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आज भी ग्रामीण भारत में महिलाओं को है शिक्षा कि जरूरत: सरोज खोसला

मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 3 अप्रैल: महिला सशक्तिकरण एक ऐसा विषय है जो हाल में दुनिया में विकसित हुआ है। पहले के जमाने में महिलाओं को एक बाल उत्पादन मशीन माना जाता था कि महिलाएं सिर्फ बच्चा ही पैदा कर सकती है और हुआ भी कुछ ऐसा कि महिलाओं को घर से बाहर निकाला नहीं जाता था और वह घर रह कर एक बाल उत्पादन मशीन ही बन गई जिसे कि हमारे देश की अबादी इतनी बढ़ गई कि लोग बेरोजगार होने लगें।
महिलाओं के बारे में विचारधारा पर सरोज खोसला ने बताया कि जो देश महिलाओं को शिक्षा देने से इनकार करते हैं वे आर्थिक रूप से वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से पीछे रह रहे हैं। लेकिन धीरे-धीरे देश में शिक्षा हासिल करने की अनुमति दी गई और महिलाएं पढऩे को बाहर निकली। सरोज खोसला ने बताया कि जिन देशों ने एक महिला को मुक्त कर दिया और शिक्षा तक उनकी पहुंच की अनुमति दी वे आर्थिक रूप से वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से सफल हुए हैं। उन्होंने बताया कि शारीरिक शक्ति कि बात कि जाए तो एक सीमांत अंतर के साथ मस्तिष्क की शक्ति के मामले में महिला पुरुष के बराबर हैं।
बातचीत के अनुसार श्रीमति खोसला ने बताया कि हालांकि स्वतंत्र भारत में एक महिला प्रधान मंत्री रह चूंकि है इंदिरा गांधी जिन्होंने 16 साल तक देश पर शासन किया। श्रीमति खोसला ने बताया कि हमारे देश कि बेटियों ने ऊंचे स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य पुरस्कार जीते हैं जिसमें भारतीय महिलाओं मेें रीता फेर्या, सुश्मिता सेन, ऐश्वर्यिया राय, लारा दत्ता, प्रियांका चोपड़ा और हाल ही में मनुशी चिलर जैसे लेकिन बात कि जाए तो आज भी हमारा देश महिला सशक्तिकरण के मामले में पिछड़ रहा है क्योंकि ग्रामीण भारत अभी तक बढ़ती अवधारणा के साथ महिला सशक्तीकरण को पकडऩे के लिए नहीं है ग्रामीण भारत में अधिकांश महिलाएं कृषि कार्य या घरेलू काम करती हैं जिसे कि अब भी हमारा देश शिक्षा के स्तर पर काफी पिछड़ा हुआ देश है।


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