महेश गुप्ता
फरीदाबाद, 24 फरवरी : जिलेभर में फरीदाबाद एसडीएम का कार्यालय वाहन रजिस्ट्रेशन व ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का सबसे बड़ा कार्यालय है। इस कार्यालय में यदि हर रोज 200 नए ड्राइविंग लाइसेंस भी बनते हैं तो करीब 100 पुराने लाइसेंस रिन्यू होते हैं। इसके अलावा हर रोज गुम हुए या चोरी हुए करीब 50 डुप्लीकेट लाइसेंस व आरसी भी निकलती हैं। यही नहीं, नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के अलावा करीब 200 वाहनों के दूसरे काम भी निपटाए जाते हैं। इसमें वाहनों का मालिकाना हक हस्तांतरण, डुप्लीकेट आरसी, एनओसी चढ़वाना, लोन कैंसिल करवाना, सीएनजी किट चढ़वाना सरीखे काम भी होते हैं। इसके अलावा हर रोज करीब 150 नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन भी इसी कार्यालय में होता है। इन सभी कार्यों के लिए यहां सिर्फ दो ही सरकारी कर्मचारी तैनात है, जो इन सभी कामों की फीस काटते हंै। इस कार्यालय में मुख्य अधिकारी के तौर पर एसडीएम की तैनाती सरकार की ओर से की गई है, जो सभी नए कार्यों पर अपने हस्ताक्षर करता है। यह बात अलग है कि उक्त अधिकारी ने ज्यादा काम के लोड के कारण अधिकतर कार्यों के लिए अपने अधीनस्थ उप-अधीक्षक को पॉवर दी हुई हैं। इस दफ्तर में पब्लिक डीलिंग के नाम पर सोमवार से शुक्रवार के कार्य दिवस फिक्स हैं। इन दिनों सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक का समय आम लोगों के लिए निश्चित किया हुआ है। लेकिन दलालों का बोलबाला इतना है कि पब्लिक डीलिंग के समय के साथ-साथ दोपहर एक बजे के बाद तो उनका ही साम्राज्य स्थापित हो जाता है व यह कार्य लगभग 5 बजे तक बदस्तूर जारी रहता है या यह कहिए कि दलालों के आने तक चालू रहता है। यह सब भ्रष्टाचार के लिए ही किया जाता है, यानी मोटे तौर पर सीटों के हिसाब से साइन का रेट फिक्स है।
एसडीएम कार्यालय में भ्रष्टाचार की शुरूआत फीस क्लर्क से होती है। यहां पर दलाल की सबसे पहले दस्तक होती है। इसके बाद शुरू होता है चढ़ावा चढ़ाने का खेल। चढ़ावे का माल क्लर्कों को तो ऐसा लगता है कि वे दलाल को भगवान गणेश की संज्ञा देने लगते हैं। वहीं, पब्लिक की जमा हो चुकी उन फाइलों में कमी निकालने का दौर भी शुरू हो जाता है, जिन्हें किसी भी दलाल के मार्फत यहां पर नहीं लाया गया है। राइटिंग पैड पर बाकायदा ऐसे लोगों की पेंसिल की सहायता से कच्ची लिस्ट तैयार की जाती है। जिसके बाद उन्हें फाइलों में कमी बताकर दफ्तर से भगा दिया जाता है तथा इनकी फीस वे नहीं काटते। इसके बाद इन लोगों को मजबूरी में दलालों की शरण में ही पहुंचना पड़ता है। इस टोकन टैक्स क्र्लक ने कुछ मोटे दलालों को उधार की सुविधा भी दी हुई है जिसका भुगतान ये दलाल लगभग दोपहर दो बजे करते है जिसका लेखा-जोखा इस बाबू कि मेज पर रखे नोट पैड पर होता है। अगर दो बजे से पहले इस बाबु का कैश चैक किया जाए तो लाखों रूपयों का सरकारी कैश कम मिलेगा अगर इसी बीच किसी दलाल के साथ कोई हादसा हो जाए तो इस कमी का भुगतान कौन करेगा? दलालों को दी गई इस सुविधा के बदले यह बाबु उनसे कुछ ज्यादा सुविधा शुल्क वसुलता है। यहां पर तैनात फीस क्लर्क पूरे दिन में करीब 600 रसीद काट चुका होता है। जिसमें से करीब 400 पर्चियां दलालों की होती हैं। इस कार्यालय में दलाली के रेट, जो फीस क्लर्क द्वारा तय किए गए हैं, उन्हें देखा जाए तो हर किसी की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। न्यू पंजीकरण के लिए दलालों से प्रति पर्ची 100 रुपये लिए जाते हैं तो पुराने वाहनों से संबंधित पर्ची पर दलालों से 50 रुपये लिए जाते हैं। इस सबसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि साधारण तौर से सरकारी रसीद काटने वाला बाबू हर रोज कितनी ऊपरी कमाई यहां पर कर लेता है। यही सब इस बात का सबूत हैं कि यहां रसीद काटने वाले बाबू से लेकर उप-अधीक्षक तक सब कुछ सैट है, यानी सभी के रेट तय हैं। अगर आपको यकीन नहीं होता तो पहुंच जाएं, सेक्टर 12 के एसडीएम कार्यालय और शुरू करवा दें अपनी ड्राइविंग लाइसैंस या फिर आरसी की कोई भी फाइल। जब आप चार दिन चक्कर काट कर थक जाएंगे तो खुद ही दलाल को ढूंढने लगेंगे और यही सब करना आपकी मजबूरी भी होगा। इस बारे में एसडीएम पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं या उनकी जानकारी से हो रहा है। लेकिन, उनके नाम पर जो खेल चल रहा है, वह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। यानि, निचले स्तर पर सब कुछ मिलीभगत से हो रहा है और यह सब काम कार्यालय के मुखिया एसडीएम को अंधेरे में रख कर या उनकी शह से इन भ्रष्ट कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। इसका खुलासा जल्द ही किया जाएगा।