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इंडोनेशिया की सफल पारी के बाद MRIU में शुरू हुई जिनॉम एशिया समिट 2016

मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 22 अप्रैल (नवीन गुप्ता): बैठकों में, कॉन्फ्रेंसों में, वाद विवादों में ओपन सोर्स हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी (एमआरआईयू) में भी इस विषय पर गहन मंथन शुरू हो गया है। इंडोनेशिया में साल 2015 में सफल जिनॉम एशिया समिट का आयोजन करने के बाद गुरुवार से एमआरआईयू में जिनॉम एशिया समिट 2016 की शुरुआत की गई। पहले दिन वर्कशॉप के माध्यम से विषय को प्रतिनिधियों को समझाने के बाद शुक्रवार से औपचारिक कॉन्फ्रेंस का आगाज किया गया। ओपन सोर्स के विषय पर एशियन देशों को एक प्लैटफार्म पर खड़ा करने वाली इस समिट में बतौर मुख्य अतिथि आईपीयू के वाइस चांसलर रहे प्रोफेसर (डॉ.) के.के. अग्रवाल पहुंचे। उन्होंने अपने ज्ञान व किस्सों से समिट के विषय की गहराईयों को छुने की कोशिश की।
जिनॉम एशिया समिट हर साल किसी एक एशियन देश में आयोजित की जाती है। इसमें ओपन सोर्स मुद्दे पर वह जिनॉम डैस्कटॉप के बारे में गहन मंथन होता है। इसका मुख्य उद्देश्य एशियन देशों में ओपन सोर्स वेरियेंट को बढ़ावा देना हैं। एमआरआईयू एफईटी के सीएसई विभाग के द्वारा तीन दिवसीय इस समिट के पहले दिन प्रतिनिधियों को वर्कशॉप में ओपन सोर्स को डिवेलप करने के तरीकों के बारे में बताया गया। दूसरे व तीसरे दिन कॉन्फ्रेंस में इस क्षेत्र के एक्सपर्ट प्रतिनिधियों को इसकी गहराइयों के बारे में बताएंगे। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत एमआरआईयू एफईटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने जिनॉम एशिया समिट के बारे में बताते हुए की। उन्होंने समिट के तहत होने वाली गतिविधियों से सभी को अवगत कराया।
करीब 28 साल की आयु में प्रोफेसर का पद्वि प्राप्त करने वाले प्रोफेसर (डॉ) के.के.अग्रवाल ने इस मौके पर सभी को संबोधित करते हुए कहा कि यह मानव रचना  लिए गौरव की बात है कि मानव रचना इतनी बड़ी समिट को आयोजित कर रहा है। उन्होंने सभी को इस समिट के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने जिनॉम एशिया के उद्देश्य को लाभकारी बताते हुए कहा कि जिनॉम डैस्कटॉप की मदद से जिस तरह से ओपन सोर्स से सॉफ्टवेयर प्राप्त करने का मौका मिलता है, वह आज के दौर में जरूरी है। उन्होंने कहा कि सालों पहले हार्डवेयर पर कंप्यूटर को बनाने के लिए 80 प्रतिशत खर्चा आता था और 20 प्रतिशत खर्चा सॉफ्टवेयर पर आता था, लेकिन अब सॉफ्टवेयर पर 80 प्रतिशत खर्चा आता है, ऐसे में जिनॉम का ओपन सोर्स से सोफ्टवेयर प्रदान करना सराहनीय है। उन्होंने फाउंडेशन की सराहना की और कहा कि जिनॉम के सामने काफी चुनौतियां हैं, लेकिन जिस तरह वह आगे बढ़ रहे हैं, वह भविष्य में सफलता की ऊंचाइयां जरूर प्राप्त करेंगे। इस मौके पर मौजूद जिनॉम के डायरेक्टर ईकैटरीना व कैसमिओ चैची ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिनॉम डैस्कटॉप के माध्यम से ओपन सोर्स में अधिकांश सोफ्टवेयर को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने पहली दिन हुई वर्कशॉप के प्रति स्टूडेंट्स को जुनून की सराहना की और कहा कि यह एक माध्यम है जहां पर आकर जिनॉम की तकनीक को सीखा जा सकता है व अपनी उपलब्धियों को सांझा कर सभी को ओपन सोर्स के माध्यम से अधिकांश सोफ्टवेयर प्रदान किए जा सकते हैं।
इस मौके पर मानव रचना इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी (एमआरआईयू) के वाइस चांसलर डॉ. एन.सी.वाधवा ने कहा कि मानव रचना में इतने बड़े स्तर की समिट होना गर्व की बात है। यह समिट स्टूडेंट्स को नए अनुभव व नए ज्ञान देकर जाएगी। उन्होंने मानव रचना के क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञान का आदान प्रदान इसके विकास के लिए होना जरूरी है, जो कि मानव रचना हमेशा से करता आया है।
इन विषयों पर कॉन्फ्रेंस हुई आयोजित
कान्फ्रेंस में स्पीकरों ने ओपन सोर्स से जुड़े अलग अलग विषयों पर चर्चा की। इसमें मेक यूअर फस्र्ट कॉन्ट्रीब्यूशन, सैंडबॉक्सिंग, सुरक्षा, जिनॉम के लिए एप्लीकेशन डालने, जिनॉम को कैसे चलाया जा सकता है, कैसे ओपन सोर्स डिवेलप किए जा सकते हैं, अलग अलग देशों में जिनॉम का कैसे प्रयोग है आदि विषयों पर चर्चा हुई।
सदस्यों के सांझा किए अनुभव
कार्यक्रम में मौजूद जिनॉम के सदस्य हैरिस अहमद व बिनली ने अपने अनुभव प्रतिनिधियों के साथ सांझा किए। उन्होंने कहा कि भारत बहुत ही अच्छा देश है यहां की सभ्यता विदेशों में भी जानी जाती है। यहां के लोगों में बहुत प्रेम भाव है। उन्होंने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि आप सभी इस समिट का जितना फायदा उठा सकते हैं उठाएं, क्योंकि एक स्तर पर इतनी सारी जानकारी का मिलना बहुत मुश्किल होता है, जो कि जिनॉम समिट में संभव होता है।

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