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बाटा टूल मार्किट तोडफ़ोड़ प्रकरण: आखिर कौन है वो जिसकी जमीन को नगर निगम ने भारी पुलिस बल के साये में खाली कराया?

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 25 सितंबर: फरीदाबाद नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते ने एक तीर से दो निशाने साधते हुए आज भारी पुलिस बल के साये में तीन जे.सी.बी. मशीनों की सहायता से नीलम-बाटा रोड़ पर स्थित करीब 40 साल पुरानी बाटा टूल मार्किट में जमकर तोडफ़ोड़ कर सरकारी व ग्रीन बेल्ट सहित व्यक्ति विशेष के बेशकीमती तीन प्लॉटो को भी खाली करा दिया। मजेदार बात तो यह है कि बाटा टूल मार्किट में 60 गुणा 180 वर्ग फीट के 1200-1200 गज के जिन तीन प्लाट नंबर 6, 7 व 8 में यह जबरदस्त तोडफ़ोड़ की गई उसका मालिक कौन है, इसका जवाब ना तो निगम अधिकारियों के पास था और ना ही ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास। निगम अधिकारी सिर्फ उक्त प्लॉटों के अगले कुछ हिस्से को निगम की जमीन बता रहे थे। तो ऐसे में सवाल यहां यह उठता है कि यदि उक्त प्लॉट नगर निगम के नहीं हैं तो फिर किसके हैं, इसका जवाब वहां किसी के पास नहीं था। जबकि मौके पर तोडफ़ोड़ का विरोध कर रहे लोगों का खुलेआम आरोप था कि मंत्री विपुल गोयल के कहने पर यह तोडफ़ोड़ की कार्यवाही की गई है।
तोडफ़ोड़ स्थल पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां फरीदाबाद पुलिस कमिश्ररेट के लगभग सभी थानों के एस.एच.ओ.,नीली ड्रैस वाली रेपिड एक्शन फोर्स तथा दुर्गा वाहिनी भी एसीपी मुजेसर राधेश्याम के नेतृत्व में मोर्चा संभाले मुस्तैद खड़ी थी। ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में जहां एसडीएम बल्लभगढ़ मौके पर मौजूद थे वहीं नगर निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते की कमान निगम के संयुक्त आयुक्त संदीप अग्रवाल व एक्सईएन दीपक किंगर सहित निगम के तीनों जोनों के तोडफ़ोड़ दस्ते के एस.डी.ओ. क्रमश: पदमभूषण, ओ.पी.मोर तथा प्रेमराज आदि ने संभाली हुई थी। ए.सी.नगर के नेता दीनदयाल गौतम सहित जिस भी व्यक्ति ने इस तोडफ़ोड़ का विरोध किया उसको पुलिस की लाठियों से लहू-लुहान होना पड़ा। पुलिस ने तोडफ़ोड़ का विरोध कर रहे पूर्व मेयर अशोक अरोड़ा के बेटे सहित कई लोगों को पीट-पीटकर अपनी हिरासत में ले उन्हें अलग-अलग थानों में बंद कर दिया।
निगम के तोडफ़ोड़ दस्ते का कहर इतना जबरदस्त था कि उन्होंने डेथ केस की उन दुकानों को भी नहीं बख्शा जिनका केस पेंडिंग चल रहा था। बाटा टूल मार्किट की करीब 200 दुकानों और मकानों को जहां आज पूरी तरह धाराशाही कर दिया गया वहीं दुकानों में रखा करोड़ों रूपये की कीमत का सामान भी मलबे में मिल गया।
वहीं दुसरी तरफ नगर निगम के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि यह तोडफ़ोड़ निगमायुक्त के आदेश पर की गई है। निगम के प्लानिंग विभाग की संस्तुति पर की गई इस तोडफ़ोड़ को लेकर इस अधिकारी का कहना था कि उक्त जमीन पर कबाड़ी जबरन कब्जा किए हुए बैठे थे जबकि निगम ने 100 से ज्यादा कबाडिय़ों को एन.एच.-3 में प्लॉट भी अलॉट कर रखे है। इनमें से जहां 70-75 को पोजिशन भी दी जा चुकी हैं वहीं करीब 30-40 ने तो वहां निर्माण कर भी लिया है। बावजूद इसके ये कबाड़ी दोनों हाथों में लड्डू लेते हुए यहां से कब्जा खाली नहीं कर रहे थे और कई कबाडिय़ों ने तो अपनी कब्जों की इन दुकानों को आगे सबलेट करते हुए इन्हें किराए पर दिया हुआ था। इस अधिकारी से जब उक्त तीन प्लॉटों के मालिकों/अलाटियों के बारे में पूछा गया तो उनका नाम बताने में उन्होंने अपनी असमर्थता जताई। साथ ही उनका यह भी कहना था कि अभी कल यानि बुधवार को भी यहीं दोबारा से उच्च अधिकारियों के निर्देशानुसार संभवत: तोडफ़ोड़ कर मलबे को पूरी तरह से हटवा दिया जाएगा। हालांकि मलबा और बाकी टूटी जगह से सामान निकालने के लिए कब्जाधारियों को सुबह तक का समय दिया गया है।
पुलिस के लिए किया गया था बीकानेरी लंच का प्रबंध:-
बाटा टूल मार्किट में तोडफ़ोड़ करने आए नगर निगम के दस्ते की सुरक्षा में लगे सैकड़ों पुलिसकर्मियों के लिए दोपहर के वक्त लंच का प्रबंध किसने कराया, इस पर भी सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस के इन जवानों लिए एस.एच.ओ. थाना कोतवाली की सरकारी गाड़ी में भरकर बीकानेर मिष्ठान भंडार की पैक थालियों में जो लंच आया वह किसने भिजवाया, यह कोई भी पुलिस अधिकारी बताने को तैयार नहीं है। इस तोडफ़ोड़ के दौरान वहां प्लास्टिक की छोटी बंद बोतलों में पानी की सर्विस भी ऐसे हो रही थी जैसे वहां तोडफ़ोड़ नहीं बल्कि कोई शादी-ब्याह की पार्टी की चल रही हो। लंच के बारे में जब एसीपी मुजेसर राधेश्याम से पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की वहीं एस.एच.ओ. कोतवाली भारत भूषण का इस संबंध में कहना था कि वे लंच का बिल बनवाकर पैसा सरकारी खाते से लेंगे।
जबकि दूसरी तरफ चर्चा है कि पुलिस व सरकारी मशीनरी के लिए बीकानेरी लंच तथा पानी की बंद बोतलों की व्यवस्था उस व्यक्ति विशेष द्वारा करवाई गई थी जिनके प्लॉट सरकारी मशीनरी द्वारा कब्जामुक्त करवाए जा रहे थे। वैसे देखा जाए तो शायद ऐसा कभी नही हुआ कि पुलिस अपने सरकारी खाते से बीकानेरी लंच मंगवाती हो।

झलकियां:-
– नीली ड्रैस वाली रेपिड एक्शन फोर्स को पीडि़त डाकू बता रहे थे।
– छोटे-छोटे बच्चे कबाड़े/मलबे में से सामान निकाल रहे थे।
– तोडफ़ोड़ दस्ते ने रामदास, योगेश कपूर व चंद्रप्रकाश की 7-8 नंबर सहित डेथ केस की कई दुकानों को भी धाराशाही कर दिया।

बाटा टूल मार्किट में 60 गुणा 180 वर्ग फीट के 1200-1200 गज के तीन प्लाट किसके हैं और किसके इशारे पर यह तोडफ़ोड़ की सारी कार्यवाही की गई है, उसके बारे में हमको अपनी अगली खबर में कल बुधवार से विस्तार से बताएंगे।

तब तक पढ़ते रहिए मैट्रो प्लस   www.metroplus.online 

 

 


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