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सीबीएसई नियमों का पालन ना करने पर हो सकती है प्राईवेट स्कूल वालों को सजा

सीबीएसई के नए नियमों में जोड़ा गया है सजा का प्रावधान
प्राईवेट स्कूल सीट देने के नाम पर स्क्रीनिंग नहीं कर सकते: सीबीएसई
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 8 जून (महेश गुप्ता): निजी स्कूलों की लूट-खसोट व मनमानी व उनके द्वारा मनमाने तरीके से हर साल फीस बढ़ाने को लेकर सीबीएसई ने सख्त रवैया अपनाया हुआ है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच तथा अन्य छात्र व अभिभावक संगठनों द्वारा भेजी गई शिकायत पर कार्यवाही करते हुए सीबीएसई ने देश के प्रत्येक सीबीएसई स्कूलों के प्रबंधक, प्रिंसीपल को पत्र भेजकर शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए बनाए गए सीबीएसई नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश जारी किए है। इन निर्देशों का पालन ना करने पर जुर्माने के साथ-साथ स्कूलों की मान्यता रद्द की जा सकती है। मंच ने सीबीएसई के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि यह नियम पहले से ही बने हुए है। इसमें सिर्फ सजा का प्रावधान और जोड़ा गया है। मंच ने स्कूलों की प्रत्येक मनमानी की जानकारी विस्तार से देने के लिए चेयरमैन सीबीएसई को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा है। मंच ने सभी पैरेंटस एसोसिएशन से कहा है कि वो अपने स्कूल की शिक्षा सत्र 2013-14 से लेकर शिक्षा सत्र 2016-17 में स्कूलों द्वारा टयूशन फीस व अन्य फंडों में वसूली गई फीस का पूरा ब्यौरा मंच को उपलब्ध करवाए जिससे उसे चेयरमैन सीबीएसई को देकर उनकी वैधानिकता की जांच करवाई जा सकें।
सीबीएसई बोर्ड के एफिलेशन विभाग के प्रमुख पी. साबू द्वारा 3 जून को भेजे गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्कूल प्रबंधक अपने स्कूल की वैद्यानिक रूप चुनी गई पैरेंटस एसोसिएशन व राज्य के शिक्षा विभाग से इजाजत लेकर फीस बढ़ाएं और किसी भी हालत में डोनेशन, बिल्डिंग फंड, कैपिटेशन फीस, कौशन मनी, डवलपमेंट ओरिएंटेशन, एक्टिविटी आदि फंडों में फीस न लें। इसके अलावा दाखिले में छात्र व उनके माता-पिता का इंटरव्यू न लें। सीबीएसई ने साफ कहा है कि कोई भी स्कूल सीट देने के नाम पर स्क्रीनिंग भी नहीं कर सकता साथ ही अब ऐसी सुविधा के नाम पर शुल्क भी नहीं लिया जा सकता है जो सुविधा दी ही नहीं जाती। स्कूल जो पैसा फीस के नाम पर वसूलेगा उसे इस्तेमाल के लिए अपने निजी खर्चों और इसी ट्रस्ट और सोसायटी को नहीं दिया जा सकता। पैसे का इस्तेमाल केवल बच्चों की पढ़ाई और स्कूल के खर्चों पर ही किया जा सकता है। इन निर्देशों के पालन न करने पर 20 से 50 हजार रूपए जुर्माना व स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।


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