मैट्रो प्लस से महेश गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 9 फरवरी: वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के इंडस्ट्री रिलेशन्स प्रकोष्ठ द्वारा उद्योग-अकादमिक सहभागिता बढ़ाने पर चर्चा के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से हरियाणा में उद्योग-विजन 2040 विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में सीआईआई हरियाणा राज्य परिषद् के अध्यक्ष अरुण भाटिया मुख्य वक्ता रहे और अध्यक्षता कुलपति प्रो० दिनेश कुमार द्वारा की गई। कार्यशाला में हरियाणा से उद्योग और शिक्षा जगत के लगभग 40 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिसमें सीआईआई हरियाणा राज्य परिषद् के उपाध्यक्ष एवं जेबीएम समूह के कार्यकारी निदेशक निशांत आर्य, एस्कार्ट के मुख्य संचार अधिकारी शरद गुप्ता के अलावा हैला, जेबीएम, सैमसंग, जेसीबी, बोली प्लायवुड, जेमको कंट्रोल्स, पेटिन रेफ्रिजरेशन, एनआईटी, कुरूक्षेत्र, यूआईटी कुरूक्षेत्र, बीएमएल मुंजाल युनिवर्सिटी के प्रतिनिधि शामिल रहे।
उद्योग एवं अकादमिक क्षेत्र से आए प्रतिभागियों ने विषय पर अपने विचार व्यक्त किए तथा शिक्षण संस्थानों तथा औद्योगिक संगठनों के बीच संबंधों को महत्वपूर्ण बताया। इस दौरान चर्चा की गई कि किसी तरह उद्योग-अकादमिक सहभागिता के माध्यम से तकनीकी संस्थानों को शैक्षणिक स्तर को सुधारने के सरकार के प्रयासों में सहयोग किया जा सकता है।
कार्यशाला का उद्वेश्य उद्योगों तथा शिक्षण संस्थाओं के बीच के अंतर को पहचाना तथा इस अंतराल को भरने के लिए उचित कदम उठाना था। उद्योग जगत से आए प्रतिनिधियों ने युवाओं के लिए विभिन्न उद्योगों के रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दी तथा बताया कि किस तरह विद्यार्थियों के कौशल विकास द्वारा उन्हें रोजगार योग्य बनाया जा सकता है।
अनुसंधान के क्षेत्र में उद्योग जगत द्वारा अधिक योगदान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए वाईएमसीए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र तथा उद्योगों के बीच परस्पर भागीदारी और मजबूत संबंध समय की मांग है। ऐसी भागीदारी संयुक्त रूप से अनुसंधान व विकास प्रयोगशालाओं की स्थापना या संयुक्त रूप से परामर्श परियोजनाओं के रूप से शुरू किया जा सकता है जोकि दोनों के बीच फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को शिक्षण संस्थानों में उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम, प्रबंधन विकास कार्यक्रम, प्रयोजित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों जैसी विभिन्न पहल में सहयोग देने के लिए प्रयास करने चाहिए, जिसके बदले में उद्योग को कुशल कार्यबल तथा औद्योगिक समस्याओं के समाधान के रूप में लाभ पहुंचेगा।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अरुण भाटिया जोकि यूटीसी क्लाइमेट कंट्रोल्स व सिक्योरिटी के प्रबंध निदेशक भी है ने देश में उद्योग व शिक्षण संस्थानों के बीच संबंधों की वास्तविक स्थिति से परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि शिक्षण क्षेत्र तथा उद्योग दोनों को एक दूसरे की क्षमताओं को पहचाने हुए विश्वास के साथ प्रयास करने होंगे। हरियाणा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि निवेश की दृष्टि से हरियाणा सबसे बेहतरीन स्थान है और सरकार भी तेजी से औद्योगिक विकास के लिए प्रयासरत है। इसके मद्देनजर उद्योग और शिक्षा क्षेत्र को एकीकृत दृष्टिकोण रखते हुए एक-दूसरे की अपेक्षाओं को पूरा करना होगा ताकि भावी मानव संसाधन को बेहतर अवसरों के लिए तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि बेहतर पाठ्यक्रम व फैकल्टी, विद्यार्थियों के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम तथा अनुसंधान परियोजनाओं के लिए दोनों पक्षों को परस्पर सहयोग एवं योगदान देना होगा।
कार्यशाला में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने शिक्षण संस्थानों को निर्धारित पाठ्यक्रम से आगे जाते हुए औद्योगिक जरूरत के अनुसार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत औद्योगिक जरूरत के मुताबिक कुशल कार्यबल के कारण होने वाले लाभ को लेकर ही शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्साहित रहता है क्योंकि अकादमिक सुधारों के बिना यह संभव नहीं है।
कार्यशाला के समापन सत्र को शरद गुप्ता ने संबोधित किया और सभी प्रतिनिधियों का आभार जताया। उन्होंने कार्यशाला का सारांश प्रस्तुत करते हुए मुख्य विषय हरियाणा में उद्योग-विजन 2040 के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने दोनों पक्षों के बीच सहभागिता के लिए एकीकृत दृष्टिकोण पर बल दिया। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो० दिनेश कुमार ने प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये।