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कांग्रेस पार्टी से निष्कासित हैं शिवचरण लाल शर्मा, नहीं हैं कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य तक: जेलदार

गैर-कांग्रेसी लोग कर रहे हैं कांग्रेसियों के राजनैतिक भविष्य का फैसला
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 15 दिसम्बर (नवीन गुप्ता): रस्सी जल गई मगर बल नहीं गए। ऐसा ही कुछ हो रहा है पूर्ववत्र्ती हुड्डा सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री रहे प०शिवचरण लाल शर्मा तथा उनके पुत्र एवं पूर्व वरिष्ठ उप-महापौर मुकेश शर्मा के साथ। नगर निगम की राजनीति के खिलाड़ी दोनों बाप-बेटों ने जिस तरह से सोमवार को नगर निगम चुनावों को लेकर हुई हुड्डा गुट की बैठक में कांग्रेस में ना होते हुए भी कांग्रेस पार्टी को लेकर अपनी राय दी, उससे उनके राजनैतिक भविष्य पर काले बादल मंडराने लग गए हैं। ऐसा कर जहां उन्होंने बैठे-बिठाए अपने लिए आफत मोल ले ली हैं।
वहीं दुसरी तरफ फरीदाबाद कांग्रेस कमेटी के प्रभारी एवं प्रदेश महासचिव प्रदीप जैलदार ने आज यह कहकर उनके लिए मुसीबत पैदा कर दी कि प०शिवचरण लाल शर्मा तथा उनके पुत्र मुकेश शर्मा का कांग्रेस पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है, ना ही वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य है। कांग्रेस पार्टी में उनका अभी तक कोई एडमीशन भी नहीं हुआ है। श्री जेलदार आज यहां जिमखाना क्लब सैक्टर-21 में नगर निगम चुनाव कांग्रेस पार्टी के सिम्बल पर कराने ना कराने जाने को लेकर एक प्रैस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
ऐसे में यहां सवाल यह उठता है कि जब प०शिवचरण लाल शर्मा कांग्रेस के सदस्य ही नहीं हैं तो फिर वे किस हैसियत से हुड्डा गुट की कांग्रेस पार्टी की बैठकों में शामिल होते है और कांग्रेसियों के राजनैतिक भविष्य के फैसले पर अपनी मोहर लगाते है, जबकि खुद का उनका राजनैतिक भविष्य कांग्रेस में ना होने से अभी अंधेरे में है।
गौरतलब रहे कि सोमवार को सर्किट हाऊस सैक्टर-16ए में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा गुट के कांग्रेसियों की एक बैठक हुई थी। तिगांव क्षेत्र से विधायक ललित नागर की अध्यक्षता में नगर निगम चुनाव कांग्रेस पार्टी के सिम्बल पर कराने ना कराने जाने को लेकर ही हुई इस बैठक में पूर्व मंत्री ए.सी. चौधरी, लखन सिंगला, शारदा राठौर, पूर्व विधायक रघुवीर सिंह तेवतिया, पूर्व उप-महापौर राजेन्द्र भामला, पूर्व जिला अध्यक्ष गुलशन बग्गा के अलावा तंवर गुट से पूर्व विधायक आनन्द कौशिक आदि ने भी शिरकत की थी। इस बैठक में उपरोक्त के अलावा प०शिवचरण लाल शर्मा तथा उनके पुत्र मुकेश शर्मा भी शामिल हुए थे। इन नेताओं ने एक प्रस्ताव पास कर हाईकमान को भेजा था कि नगर निगम चुनाव पार्टी सिम्बल पर ना कराए जाएं।
यहां यह बात भी ध्यान रहे कि पूर्ववत्र्ती हुड्डा सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री रहे प०शिवचरण लाल शर्मा को इससे पहले कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की खिलाफत कर उसके खिलाफ चुनाव लडऩे के आरोप में छ: साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। तब से लेकर अब तक शिवचरण लाल शर्मा को कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं किया गया है। वो बात अलग है कि सन 2009 में एनआईटी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत जाने के बाद विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या बल की कमी के चलते श्री शर्मा ने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को अपना समर्थन दे दिया था। इस पर उस समय श्री हुड्डा ने मुख्यमंत्री बनने पर अपनी सरकार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बना दिया था ताकि उनकी सरकार आराम से चलती रहे।
यहीं नहीं, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर ने तो शिवचरण लाल शर्मा को आज तक पार्टी में शामिल नहीं किया जबकि वो हुड्डा के द्वारा पार्टी में शामिल होने का दावा करते है जिसकी कि कोई वैधता नहीं हैं।
कांग्रेस पार्टी के नाम पर होने वाली हुड्डा गुट की बैठकों में दोनों पिता-पुत्रों ने जिस तरह से नगर निगम का चुनाव पार्टी सिंबल पर लडऩे वालों की वकालत की। उससे बैठे-बिठाए कांग्रेस में उनके राजनैतिक दुश्मन पैदा हो गए हैं।
वहीं दूसरी तरफ तंवर गुट के कांग्रेस नेता राकेश भड़ाना का इन पिता-पुत्र के बारे में कहना है कि दोनोंं बाप-बेटे कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य तक नहीं हैं तथा लोगों को कांग्रेस में होने की बात कहकर गुमराह करने में लगे हुए हैं। स्वयं डॉ.अशोक तंवर भी कई बार कह चुके है कि दोनों बाप-बेटे को अभी तक पार्टी में शामिल नहीं किया गया है।
shivcharan


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