मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 1 नवंबर: अदालत से स्टे होने के बावजूद दुकानें तोड़कर अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार हुई IAS अधिकारी सुनीता वर्मा ने बाकी के भी तीन अधिकारियों के साथ मिलकर जब अदालत से माफी माँगी तब जाकर सजा से उन्हें निजात मिली। अदालत ने आज इन अधिकारियों द्वारा माफी मांगने पर इनके ऊपर रहम करते हुए इन्हें सज़ा तो नहीं सुनाई बल्कि पीड़ित पक्ष को दो लाख की जुर्माना राशि इन्हें अपनी जेब से देने के आदेश दे दिए।
ध्यान रहे कि अदालत की अवमानना के मामले में सिविल जज संदीप सिंह की अदालत ने नगर निगम की तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सुनीता वर्मा, कार्यकारी अभियंता वीरेंद्र कर्दम, एसडीओ ओपी मोर व जेई रणबीर सिंह को गत 26 अक्टूबर को दोषी करार दिया था। अदालत को इन्हें आज 1 नवंबर को सजा सुनानी थी जोकि इन अधिकारियों के माफी मांगने पर जुर्माने में तब्दील हो गई। दो लाख में से 60 हजार रुपए सुनीता वर्मा, 50-50 हजार रुपए ओपी मोर व वीरेंद्र कर्दम तथा 40 हजार रुपए जेई रणबीर सिंह को अपनी जेब से देने होंगे।
इनमें से तत्कालीन ज्वाइंट कमिश्नर सुनीता वर्मा अब आईएसएस प्रमोट हो चुकी हैं।
यह मामला साल 2015 से अदालत में विचाराधीन था। अदालत में पेश मुकदमे के अनुसार फतेहपुर चंदीला में नेपाल सिंह की छह दुकानें थीं। इन दुकानों पर हुडा का दावा था कि ये उसकी जमीन में हैं।
पीड़ित पक्ष के वकील एमपी नागर ने बताया कि 30 मई, 2014 को अदालत ने दुकानों पर नेपाल सिंह स्टे दे दिया। इसके बावजूद 30 जून, 2014 को नगर निगम ने दुकानें तोड़ दीं। नेपाल सिंह ने नगर निगम की तत्कालीन संयुक्त आयुक्त सुनीता वर्मा, कार्यकारी अभियंता वीरेंद्र कर्दम, एसडीओ ओपी मोर और जेई रणबीर सिंह के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका दायर कर दी थी।