नगर निगम सदन की बैठक में आखिर वो कौन लोग थे जिन्हें महापौर अपेक्षित बताकर बाहर करना चाह रही थी!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 27 नवम्बर: नगर निगम सदन की बैठक में आखिर वो कौन लोग मौजूद थे जिन्हें अपेक्षित बताते हुए सदन अध्यक्षा एवं महापौर सुमनबाला सदन की बैठक से बाहर जाने के लिए कह रही थी। वो बात अलग है कि वहां से कोई गया नहीं लेकिन यह समझ नहीं आ रहा कि वहां सदन की बैठक में मौजूद निगमायुक्त, अधिकारीगण, पार्षद पति, पत्रकार आदि में से आखिर वे कौन लोग थे जिन्हें महापौर महोदया अपेक्षित बता रही थी। इस बारे में जब महापौर से पूछा गया तो उन्होंने इसका कोई जवाब ना देते हुए बात हंसी में टाल दी।
सदन में उड़ी सरकारी आदेशों की धज्जियां:-
नगर निगम सदन की बैठक में मुख्यमंत्री या कहिए सरकार के उन आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई जिसमें कहा गया था कि सरकारी कार्यक्रमों में पीने के पानी की बोतलें सर्व नहीं की जाएंगी बल्कि शीशे-कांच के गिलासों में पानी पिलाया जाएगा। महापौर सुमनबाला की अध्यक्षता में कल सोमवार, 26 नवम्बर को हुई सदन की बैठक में खुलेआम सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए प्लास्टिक की बोतलों में निगम पार्षदों और अधिकारियों को पीने का पानी सर्व किया गया। हालांकि बाद में सीनियर डिप्टी मेयर देवेन्द्र चौधरी और उप-महापौर मनमोहन गर्ग जिन्होंने सदन बैठक की अनौपचारिक बागडोर संभाल रखी थी, ने निगम कर्मचारियों को इशारे से वहां इन पीने के पानी की प्लास्टिक की बोतलों हटाने के निर्देश दिए और निगम पार्षदों को भी वे बोतलें अपनी टेबल पर से हटाने का इशारा किया। इस पर पार्षदों ने प्लास्टिक की बोतलें अपनी सीट के नीचे छिपाकर रख लीं। फिर बाद में निगम कर्मचारियों ने शीशे के गिलासों में पानी सर्व किया। हालांकि बाद में विकास भारद्वाज आदि कुछ पार्षदों ने उन्हीं प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।
आखिर क्यों डमी कॉपी बनी हुई थी सदन अध्यक्षा महापौर:-
हरियाणा म्यूनिशिपल कॉरपोरेशन एक्ट-1994 के तहत नगर निगम सदन की बैठक की अध्यक्षता शहर के प्रथम नागरिक कहे जाने वाले महापौर को करनी होती है। इसी के चलते कल सोमवार, 26 नवम्बर को हुई सदन की बैठक की अध्यक्षता भी महापौर सुमनबाला ने ही की, वो बात अलग है कि सिर्फ नाम के लिए। कहने को तो सदन की बैठक की अध्यक्षता महापौर सुमनबाला कर रही थीं लेकिन सदन की इस बैठक की सारी बागडोर सीनियर डिप्टी मेयर देवेन्द्र चौधरी और उप-महापौर मनमोहन गर्ग ने संभाल रखी थी। पार्षदों के सवालों का जवाब देना हो, निगम अधिकारियों से जवाब तलबी करनी हो या फिर सदन का फैसला सुनाना हो, सारी की सारी कार्यवाही वहां सीनियर डिप्टी मेयर देवेन्द्र चौधरी और उप-महापौर मनमोहन गर्ग द्वारा ही की जा रही थी। सदन अध्यक्षा महापौर सुमनबाला तो मुकदर्शक बने वहां डमी कॉपी बनी दिखाईं दी। दो-चार मौकों पर उन्होंने जरूर पार्षदों से सवाल-जवाब किए। कुल मिलाकर सदन की इस अह्म बैठक में देवेन्द्र चौधरी और मनमोहन गर्ग ही छाए रहे जबकि निगम के एक तेजतर्रार पार्षद धनेश अद्लक्खा बैठक से नदारद थे। वो बात अलग है कि उक्त चारों एक ही नेता की छत्रछाया में राजनीति कर रहे हैं।
आखिर 13 लाख की बात क्यों नही सुन रहे थे पार्षद नरेश नंबरदार:-
प्रदेश के उद्योग मंत्री विपुल गोयल के खेमे से जाने जाने वाले निगम पार्षद नरेश नंबरदार जोकि महापौर पद के प्रबल दावेदार भी थे, ने सदन की बैठक में जहां उनके वार्ड में विकास के मामले में भेदभाव करने का आरोप लगाया वहीं अपने ही वार्ड में हो रहे विकास कार्यों का उद्वघाटन उनसे कराना तो दूर उन उद्वघाटन कार्यक्रमों में उन्हें ना बुलाने तक का रोना भी खुब रोया। वहीं जब नरेश नंबरदार ने जब महापौर सुमनबाला पर आरोप लगाया कि वो तो सिर्फ धरना देने के बाद ही उनके विकास कार्यों की फाईल पास करती हैं। तो इसके जवाब में जब मेयर सुमनबाला ने उनसे कहा कि उस फाईल में ठेकेदार से 13 लाख की रकम कम करवाई गई थी जोकि जनता के खुन पसीने की कमाई की थी और जब मेयर ने नरेश नंबरदार से बार-बार यह पूछा कि उन्होंने ठेकेदार से फाईल ज्यादा एमाऊंट की क्यों बनवाई थी तो चूंकि शायद इसका जवाब उनके पास नहीं था या फिर शायद उसमें कोई गोलमाल था तो महापौर के सवाल को अनसुना करते हुए नरेश नंबरदार तेज-तेज बोलकर सिर्फ यही पूछते रहे कि वो अपनी अगली फाईल पास करवाने के लिए उनके पास वार्ड की जनता को लेकर धरना देने कब आएं। मेयर के सवाल का जवाब ना देकर नरेश नंबरदार ने अपने ऊपर उंगलियां उठवा ली।
निगमायुक्त ले रहे थे भिडंत की चुश्कियां:-
विभिन्न खेमों में बंटे निगम पार्षद जब-जब सदन में आपस में किसी ना किसी मुद्दे पर आपस में उलझते तो निगमायुक्त हंस-हंसकर मजे यानि चुश्कियां लेने में लगे हुए थे। इसके लिए कोई भी मौका वो चूक नहीं रहे थे। चाहे सतीश चंदीला और छतरपाल का प्रकरण हो फिर महापौर, सुमन भारती तथा नरेश नंबरदार की आपसी कहासुनी, वहां सभी का आनंद लिया जा रहा था। सुमन भारती जोकि नरेश नंबरदार की तरह ही महापौर पद की प्रबल दावेदार थी, तो बार विकास कार्य ना होने तथा दलित के नाम पर बार-बार मेयर सुमनबाला पर तेज-तेज चिल्लाकर अपनी झेंप मिटाती नजर आ रही थी।
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