मैट्रो प्लस से महेश गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 10 अगस्त: जिला उपायुक्त कार्यालय द्वारा कुछ मलाईदार पदों पर किए गए Clerks के तबादलों पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। ये उंगलियां किसी ओर पर नहीं बल्कि वर्षों से एक ही सीट पर सेवानिवृति के बाद भी जमे बैठे जिला उपायुक्त के निजी सहायक प्रेम पर उठ रही हैं जोकि उन्हीं के कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा उठाई जा रही हैं।
ध्यान रहे कि गत् 31 दिसम्बर, 2015 को सेवानिवृत हो चुके प्रेम को पिछले तकरीबन 6 महीने से दोबारा जिला उपायुक्त का निजी सहायक लगा दिया गया है वो भी आऊटसोर्सिंग के आधार पर डीसी रेट पर। इससे पहले फरीदाबाद में सन 2006 में हुई उनकी पोस्टिंग के बाद से अब तक प्रेम लगातार जिला उपायुक्त का निजी सहायक चला आ रहा है। इसके पीछे क्या कारण है ये तो वो ही जाने लेकिन जिस तरीके से संभावित तौर पर जिला उपायुक्त महोदय को शायद गुमराह कर ये चारों तबादले करवाए गए हैं, उसने इन तबादलों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
गौरतलब रहे कि जिला उपायुक्त कार्यालय के अंर्तगत फरीदाबाद, बल्लभगढ़, बडख़ल के एसडीएम कार्यालयों व मोहना उप-तहसील के आर.सी. सहित चार Clerks के तबादलों के आदेश कल बुधवार को जारी किए है। हालांकि उपायुक्त कार्यालय में वैसे तो काफी Clerk तैनात है परंतु इन स्पेशल चारों Clerks की सीटों की ही अदला-बदली में उपायुक्त महोदय के निजी सहायक ने विशेष भूमिका अदा की है। आरोप है कि पैसों के मोटे लेन-देन के चलते इस निजी सहायक ने ये बदलियां करवाई हैं। ये चारों Clerks काफी समय से लगातार इन मलाईदार सीटों पर जमे हुए थे।
जानकारी के मुताबिक अजीत नागर नामक जिस Clerk को मोहना उप-तहसील से एसडीएम ऑफिस बडख़ल का आर.सी. (एम.वी.) लगाया है वो इससे पहले एसडीएम ऑफिस फरीदाबाद में डीएलसी व फीस Clerk था। एसडीएम ऑफिस बल्लबगढ़ से फरीदाबाद गिर्राज मामक जो Clerk स्थानांतरित हुआ है वह क्र्लक इससे पहले बल्लबगढ़ में आर.सी. (एम.वी.) था। बडख़ल कार्यालय के पंकज अग्रवाल नामक जिस Clerk की बदली बल्लबगढ़ कार्यालय में हुई है, वह इससे पहले फरीदाबाद एसडीएम कार्यालय में ए.आर.सी. (एम.वी.) रह चुका है।
सुत्रों के मुताबिक ये Clerk लगातार पैसों के दम पर बार-बार अपनी नियुक्तियां इन मलाईदार सीटों पर करवाते आए हैं और इस काम में इनका साथ देता है डीसी साहब का पीए। नाम ना छापने की शर्त पर डीसी कार्यालय के एक Clerk ने बताया की बडख़ल आर.सी. (एम.वी.) की सीट पर लगने के लिए 1.40 लाख की अदायगी इस निजी सहायक को की गई है। आरोप है कि इस निजी सचिव द्वारा इसी प्रकार उगाही कर रेवाड़ी में करोड़ों की लागत से अपनी एक आलीशान कोठी भी बनाई गई है। आरोप है कि बार-बार इन्हीं कमाऊ सीटों पर लगने के लिए यह निजी सहायक इन Clerkas से मोटी रकम वसूलता रहा है और जल्दी-जल्दी इनका तबादला कराता रहा है। जिला उपायुक्त की आंखो में धूल झोंक कर यह निजी सहायक किस तरह भ्रष्टाचार को बढ़ा रहा है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
उक्त तबादलों में पैसों का लेन-देन करने के इन आरोपों में कहां तक सच्चाई है ये तो डीसी साहब का पीए जाने या फिर तबादला करवाने वाले ये क्लर्क, लेकिन जिस तरीके से वर्षों से एक ही सीट पर जमे बैठे निजी सहायक का नाम इस मामले में सामने आ रहा है, उससे जहां उपायुक्त महोदय की छवि खराब हो रही है वहीं इन तबादलों पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है।