मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
– प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन का मेंबर होने के बावजूद कर रहे हैं अपने आपको असहाय और अकेला खड़ा महसूस
फरीदाबाद, 28 मार्च: अभिभावक एकता मंच ने जहां प्राईवेट स्कूलों पर स्कूल प्रांगण में सीबीएसई व शिक्षा विभाग के निर्देशों के विपरीत स्टेशनरी की दुकानें खुलवाकर अभिभावकों को जबरदस्ती मंहगे दामों पर किताब-कॉपी, वर्दी आदि बेचकर लूटने का आरोप लगाया हैं। वहीं इस मामले में अभी तक किसी भी प्राईवेट स्कूल की एसोसिएशन ने इन आरोपों का जबाव नहीं दिया है, चाहे वह CBSE से मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों की एसोसिएशन हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्ज कांफ्रेंस (HPSC) हो या फिर हरियाणा शिक्षा बोर्ड से संबंधित प्राईवेट स्कूलों की अन्य एसोसिएशनें। सभी एसोसिएशनों ने इस मामले में चुप्पी साधे हुई है। इसके चलते प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन का मेंबर होने के बावजूद भी अपने आपको असहाय और अकेला खड़ा महसूस कर रहा है।
ध्यान रहे कि स्कूलों में इस समय एडमीशन का समय चल रहा है। ऐसे में एक बार फिर से लगभग वो सभी संगठन सक्रिय हो गए हैं जोकि इन प्राईवेट स्कूलों पर कभी फीस बढ़ोतरी तो कभी स्कूलों में स्टेशनरी की दुकानें अवैध रूप से खोलने आदि जैसे आरोप लगाते रहते हैं, और आरोप लगने शुरू भी हो चुके हैं।
मजेदार बात तो यह कि शहर के प्राईवेट स्कूलों की बनी चंद एसोसिएशनों ने शायद ही कभी इन संगठनों के आरोपों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की हो चाहे वो सीबीएससी से मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों की एसोसिएशन हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल्ज कांफ्रेंस (HPSC) हो या फिर हरियाणा शिक्षा बोर्ड से संबंधित प्राईवेट स्कूलों की अन्य एसोसिएशन। यहां हर कोई अपनी दुकानदारी चलाने में लग रहा है चाहे वो इनमें से कोई हो। वहीं इनकी राजनीति का शिकार होना पड़ता है अभिभावकों को या फिर उन स्कूलों को जिन स्कूलों को इनकी एसोसिएशन छोटा-मोटा स्कूल मानती है। बड़े स्कूल तो किसी की परवाह ही नहीं करते हैं और ये एसोसिएशन भी उनकी लल्लो-चप्पो करने में लगी रहती हैं।
अब हम फिलहाल बात करते हैं प्राईवेट स्कूलों में खुली स्टेशनरी की उन दुकानों की जिनको अभिभावक एकता मंच ने गैर-कानूनी करार दिया है। मंच के इस आरोप को अभी तक संभवत: जब किसी भी प्राईवेट स्कूल की एसोसिएशन ने खारिज या कहिए गलत करार नहीं दिया तो अब इस मामले में कुछ प्राईवेट स्कूलों ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है। वो बात अलग है कि वो फिलहाल इस मामले में अलग से खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं।
इन चंद स्कूलों ने उक्त संदर्भ में मैट्रो प्लस में प्रसारित निम्न खबर को लेकर कहा है कि अभिभावक एकता मंच का ये आरोप बे-बुनियाद है कि प्राईवेट स्कूल अपने परिसर में स्टेशनरी की दुकान नहीं खोल सकते। इनका कहना था कि सीबीएसई द्वारा 21 जून, 2018 को जारी सर्कुलर नंबर -08/2018 व पत्रांक नंबर CBSE/AFF/सर्कुलर/2018/1393058 में स्पष्ट तौर पर स्कूलों को अधिकार/परमिट दिया गया है कि वो अपने स्कूल परिसर में छात्रों की सुविधा के लिए टक शॉप (स्मॉल आऊटलेट) खोल सकते हैं,जिसमें कि स्कूल प्रबंधन स्कूल परिसर में Tuck Shop खुलवा कर उसमें NCERT और Non-ncert की किताबें, स्टेशनरी, यूनिफार्म जैसा सामान बेच सकता है।
सीबीएसई ने यह सर्कुलर माननीय दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा WP(C) 7417/2017 तथा C.M. No. 30616/2017 और 30617/2017 में एसोसिएशन ऑफ स्कूल वेंडर्स एंड अन्य V/s सैंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन एंड अन्य तथा WP No. 10052/2017 और C.M. No. 41018/2017 में पेरेंट्स स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन बनाम डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन एंड अन्य नामक याचिकाओं की सुनवाई के बाद जारी किए गए आदेशों के संदर्भ में जारी किया था। इसी के साथ सीबीएसई ने उक्त सर्कुलर के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के तहत ही इस संदर्भ में अपने पूर्व में जारी किए गए सर्कुलर नं CBSE (Affiliation)-10, 16 तथा 16A जोकि 19-04-2017, 25-08-2017 तथा 28-12-2017 को वापिस ले लिया था।
ध्यान रहे कि CBSE ने 21 जून, 2018 को जारी अपने सर्कुलर नंबर -08/2018 व पत्रांक नंबर CBSE/AFF/Circular/2018/1393058 में साफ तौर पर स्कूलों को अधिकार/परमिट दिया है कि वो अपने स्कूल परिसर में छात्रों की सुविधा के लिए टक शॉप (स्मॉल आऊटलेट) खोल सकते हैं। इसके तहत स्कूल प्रबंधन स्कूल परिसर में टक शॉप खोलकर उसमें एनसीईआरटी और नॉन एनसीईआरटी की किताबें, स्टेशनरी, यूनिफार्म जैसा सामान बेच सकता है।
स्कूल एसोसिएशनों से अलग हटकर इस मामले में चंद निजी स्कूलों के प्रिंसीपल ने बताया कि उनके स्कूलों में सीबीएसई के निर्देशानुसार छात्रों की सुविधा के लिए टक शॉप खुली हुई हैं जहां कि छात्रों व अभिभावकों को मार्किट से भी कम दामों पर किताब-कॉपी, वर्दी आदि दी जाती हंै ताकि उनको मार्किट में धक्के नहीं खाने पड़ें। जहां तक लूटने की बात है तो ऐसा नही है कि सारे स्कूल एक जैसे हों। यदि कोई स्कूल बाजार से मंहगे दामों पर स्कूल के अंदर किताब-कॉपी, वर्दी आदि बेचता है तो वो गलत है। लेकिन ऐसा करने वाले दो-चार नामी-गिराती स्कूलों के लिए सब स्कूलों पर लूटने का आरोप लगाना भी गलत है।
स्टेशनरी के नाम पर अभिभावकों को लूटने में लगे हैं प्राइवेट स्कूल