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1952 में भारतवर्ष में पहली बार हुआ था मतदान: राजीव रंजन

मैट्रो प्लस से जस्प्रीत कौर की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 2 मार्च: सैक्टर-12 के कन्वेंशन सेंटर में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन जोडऩे बारे जागरूकता कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों, उद्योगपतियों तथा कर्मचारियों को संबोधित किया गया। कार्यशाला में गुरूग्राम व फरीदाबाद के उद्योगपतियों के अलावा तकनीकी विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भी भाग लिया। कार्यशाला में जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त अतुल कुमार द्विवेदी, अतिरिक्त उपायुक्त धमेंद्र सिंह, एसडीएम फरीदाबाद सतबीर मान, एसडीएम बल्लभगढ़ त्रिलोकचंद, एसडीएम बडख़ल बैलीना, डीआरओ डॉ० नरेश कुमार, डीडीपीओ जरनैल सिंह, चुनाव तहसीलदार दिनेश कुमार तथा कार्यशाला से जुड़े विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।
इस मौके पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी हरियाणा राजीव रंजन ने कहा कि देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम से तीन बार लोकसभा आम चुनाव और विभिन्न प्रांतों की विधानसभा के 113 बार चुनाव करवाए जा चुके हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी जोड़ी गई हैं। जिसमें वोट डालने व चुनाव चिन्ह संबंधी जानकारी दिखाई देगी, इसलिए मतदाताओं को ईवीएम व वीवीपैट मशीन की कार्यप्रणाली के संबंध में अधिक से अधिक जानकारी दी जाए।
इस अवसर पर राजीव रंजन ने कहा कि 1952 में भारतवर्ष में पहली बार मतदान हुआ था। उस दौरान अलग-अलग प्रत्याशियों के अलग-अलग बक्सों में मतदाता मत डालते थे। इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग ने परिवर्तन करके चुनाव के सभी प्रत्याशियों का एक बैलट पेपर तैयार करके बैलट पेपर के माध्यम से मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। इसके उपरांत 1989 में लोकसभा में ईवीएम के लिए कानून बनाया गया। उन्होंने कार्यशाला में बताया कि ईवीएम में कोई भी इंटरनेट, वाईफाई कनेक्टिविटी नहीं है और न ही अन्य किसी तरीके से ईवीएम की कार्यप्रणाली को प्रभावित किया जा सकता है। प्रत्येक ईवीएम मशीन का पासवर्ड व नंबर होता है, जो बदला नहीं जा सकता। ईवीएम मशीन में सॉफ्टवेयर चीप भी होती है। ईवीएम का चुनाव रिहर्सल तथा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से मतदान प्रक्रिया और मतगणना प्रक्रिया तक अलग-अलग कार्यों में अलग-अलग जांच अलग-अलग अधिकारियों द्वारा की जाती है। ईवीएम में तकनीकी खराबी की गुंजाइश कम होती है, लेकिन अगर हो जाए तो दूसरी ईवीएम स्पेयर रहती है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान मॉक पॉल राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों व एजेंटों के बीच में करवाया जाता है। मतदान प्रक्रिया की पूरी वीडियों रिकॉर्डिंग भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार की जाती है। मतदान होने के उपरांत ईवीएम में लगभग सात आठ लोगों के द्वारा सील लगाकर उस पर साइन किया जाता है और स्ट्रांग रूम की पूर्ण रूप से सुरक्षा होती है। मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम तक ले जाने के लिए पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। साथ ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशियों के एजेंटों को भी साथ ले जाया जाता है। उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन बारे अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जाए। अबकी बार ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन को भी जोड़ा गया है, जिसमें मतदान के बाद एक स्लिप निकलती है। इसमें मतदाता को सात सैकेंड तक स्क्रीन पर वोट डाले जाने संबंधी जानकारी दिखाई देती है। बाद में यह स्लिप सुरक्षित बाक्स में चली जाती है।
इस मौके पर अतिरिक्त उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यह ट्रेनिंग जिला के अधिकारियों के लिए चुनाव के समय काफी सहायक सिद्ध होगी। उम्मीद है कि उद्योगपति तथा अधिकारी लोगों को ईवीएम व वीवीपैट के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने बारे सक्षम हो गए हैं।


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