Metro Plus News
गुड़गांवफरीदाबादहरियाणा

Asian Hospital की अमानवीयता: मां-बच्चे की मौत के बाद थमाया 18 लाख का बिल

पिता का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही के चलते ही उनकी बेटी और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हुई है
मैट्रो प्लस से ईशिका भाटिया की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 11 जनवरी: देश की राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर अमानवीयता का मामला सामने आया है। बुखार से पीडि़त गर्भवती महिला को एशियन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान महिला के साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। हद तो तब हो गई, जब अस्पताल ने 22 दिन के इलाज का बिल 18 लाख रुपये बताया और तत्काल चुकाने को कहा। परिजनों का कहना है कि इलाज के दौरान डॉक्टर ने महिला को बचा सके और न पेट में पल रहे 7 महीने के बच्चे को ही।
एशियन हॉस्पिटल द्वारा बुखार से पीडि़त महिला का 22 दिन के इलाज के दौरान 18 लाख रुपये से भी ज्यादा का बिल भुगतान के मुद्दे पर अब परिजन अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक फरीदाबाद के गांव नचौली रहने वाले सीताराम ने अपनी गर्भवती बेटी श्वेता को 13 दिसंबर को बुखार होने पर एशियन अस्पताल में भर्ती कराया था। परिजनों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती करने के दौरान तीन-चार दिन के इलाज के बाद डॉक्टरों ने बताया कि महिला के पेट में बच्चे की मौत हो गई है। ऐसे में मां की जान बचाने के लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। इस ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने शुरू में साढ़े तीन लाख रुपये जमा कराने को कहा था। अस्पताल के डॉक्टरों के कहने के मुताबिक परिजनों ने ऐसा किया।
श्वेता के पिता सीताराम का यह भी कहना है कि अस्पताल ने पूरा पैसा जमा करने के बाद ही ऑपरेशन करने की बात कही। परिजनों की लाख मिन्नतों के बाद भी जब तक उन्होंने पैसे जमा नहीं करा दिए तब तक श्वेता का ऑपरेशन नहीं किया।
अस्पताल की खुली लूट 15 दिन का बिल 16 लाख, फिर भी न बची बच्ची की जान
बताया जा रहा है कि ऑपरेशन में देरी की वजह से ही श्वेता के पेट में इंफेक्शन हो गया। पैसा जमा करने के बाद ऑपरेशन के दौरान श्वेता के गर्भ में पल रहा 7 महीने का बच्चा मृत पाया गया। परिजनों की मानें तो श्वेता की हालत बिगडऩे के बाद उसे आईसीयू में ले जाया गया। उपचार के दौरान लगातार श्वेता के पिता से पैसे जमा कराए जाते रहे। मौत के बाद शव ले जाने से पहले कुल 18 लाख का बिल थमा दिया गया।
पिता ने कहा अस्पताल पर हो सख्त कार्यवाही
श्वेता के पिता सीताराम का आरोप है कि अस्पताल की लापरवाही के चलते ही उनकी बेटी और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हुई है। ऐसे में अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। उनका आरोप है कि अस्पताल की तरफ से जब और पैसे की मांग की गई तो उन्होंने पैसे जमा करने से मना कर दिया, जिसके बाद कुछ ही देर में श्वेता को मृत घोषित कर दिया।
पूरी कोशिश के बाद भी नहीं बचा सके श्वेता को : अस्पताल प्रशासन
श्वेता और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत पर अस्पताल प्रशासन ने अपनी सफाई दी है। एशियन अस्पताल के चेयरमैन, क्वालिटी एंड सेफ्टी डॉक्टर रमेश चांदना का कहना है कि श्वेता 22 सप्ताह से गर्भवती थी। साथ ही उसे 8-10 से बुखार भी था। डॉक्टर के मुताबिक हमने अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कर टाइफायड का इलाज शुरू किया था। हम श्वेता के बच्चे को नहीं बचा सके। हमने पाया कि उसकी आंत में छेद था। हमने ऑपरेशन किया, लेकिन उसे बचा नहीं सके।
अस्पताल की सफाई से संतुष्ट नहीं परिजन
वहीं अस्पताल की सफाई से श्वेता के परिजन संतुष्ट नहीं है और अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग कर रहे हैं। पिता सीता राम का यह भी कहना है कि उसे अपनी बीमार बेटी से मिलने तक नहीं दिया गया। जब वह 5 जनवरी को आईसीयू में एडमिट श्वेता से मिलने गए तो उनकी बेटी बेसुध पड़ी हुई थी।
इससे पहले पड़ोसी जिले गुरुग्राम के निजी अस्पताल फोर्टिस में अवैध वसूली का शर्मनाक मामला सामने आया था। डेंगू पीडि़त बच्ची आद्या को पिछले साल 31 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसने 14 सितंबर को दम तोड़ दिया।
मौत के बाद परिजनों ने 16 लाख बिल जमा करने को कहा था। बाद में यह मामला काफी उछला था। जिसके बाद अस्पताल पर कार्यवाही भी हुई थी।


Related posts

Haryana Education Minister presented a demand charter by Government Aided Private School

Metro Plus

भाजपा सरकार हर मोर्चे पर विफल: साहब खां

Metro Plus

Vidyasagar International स्कूल में खुशी की लहर छात्र Anmol शुक्ला का नेशनल लेवल क्रिकेट लीग के लिए हुआ चयन

Metro Plus