सुमिता मिश्रा ने लिया सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की तैयारियों का जायजा
नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 26 दिसम्बर: अंर्तराष्ट्रीय स्तर के सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इस बार का आकर्षण भारतवर्ष की पांचों ऋतुओं पर आधारित थीम होगी। इसके तहत मेले की सजावट को ग्रीष्म, मानसून, शरद, शिशिर व बसंत के मौसम के अनुसार इन मौसमों की तरह अलग-अलग रंग रूप चित्रण करते हुए पांच भागों में बांटकर दर्शाया जाएगा। इस चित्रण के अंतर्गत फूल, पक्षी, तितलियां, सूर्य, चांद, छाते, मयूर नृत्य तथा हाथी दर्शन की अनुभूति को दर्शाया जाएगा। इसके लिए मेला परिसर को पांच जोनों में बांटा गया हैं। यह जानकारी मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं हरियाणा पयर्टन निगम की महानिदेशक श्रीमति सुमिता मिश्रा ने आज यहां सूरजकुंड मेला परिसर का निरीक्षण करने और मेले की तैयारियों को लेकर अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देश देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में दी। इस अवसर पर उनके साथ इस मेले के लिए नियुक्त किए गए मेला प्रशासक एवं अतिरिक्त उपायुक्त डा. आदित्य दहिया सहित मेले के नोडल अधिकारी राजेश जून, यूएस भारद्वाज, नवीन कौशिक, निरंजन रावत आदि पयर्टन विभाग के विभिन्न अधिकारी भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
श्रीमती मिश्रा ने कहा कि मेले के सहयोगी देशों की कुल संख्या लगभग 20 होगी, जिनमें पश्चिमी एशियाई देश ओमान, लेबनान, कुवैत, कतर व सीरिया पहली बार भाग लेंगे। यह मेला पर्यटन, संस्कृति तथा व्यापार का संगम होता है और इस बार इसमें तकनीकी को भी हाई टैक रूप में रखकर पहली बार शामिल किया जाएगा।
श्रीमति मिश्रा ने बताया कि इस मेले में टूरिज्म, ट्रेडर्स तथा टे्रडिशन तीनों का समागम होगा। मेले में इस बार ऑनलाईन टिकट लेने का प्रावधान रखा गया है जिसके तहत मेले में आने वाले लोगों को टिकट का प्रिंट लाने की आवश्यकता नहीं रहेगी बल्कि ऑनलाईन टिकट लेने वाले के मोबाईल में बाकायदा एक एसएमएस आएगा जिसको दिखाकर वह मेले में प्रवेश कर सकता हैं। यहीं नहीं उन्होंने मैट्रो वालों से भी टाई-अप कर लिया है जिसके तहत मेला घूमने आने वाले लोग मैट्रो के विभिन्न 22 स्टेशनों पर ही टिकट खरीदकर मेले में आ सकते हैं। श्रीमति मिश्रा ने बताया कि मेला टिकट पर कॉलेज छात्रों को आईकार्ड दिखने पर 50 प्रतिशत छूट मिलेगी। उन्होंने बताया है कि मेले के दौरान मोबाईल एप भी लांच किया जाएगा जिससे मेले में आने वाले लोग मेले की पूरी जानकारी अपने मोबाईल पर जान सकेंगे। श्रीमति मिश्रा ने बताया कि इस बार मेले का समय पहले से बढ़ाकर प्रात: 10.30 बजे से शाम 8.30 कर दिया गया है ताकि लोग मेला घूमने के साथ-साथ मेला परिसर में शाम को होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा फूड कोर्ट का भी आनन्द ले सकें।
श्रीमति मिश्रा ने बताया है कि मेला परिसर में बने हरियाणा के ‘अपना घरÓ को भी इस बार उसके पारम्परिक रूप में नया स्वरूप देने की कोशिश की गई है। इसके तहत अपना घर में हरियाणा प्रदेश की जीवनशैली को दिखाया जाएगा तथा हरियाणा की उन प्रतिभाशाली महिलाओं/लड़कियों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी जिन्होंने प्रदेश का नाम रोशन किया है।
श्रीमति सुमिता मिश्रा का यह भी कहना था कि मेला परिसर को मोबाईल कनेक्टिविटी से जोडऩे के लिए इसे वाई-फाई जोन बनाने की कोशिश की जा रही है परंतु इसके लिए अभी तक किसी भी मोबाईल कंपनी ने हां नहीं की है। इसके अलावा श्रीमति मिश्रा का एक सवाल के जवाब में कहना था कि भविष्य में मेला परिसर के क्षेत्र को बढ़ाने की उनकी सोच है जिस पर बाद में काम किया जाएगा।
श्रीमति सुमिता मिश्रा ने बताया कि इस बार मेले में पूरे देश से विभिन्न प्रदेशों के 40 डांस ग्रुप हिस्सा लेगे जोकि दो अलग-अलग बैचों में 20-20 की संख्या में मेला परिसर में अपने प्रदेश की कला पर आधारित संस्कृति को लेकर अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मनोरंंजन करेंगे।
इसके अलावा श्रीमति मिश्रा ने यह भी बताया कि सूरजकुण्ड अन्तर्राष्टï्रीय शिल्प मेले के दौरान मेला स्थल पर स्थित पौराणिक ‘सूर्यकुण्डÓ, जिससे इस स्थल को अपना नाम मिला है, की गौरवशाली विरासत और खूबसूरत वास्तुकला से पर्यटक ों को रूबरू करवाने के लिए भी विशेष कदम उठाए जा रहे हंै। जिसके तहत पौराणिक सूर्यकुण्ड की भव्य विरासत को उजागर करने के लिए महानिदेशक, भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण से आग्रह किया गया है कि मेले के समय प्रात: 10:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक इस स्मारक को दर्शकों के लिए खुला रखा जाए और इस स्मारक के आसपास उपयुक्त वातावरण और प्रकाश व्यवस्था करके रोशनी की जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रयास स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस स्मारक को स्वच्छ रखने और इसकी विरासत को लोकप्रिय बनाने में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि दर्शकों की सुविधा के लिए यह भी प्रयास किया जा रहा है कि सूरजकुण्ड मेला टिकट बूथों पर ही इस स्मारक के लिए भी टिकट की बिक्री की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि इस सूर्यकुण्ड का निर्माण तोमर वंश के एक शासक राजा सूरजपाल द्वारा 10वीं सदी में करवाया गया था। सूर्य देवता की आराधना के लिए निर्मित यह अनूठा स्मारक यूनानी रंगमंच से मेल खाता है। फिरोजशाह तुगलक (1351-88) के शासनकाल के दौरान इस जलाशय की सीढिय़ों एवं छतों का चूना गारे के साथ पुन:र्निर्माण कर इसका जीर्णोंद्घार किया गया।