मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
सराय ख्वाजा/फरीदाबाद,16 सितंबर: राजकीय आर्दश वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाचार्या नीलम कौशिक की अध्यक्षता में जूनियर रैडक्रास व सैंट जॉन एंबुलैंस बिग्रेड ने ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाया। जूनियर रैडक्रास व सैंट जॉन एंबुलैंस बिग्रेड अधिकारी रविन्द्र कुमार मनचंदा ने प्रोग्राम प्रारंभ करते हुए कहा कि 23 जनवरी 1995 को यू.एन.ओ की आम सभा में पूरे विश्व में ओजोन परत के प्रति लोगों में जागरुकता लाने के उद्वेश्य से अंतराष्ट्रीय ओजोन दिवस के रुप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। उस समय पूरे विश्व में 2010 तक ओजोन मित्र वातावरण बनाने का लक्ष्य रखा गया जो अब तक भी पूरी तरह प्राप्त नही किया जा सका है।
इस अवसर पर श्री मनचंदा ने बताया कि ओजोन एक हल्के नीले रंग की गैस होती है इस की परत धरातल से 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है यह गैस सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलट अर्थात पराबैंगनी किरणों के लिए अच्छे फिल्टर का कार्य करती है।
इस मौके पर बच्चों ने सुंदर पोस्टर बना कर ओजोन परत बचाने का संदेश दिया। स्कूल कि प्रधानाचार्या नीलम कौशिक नें छात्रों को संबोघित करते हुए कहा कि ओजोन ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली गैस है जोकि वातावरण में बहुत कम पाई जाती है यदि सूर्य से आने वाली सभी पराबैंगनी किरणें, जिनमें सब से हानिकारक यूवी-सी 200-280 होती है, पृथ्वी तक पहुंच जाऐ तो पृथ्वी पर सभी प्राणी केंसर, चर्म कैंसर और मोतियाबिंद जैसे रोगों से पीडि़त हो जाते और सारे पेड़-पौधें नष्ट हो जाते, शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता कम हो जाती लेकिन सूर्य विकिरण के साथ आने वाली पराबैंगनी किरणों का 90 प्रतिशत भाग सोख लेता है जिससे पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी व वनस्पति तीव्र ताप व विकिरण से बचे हुए है। इसीलिए आजोन मंडल को सुरक्षा कवच कहते है।
इस अवसर पर रविन्द्र कुमार मनचंदा ने कहा कि ओजोन क्षरण से जैव विविधता भी प्रभावित होती है, फसलें नष्ट हो सकती है। इस का असर न केवल सूक्ष्म जीवों व जीवाणुओं पर भी होता है वरन समुद्री छोटे-छोटे पौधों को भी प्रभावित करती है जिस से मछलियां तथा अन्य समुद्री जलचरों की मात्रा भी कम हो सकती है।
इस मौके पर स्कूल कि प्रधानाचार्या नीलम कौशिक, वरिष्ठ प्राध्यापिका रेनु शर्मा, अंजना बाला, मीनु शर्मा, रुप किशोर शर्मा, स्टॅाफ सचिव वीरपाल सिंह, बिजेंद्र सिंह और ब्रहम्देव यादव ने भी निवेदन किया कि ओजोन क्षरण रोकने एवं इसके प्रभाव कम करने के लिए कार्बन उत्सृजन कम करें और सौलर पावर तथा स्वच्छ ईंधन का प्रयोग करें, प्राकृतिक साधनों का बुद्धिमता पूर्वक उपयोग करें और सबसे जरुरी है कि हर वर्ष कम से कम एक पौधा लगा कर उसे पाल पोस कर बड़ा होने तक उस की सुरक्षा करें और अपने मित्रों व परिवार के सदस्यों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करें, तभी इस दिवस को मनाने की सार्थकता होगी।