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फरीदाबाद, 27 जुलाई (नवीन गुप्ता): इंडस्ट्रियल सेफ्टी एंड हैल्थ के डिप्टी डॉयरेक्टर सुरेंद्र सिहाग ने उद्योग प्रबंधकों से आह्वान किया है कि कम से कम 10 मिनट का समय वे प्रतिदिन अपने संस्थान में सेफ्टी को सुनिश्चित करने के लिए अवश्य निकाले। मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन फरीदाबाद द्वारा आयोजित ओक्यूपेशनल हैल्थ एंड सेफ्टी इन एमएसएमई विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्यातिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कोई उद्योग प्रबंधक नहीं चाहता कि उसके संस्थान में कोई दुर्घटना घटे परंतु कभी मैंटीनैंस विभाग तो कभी श्रमिकों की लापरवाही से औद्योगिक दुर्घटना घटित हो जाती है जिसे रोकने के लिये सजगता आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि फरीदाबाद की 20 हजार की औद्योगिक ईकाईयों में से केवल 3200 फैक्ट्री ही एक्ट के अंतर्गत आती है जिनमें दो-तीन दिन में एक छोटा-मोटा हादसा हो ही जाता है जिसे रोकना अति आवश्यक है। यह केवल सभी पक्षों में सहयोग से ही संभव है। श्रमिकों को ट्रेनिंग देकर एवं उनमें जागरूकता लाकर व मैंटीनैंस विभाग पर लगाम कस कर इसे संभव बनाया जा सकता है। मैंटीनैंस विभाग प्राय: मशीनों के गार्ड हटाकर या बिजली की तारें इधर-उधर जोड़कर चालू काम करने का प्रयास करता है जिस पर रोक जरूरी है।
श्री सिहाग ने बताया कि सैल्फ सर्टिफिकेशन पद्धति में पारदर्शिता एवं जिम्मेदारी अति आवश्यक है। निकट भविष्य में थर्ड पार्टी इंसपैक्शन अथवा सेफ्टी आडिट की योजना सरकार ला रही है। इतना ही नहीं वर्तमान फैक्ट्री एक्ट में 10 श्रमिकों की लिमिट को बढ़ाकर 20 किया जा रहा है। सरकार की इन योजनाओं का लाभ सही मायनों में तभी मिलेगा जब हम सेफ्टी को उत्पादन की तरह पहला लक्ष्य बनाकर चलेंगे।
फाऊंडेशन फार एमएसएमई कलस्टर के निदेशक तमल सरकार ने अपने संबोधन में बताया कि देश की 5 करोड़ एमएसएमई ईकाईयों की सस्टेबल डवलपमैंट के लिये जो 17 गोल एवं 250 टारगैट निर्धारित किये गये हैं उनमें आक्यूपेशनल हैल्थ एंड सेफ्टी सर्वप्रथम है। आक्यूपेशनल हैल्थ का अर्थ है, उन बीमारियों से कामगारों को ही नहीं प्रबंधन को भी बचाना जो विभिन्न उत्पादन प्रक्रिया के कारण धीरे-धीरे प्रभाव डालकर मानव शरीर को क्षीण कर देती है। कम एनर्जी का व्यय और कम प्रदूषण से अधिकाधिक उत्पादन, लेबर को स्किल्ड बनाना और पुरूष-स्त्री में समान वेतन से ही यह संभव है।
श्री सरकार ने बताया कि जीरो एफैक्ट-जीरो डिफैक्ट ऐसा दूसरा महत्वपूर्ण गोल है जिससे आक्यूपेशनल हैल्थ एंड सेफ्टी कार्यक्रम की सफलता निर्भर करती है। सेफ्टी एंड हैल्थ की सुरक्षा के लिये आवश्यक स्टैंडर्ड निर्धारित करना अति आवश्यक है।
आक्यूपेशनल हैल्थ एंड सेफ्टी विशेषज्ञ बनारसी दास गुप्ता ने उद्योग प्रबंधकों से अनुरोध किया कि जिस प्रकार आम लाभ के संबंध में सोचते हैं वैसे ही श्रमिकों की हैल्थ और सेफ्टी पर भी सोचें। गुजरात के बाद हरियाणा देश का दूसरा प्रदेश है यहां उद्योगों में सेफ्टी एवं हैल्थ के लिए कड़े कानून लागू हैं। आज विश्व में प्रतिवर्ष 23 लाख लोग सेफ्टी की ओर ध्यान न दिये जाने के कारण अपनी जिंदगी गवां देते हैं। 2014 के एक सर्वे के अनुसार भारत में यह आंकड़ा 40 हजार औद्योगिक दुर्घटनाओं का है।
उन्होंने बतया कि नियमित स्वास्थ्य जांच, थकान होने पर तुरंत इलाज सेफ्टी के प्रति लापरवाही न करें तो हम सुरक्षित रह सकते हैं। प्राय: छोटी-छोटी गलतियों, लापरवाही और सुरक्षा नियमों की अवहेलना दुर्घटना को जन्म देती हैं, जिससे बचना चाहिए।
इस अवसर पर रिलायंस कमर्शियल फाईनैंस के रीजनल सेल्ज़ मैनेजर चैतन्य चेरूकूपल्ली ने एमएसएमई को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाने की विस्तृत जानकारी देते कहा कि उनकी कंपनी ने पिछले आठ वर्ष में 50 हजार करोड़ से भी अधिक राशि एमएसएमई को विभिन्न ऋण के रूप में उपलब्ध कराकर उनके विकास में योगदान दिया है।
उन्होंने बताया कि रिलायंस एमएसएमई के महत्व को समझता है अत: इसमें कार्यरत एक करोड़ से अधिक कामगारों की हैल्थ एंड सेफ्टी के लिये, बीमारी एवं दुर्घटनाग्रस्त होने पर सहायता व उनके जीवन स्तर में सुधार के लिये एमएसएमई को वित्तीय साधन उपलब्ध कराता है। उन्होंने बिजनेस एक्सपंैशन लोन, लोन अंगेस्ट प्रापर्टी, कमर्शियल प्रापर्टी लोन जैसी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने का अनुरोध उद्योग प्रबंधकों से किया।
एसोसिएशन के महासचिव रमणीक प्रभाकर ने कार्यक्रम का संचालन करते बताया कि अच्छे सेमिनार व ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करने से एसोसिएशन की लोकप्रियता बढ़ी है जिसका प्रमाण हाल ही में 50 से अधिक नये सदस्य बनना है। आपने भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का विश्वास दिलाते सभी सदस्यों का सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया।
एसोसिएशन के प्रधान नरेश वर्मा ने औद्योगिक क्षेत्र सैक्टर-6 के कार्याकल्प के लिये सभी उद्योग प्रबंधकों विशेषकर नवीन गुंबर की सराहना की। उन्होंने कहा कि सैक्टर-6 एक स्वच्छ, सुंदर एवं हरियाली वाला औद्योगिक क्षेत्र है जिसकी पीएमओ कार्यालय भी प्रशंसा कर चुका है, यह केवल आपसी सहयोग एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से संभव हो पाया है।
इस अवसर पर अजय जुनेजा, अजय पाल डूड़ी-डीएलसी, ओपी कंबोज, जगदीश शर्मा, ऋषि त्यागी, अमृतपाल कोच्छर, इंद्रजीत सिंह, जितेंद्र शाह और तेजीश प्रभाकर की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।