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वार्ड न०-32- शानो-शौकत की जिंदगी जीने वाले मनमोहन गर्ग उर्फ कीकर को वोट मांगने के लिए सर्दी में भी बहाना पड़ रहा है पसीना

डोर-टू-डोर में वोट मांगने में मनमोहन पड़ गए हैं अकेले, उद्योगपति नहीं जा रहे हैं साथ

आरएस गांधी ने मनमोहन के चुनावी प्रचार से किया हुआ है किनारा
शहर का सीनियर डिप्टी मेयर बनने का सपना लेकर चुनावों में खड़े हुए हंै मनमोहन गर्ग

मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 06 जनवरी (नवीन गुप्ता): चुनाव में रिजल्ट चाहे कुछ भी हो, शहर के उद्योगपति वर्ग में ‘कीकर ‘के नाम से अपनी पहचान रखने वाले वार्ड न०-32 से भाजपा उम्मीदवार मनमोहन गर्ग की मुश्किलें दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं। शहर के चंद उद्योगपतियों की पैरवी पर उद्योगमंत्री विपुल गोयल तथा हाईकमान के प्रेशर से नगर निगम चुनावों में इस हॉट सीट से मनमोहन गर्ग को नगर निगम चुनावों में भाजपा की टिकट तो मिल गई, लेकिन यह चुनाव जीतना इतना आसान नहीं हैं जितना वो समझ कर चल रहे हैं। अभी तक अपनी एयरकंडीशनड कोठी और कार्यालय में रहकर शहर में शानो-शौकत की जिंदगी जीने वाले मनमोहन गर्ग उर्फ कीकर को जिस तरह से नगर निगम का यह छोटा सा चुनाव जीतने के लिए दिन-रात एक कर सर्दी के इस मौसम में पसीना बहाना पड़ रहा है, उसे उनकी हालत खस्ता होती जा रही है। उन्हें चुनावों में उन लोगों के सामने सिर झुका हाथ जोड़कर वोट मांगने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जिनको वो अपनी पैर की जूती भी नहीं समझते थे। अब उन्हीं के आगे उन्हें गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।
खास बात तो यह है कि जिन उद्योगपतियों के चड़ावे में आकर वो निगम पार्षद बन शहर का सीनियर डिप्टी मेयर बनने का सपना लेकर इन चुनावों में खड़े हुए थे, उनमें से कोई भी उद्योगपति उनके साथ चुनाव प्रचार में डोर-टू-डोर वोट मांगने नहीं जा रहा है। हां, ये उद्योगपति मंत्रीजनों के साथ होने वाली शाही मीटिंगों में या फिर शाम को होने वाली कॉकटेल पार्टी में मौजमस्ती करते हुए चुनावी समीकरण बनाते जरूर देखे जाते हैं।
जहां तक बात हैं चुनावों में हार-जीत का तो वो तो किसी एक की ही होनी है चाहे वो मनमोहन गर्ग हो, शंख के चुनाव चिन्ह पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे आरडब्ल्यूए सैक्टर-14 के प्रधान गऊसेवक वीरेन्द्र कुमार मखीजा या फिर कोई अन्य उम्मीदवार।
ध्यान रहे कि वीरेन्द्र कुमार मखीजा क्राऊन ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रमुख समाजसेवी आर.एस.गांधी के दाहिने हाथ माने जाते है तथा उनके खास समर्थक के रूप में उनकी पहचान है। यहीं नहीं, आरएस गांधी ने आखिरी दम तक मखीजा को भाजपा की टिकट दिलवाने की कोशिश की थी। वो बात अलग है कि श्री गांधी एक सुनियोजित षडयंत्र के शिकार हो गए तथा एक सोची समझी साजिश के तहत भाजपा की टिकट मखीजा की जगह मनमोहन गर्ग उर्फ कीकर को दे दी गई। इसी के चलते आरएस गांधी ने मनमोहन गर्ग के चुनाव प्रचार से अपनी दूरी बनाई हुई है। जिसके चलते मनमोहन गर्ग की चुनाव राह कठिन हो गई है।
गौरतलब रहे कि नगर निगम फरीदाबाद के सभी 40 वार्डो में से वार्ड नं-32 की सीट सबसे हॉट व महत्वपूर्ण मानी जा रही है। शहर के सबसे पॉश सैक्टर-14, 15 सहित अजरौंदा गांव तथा कृष्णा कालोनी वाली इस सीट को जीतने के लिए शहरभर के नामी-गिरामी उद्योगपतियों ने अपनी नाक का सवाल बनाया हुआ है। इस वार्ड से पार्षद बनने के लिए शहरभर के उद्योगपतियों की ओर से भाजपा ने उद्योगपति मनमोहन गर्ग को चुनावी मैदान में उतारा हुआ है जिसको कि ये उद्योगपति कीकर के नाम से भी पुकारते हैं। वैसे तो इस हॉट सीट से भाजपा की टिकट पर खड़े होने के लिए पूर्व पार्षद सोम मल्होत्रा, वरिष्ठ भाजपा नेता वीरेंद्र कुमार मखीजा, विजय शर्मा, एडवोकेट बालू सिंह आदि लाईन में लगे हुए थे, लेकिन हाईकमान के दबाव के चलते उद्योगपतियों के कहने पर यह टिकट भाजपा ने उद्योगपति मनमोहन गर्ग यानि उनके कीकर को दे दी।
मजेदार बात तो यह है कि यह टिकट लेने के लिए शहर का उद्योगपति वर्ग लाईन में नहीं लगा बल्कि यह मनमोहन गर्ग की यह टिकट मोदी सरकार के राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर तथा प्रदेश के उद्योग मंत्री विपुल गोयल स्वयं उद्योगपतियों के द्वार पर जाकर देकर आए थे। -क्रमश:


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