सरकार ने प्रस्ताव को दी मंजूरी, निजी स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बड़ा सकते
12वीं तक एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी
मैट्रो प्लस से नेहा खन्ना की रिपोर्ट
फरीदाबाद/लखनऊ, 4 अप्रैल: उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार निजी स्कूलों द्वारा मनमानी तरीके से बढ़ाए जाने वाली फीस पर लगाम लगाने जा रही है। इसके लिये स्ववित्तपोशित स्वत्रंत विद्यालय विधेयक के मसौदे को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस निर्णय का स्वागत करते हुये हरियाणा सरकार से कहा है कि वह प्राईवेट स्कूलों को संरक्षण देना बंद करके हरियाणा में भी ऐसा कानून बनाये कि प्राईवेट स्कूलों की लूट-खसोट व मनमानी पर पूरी तरह से रोक लग सके।
मंच ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि लाखों अभिभावकों के वोटों के खातिर ही हरियाणा में भाजपा की अपने बलबूते पर सरकार बनी है जिसके चलते वे मुख्यमंत्री बने है। अभिभावक भी एक वोट बैंक है। स्कूल प्रबंधक इतने वोट नहीं दिलवा सकते जितने की अभिभावक दे सकते है या दिलवा सकते हैं। वे अभिभावकों की पीढ़ा को समझे और उनके धैर्य की परीक्षा न लें। जिस तरह वे सरकारी खर्चें पर एक केन्द्रीय मंत्री के प्राईवेट स्कूल का उद्वघाटन करने आते है और शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने की मांग को लेकर फरियाद करने वाले अभिभावकों को झिड़कते हुये यह सुझाव देते हैं कि वे अपने बच्चों के भविश्य की खातिर प्राईवेट स्कूल वालों से समझौता कर लें, उनके ऐसे बयान व व्यवहार से हरियाणा के सभी छात्र, अभिभावक व अध्यापकों में काफी रोष है। अभिभावक अपने रोष को आने वाले चुनावों में प्रकट करने की ताकत भी रखते हैं।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री स्कूल संचालकों को तो बातचीत करने के लिये समय प्रदान करके उनकी सभी मांगों को मान लेते हैं जबकि उनके पास अभिभावक संगठनों से बातचित करने के लिये समय नहीं है। अभिभावक इस सरकार से अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे है। मंच ने इस सरकार के नकारात्मक रूख की जानकारी राज्य के प्रत्येक जिले के अभिभावकों को देने का निर्णय लिया है। इसके लिये प्रत्येक जिले में गोष्ठी, सम्मेलन अभिभावक जागरण अभियान चलाया जायेगा, जिसकी रूपरेखा तय करने के लिये मुख्यमंत्री के कैम्प जिले करनाल में 15 अप्रैल को सभी जिलों के अभिभावक संगठनों की एक बैठक बुलाई गई है जिसमें अभिभावक जागरण व जन-आंदोलन अभियान की रूपरेखा तय की जायेगी
गौरतलब रहे कि प्राईवेट स्कूलों की मनमानी व फीस वसूली पर नकेल कसने के लिए अब उत्तर प्रदेश सरकार गंभीर हो गई हैं। इस कड़ी में पहल करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर एक अह्म प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। सरकार का दावा है कि इस विधेयक के अमल में आने के बाद निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने में सफलता मिलेगी। उप्र सरकार के कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा और उप-मुख्यमंत्री डॉ०दिनेश शर्मा ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी।
यूपी में कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर नकेल कसने का फैसला लिया गया। ये प्रस्ताव पास हुआ कि निजी स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बड़ा सकते। साथ ही 12वीं तक एक ही बार एडमिशन फीस ली जा सकेगी। श्री शर्मा ने बताया कि विद्यालय के शुल्क लेने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी और कोई भी स्कूल सिर्फ चार तरह से ही शुल्क ले सकेंगे, जिसमें विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क शामिल हैं।
उप-मुख्यमंत्री के मुताबिक, अगर कोई वैकल्पिक सुविधा जैसे वाहन, होस्टल, भ्रमण व कैंटीन की सुविधा लेता है, तभी शुल्क देना होगा। हर तरह के शुल्क की रसीद देना स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि इन नियमों के दायरे में सीबीएससी और आईसीएससी बोर्ड द्वारा संचालित विद्यालयों को भी लिया गया है। साथ ही कोई भी स्कूल बच्चों की ड्रेस में पांच वर्ष तक बदलाव नहीं कर सकेगा और न ही जूते-मोजे किसी दुकान से लेने के लिए बाध्य कर सकेगा।
श्री शर्मा ने बताया कि निजी विद्यालय में किसी भी कमर्शियल कार्य से जो आय होगी, उसे विद्यालय की आय माना जाएगा। सरकार के इन फैसलों से अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि ऊर्जा विभाग की परीक्षा नियमावाली में संशोधन को लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रस्ताव के मुताबिक, सहायक अभियंता की परीक्षा में अब साक्षात्कार 250 अंकों की बजाय केवल 100 अंकों का होगा, जबकि लिखित परीक्षा 750 अंकों की ही होगी।