता को साझा किया।
मालूम हो कि डॉ० सुजोय पिछले लगभग 20 वर्षाे से करीब 5000 से अधिक मरीजों के नी-रिपलेसमेंट, हिप रिप्लेमेंट, गठिया रोग का इलाज कर चुके है। वे कठिन विकृति, असामान्य और जटिल मामलों के विशेषज्ञ है। डॉ० हिल और डॉ० सुजोय साथ मिलकर एशिया के कई जगहों पर एक साथ आप्रेशन कर चुके है। डॉ० सुजोय ने उन्होंने अमेरिकी डॉ० हिल के साथ मिलकर भारतीयों के कद-काठी के अनुसार घुटने तैयार किए है, जिसे नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी करके बदला जा सकेगा और इससे वह करीब 25 से 30 वर्षाे तक बिना समस्या के जीवन यापन कर सकता है।
उनका कहना था कि हमारा उद्देश्य नियमित और दीर्घकालिन आधार पर डॉ० हिल के साथ मिलकर तथा उनके जैसे अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर संयुक्त रुप से अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करना है तथा घुटने और कूल्हे तथा गठिया से पीडि़त मरीजों को नवीनतम और सबसे अच्छा उपचार का विकल्प प्रदान करना है। हम नई तकनीक, लेटेस्ट इम्प्लांट और अपने अनुभवी सर्जरी द्वारा अपने मरीजों को एक खुशहाल व स्वस्थ जीवन प्रदान कर सके।
गौरतलब है कि नी एक वेट बेरिरिंग है, जो झुकता है, टिविस्ट और घूमता है। व्यक्ति के बड़े होने, बैठने, चलने के लिए, दौडऩे के लिए, कूदने के लिए तथा सभी शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जाता है। यह बात ध्यान रखने योग्य है कि पश्चिमी देशों तथा एशियाई देशों के व्यक्तियों की शारीरिक रचना के अनुसार नी का डिजाइन छोटा तथा थोडा भिन्न होता है। इसके अलावा भारतीय/एशियाई व्यक्तियों की हड्डी की गुणवत्ता भी खराब होती है। भारतीय जीवन शैली तथा उनकी शारीरिक रचना पर ध्यान देने पर पता चलता है कि उनको 150 डिग्री पर भी घूमना पड़ता है इसलिए लगाते समय मरीज की शारीरिक रचना को ध्यान में रखना चाहिए। यह पता लगाना डॉक्टर के लिए एक चैलेंज जैसा होता है कि कौन सा साईज ठीक है और कौन सा गलत। उन्होंने कहा कि हम फ्रीडम नी कंपनी के आभारी है कि जोकि भारतीयों की नी को ध्यान में रखते है। उनके लिए स्पेशली इन घुटनों को बनाया डॉ० सुजोय ने हमें बताया। यह न केवल हड्डी को संरक्षण देता है बल्कि रोगी को उच्च बल भी प्रदान करता है। यह घुटना अमेरिका में निर्मित किया जाता है तथा एफडीए द्वारा प्रमाणित है। यह भारतीय मरीजों के लिए वरदान के समान है।

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