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शोधार्थियों के लिए अनुसंधान गुणवत्ता और आचार बेहद जरूरी: प्रो० दिनेश कुमार

अनुसंधान गुणवत्ता और आचार के लिए एकीकृत दृष्टिकोण विषय पर सेमीनार का आयोजन
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 20 जनवरी (नवीन गुप्ता): वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के मानविकी एवं विज्ञान विभाग द्वारा ‘अनुसंधान गुणवत्ता और आचार के लिए एकीकृत दृष्टिकोण विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और शोध पत्र लेखन की जानकारी हासिल की।
सेमीनार का उद्वघाटन संकायाध्यक्ष, संस्थान प्रो० संदीप ग्रोवर ने दीप प्रज्वलित द्वारा किया जबकि समापन कार्यक्रम में कुलपति प्रो० दिनेश कुमार मुख्य अतिथि रहे। कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने शोधार्थियों को अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार लाने की आवश्यकता पर बल दिया और शोधार्थियों के लिए उचित आचरण बेहद जरूरी है।
सेमीनार में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा में संकायाध्यक्ष, पर्यावरण तथा पृथ्वी विज्ञान डॉ० विनोद कुमार गर्ग तथा राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना संसाधन संस्थान, नई दिल्ली में मुख्य वैज्ञानिक तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान पत्रिका के संपादक डॉ० संजय सेन गुप्ता मुख्य वक्ता रहे तथा अनुसंधान गुणवत्ता और आचार पर अपने विचार रखे और विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान प्रस्तुत किया। कुलपति ने मुख्य वक्ताओं को यादगार स्वरूप पौधा प्रदान किया।
इससे पूर्व स्वागतीय संबोधन में प्रो० संदीप ग्रोवर ने अनुसंधान कार्यों की गुणवत्ता की सुधार पर बल देते हुए कहा कि इस तरह के सेमीनार विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों के सही शैक्षणिक आचरण के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि शोध पत्र में गुणवत्त मुख्य लक्ष्य होना चाहिए। विश्वविद्यालय में होने वाले अनुसंधान ही विश्वविद्यालयों को अन्य पारम्परिक शैक्षणिक संस्थानों से अलग करते है। इसलिए, विश्वविद्यालय को अनुसंधान की गुणवत्ता पर ध्यान देते हुए उचित आचरण को बनाये रखने के लिए प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ० रेणुका ने किया। उन्होंने बताया कि सेमीनार के आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों को अनुसंधान लेखन से संबंधित विषयों के प्रति जागरूक बनाना है।
सेमीनार को संबोधित करते हुए डॉ० संजय सेनगुप्ता ने राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना संसाधन संस्थान की गतिविधियों पर प्रकाश डाला तथा अनुसंधान लेखन तथा विज्ञान संचार की बारीकियों से अवगत करवाया।
सेमीनार के दूसरे सत्र के दौरान डॉ० विनोद कुमार गर्ग ने अनुसंधान गुणवत्ता संकेतकों के बारे में जानकारी दी और हरियाणा में अनुसंधान की गुणवत्ता आउटपुट पर साइंट्रोमेटिक विश्लेषण पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अनुसंधान के क्षेत्र में समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए शोध पत्र के लेखन पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में साहित्य चोरी एक गंभीर अपराध है और शोधकर्ताओं को इससे बचना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को अनुसंधान में नवाचार के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के समापन पर संकायाध्यक्ष, मानविकी एवं विज्ञान प्रो० राज कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।


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