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सीमा त्रिखा ने किया कवि महेंद्र शर्मा मधुकर के काव्य संग्रह रिश्तों की खुशबू का लोकार्पण

मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 8 जून (नवीन गुप्ता): ‘कई बार हम स्वयं को अनेक विडम्बनाओं में फंसा पाते हैं, ऐसा मैं अक्सर महसूस करती हूं और जब भी मैं साहित्यिक कार्यक्रमों में शिरकत करती हूं तो ढेर सारी ऊर्जा भरकर ले जाती हूं,। उपरोक्त पंक्तियां मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा ने कवि महेंद्र शर्मा मधुकर के काव्य रिश्तों की खुशबू के लोकार्पण समारोह के अवसर पर कहीं। वे मुख्य अतिथि के तौर पर वहां उपस्थित थी।
उर्दू दोस्त साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में पेशे से अधिवक्ता कवि महेंद्र शर्मा मधुकर के तृतीय कविता संग्रह रिश्तों की खुशबू का लोकार्पण समारोह ग्रेंड कोलम्बस स्कूल के सभागार में सम्पन्न हुआ। विशिष्ट अतिथियों के तौर पर सुरेन्द्र शर्मा, जिलाध्यक्ष बार एसोसिएशन एवं विद्यालय के एम.डी. सुरेश चंद मौजूद थे। मुख्य अतिथि सीमा त्रिखा के कर कमलों से पुस्तक का विमोचन हुआ।
पुस्तक के विषय में विचार प्रकट करते हुए संस्था की महासचिव डॉ. अंजु दुआ जैमिनी ने कहा कि इन कविताओं में भावनाओं का ज्वार है, रिश्तों की सौंधी महक है और चूल्हे की आग पर पकती रोटियों का कच्चा स्वाद है। साथ ही मानवीय मूल्यों की महत्ता भी दृष्टिगोचर हुई है।
वरिष्ठ साहित्यकार समीक्षक एन.एल. गोसाई ने कहा कि कवि ने रिश्तों के विषय में रचनाएं रचकर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया है। पुस्तक में राष्ट्रप्रेम, स्त्री विमर्श, रिश्तों से जुड़ी कविताओं का समावेश है।
कवि महेंद्र शर्मा ने जे.बी. गुप्ता का स्मरण करके उन्हें अपनी पुस्तक का प्रणेता बताते हुए पुस्तक की रचना-प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू दोस्त के अध्यक्ष अंबादत्त भट्ट ने की। सफल मंच संचालन सुरेखा जैन ने किया। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दुर्गा सिन्हा ने बेटियों को समर्पित कविता पढ़ी। पर्यावरण जागरुकता, देश प्रेम, राजनीति, स्त्री विमर्श आदि विषयों पर कविताओं का पाठ किया गया।
कवियों में संदीप गोस्वामी, डॉ अंजु लता सिंह, नीलम दुग्गल, बसंत भाटिया, रेनू शर्मा, कृष्णा सागर, प्रकाश लखानी, अजय अज्ञात, यशदीप कौशिक, मोहन शास्त्री, प्रेम अज्ञान, विजय अरोड़ा, रीटा वाष्र्णेय, ज्ञानसिंह मुसाफिर, देवेन्द्र देव, रमाशंकर राज आदि ने अपने अनोखे अंदाज में कविताएं पढ़ी।
अंत में ए.डी. भट्ट ने अध्यक्षीय भाषण में कवि मधुकर को उनकी काव्य कृति के लिए बधाई दी और मौजूद कवियों का उत्साहवर्धन करते हुए भविष्य में भी इसी प्रकार साहित्यिक गोष्ठियों में शिरकत करने का निवेदन किया।


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