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ललित नागर टिकट विवाद: दोहराया जा सकता है सन् 2000 का इतिहास!

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की विशेष रिपोर्ट
फरीदाबाद, 19 अप्रैल: फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से विधायक ललित नागर को अपना उम्मीदवार क्या बनाया, चारों ओर से उनके खिलाफ बगावत की आवाज उठने लगी। चाहे वह करण दलाल हो, अवतार भड़ाना हो, जे.पी. नागर हो, महेन्द्र प्रताप हो, यशपाल नागर हो या फिर विजय प्रताप, इन सभी दिग्गज नेताओं ने ललित नागर के खिलाफ अपने-अपने हथियारों में धार लगानी शुरू कर दी है। विजय प्रताप तो खुले में ही ललित नागर के विरोध में उतर आए हैं। आए भी क्यों ना, जिस तरीके से कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के विभिन्न गुटों में बंटे नेताओं को एक मंच पर लाने और लोकसभा चुनावों में टिकट बंटवारे के लिए बनाई गई कॉर्डिनेशन कमेटी को ही दरकिनार कर पैराशूट से फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से एक ऐसे व्यक्ति को पार्टी टिकट थमा दी जिसको कि तिगांव से बाहर कोई जानता ही नहीं है। तो ऐसे में कैसे कांग्रेस केन्द्र में सरकार बनाने का सपना देख सकती है।
शायद यही कारण है कि ललित नागर को अपनी टिकट कटने का डर सताने लगा है और वो उपरोक्त नेताओं के दरवाजे पर शरणागत हो उन्हें मनाकर उनका आर्शीवाद लेने के लिए भागदौड़ करने में लगे हुए हैं। वो बात अलग है कि ललित नागर को शरणागत होने के बाद भी इन दिग्गजों से कोई सहायता या आश्वासन तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं उपरोक्त कारणों के चलते ही शायद ललित नागर ने अपने नामांकन की तारीख 22 अप्रैल रखी है ताकि तब तो जो होना हो, हो जाए।
वहीं फरीदाबाद में कांग्रेस पार्टी में चल रहे इस भारी अंतर्विरोध की खबर कांग्रेस आलाकमान तक भी पहुंच गई है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि आलाकमान आजकल में ही फरीदाबाद की टिकट पर अपना फैसला बदलकर सन् 2000 के इतिहास को दोहराते हुए टिकट बदलकर किसी ओर को भी दे सकता है।
इतिहास दोहराने की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि अन्य राजनैतिक पार्टियों सहित कांग्रेस में ऐसा होता आया है कि ऐन वक्त पर नामांकन से पहले या बाद में पार्टी उम्मीदवार बनाए गए प्रत्याशी की टिकट बदलकर किसी ओर को थमा दी जाती रही है, चाहे इसके कारण कुछ भी होते हों। अतीत के झरोखे में झांका जाया जाए तो आपको ध्यान होगा कि सन् 2000 में हुए हरियाणा के विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने अपने 90 उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी की थी। कांग्रेस ने उस समय दो फरवरी, 2000 को तत्कालीन फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र-51 से ज्ञानचंद आहूजा को कांग्रेस की टिकट दी थी। उस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा थे और प्रदेश प्रभारी मोतीलाल वोहरा। पार्टी टिकट मिलने पर ज्ञानचंद आहूजा ने उस समय सोनिया गांधी से मिलकर उनका व्यक्तिगत धन्यवाद करते हुए हजारों समर्थकों के साथ तीन फरवरी को अपना नामांकन भी भर दिया था। लेकिन होनी को कुछ ओर ही मंजूर था। कांग्रेस आलाकमान ने आहूजा के नामांकन पत्र भर देने के बावजूद नामांकन भरने का समय समाप्त होने से करीब एक घंटा पहले तीन फरवरी को ही राजनैतिक कारणों के चलते ज्ञानचंद आहूजा की टिकट काटते हुए उसे बदलकर ए.सी.चौधरी को यहां से अपना उम्मीदवार बना दिया। बताते हैं कि उस समय भजनलाल के कहने पर कांग्रेस हाईकमान ने ज्ञानचंद आहूजा सहित प्रदेश भर में कई टिकटों में बदलाव किया था जिनमें हसनपुर विधानभा क्षेत्र (सुरक्षित)-55 से उदयभान की टिकट बदलकर रातरतन को और सफीदों विधानसभा-50 से कमल शर्मा की टिकट बदलकर बच्चन सिंह आर्य को दे दी गई थी। मजेदार बात तो यह कि उस समय आजाद उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर चुके उदयभान ने जहां चुनावों में जीत हासिल की वहीं बदले गए ए.सी. चौधरी, रामरतन व बच्चन सिंह आर्य तीनों कांग्रेस पार्टी के नए उम्मीदवार बुरी तरह हारे थे।
अब बात करते है सन 2019 में हो रहे लोकसभा चुनावों की तो कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा में 12 मई को होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर फरीदाबाद लोकसभा सीट से तिगांव क्षेत्र के विधायक ललित नागर पर भरोसा या कहिए दबाव में अपना पार्टी उम्मीदवार बनाया है। जिसकी खिलाफत लगातार होती देखी जा सकती है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि फरीदाबाद लोकसभा से ललित नागर को मिली कांग्रेस टिकट में भी उसी तरह बदलाव हो सकता है जिस तरह एक बार हरियाणा विधानसभा के चुनावों में फरीबादाद विधानसभा-51 से ज्ञानचंद आहूजा को मिली कांग्रेस की टिकट रातोंरात बदल कर ए.सी. चौधरी को दे दी गई थी।
वैसे इस बात के कम ही चांस हैं कि टिकट बदल दी जाएं क्योंकि जिस वाड्रा परिवार के निर्देशों से ललित नागर को टिकट मिली हैं उस परिवार को ललित नागर व उसके भाई महेश नागर पिछले कई सालों से जमीनी सौदों में आर्थिक फायदा पहुंचाते आ रहे हैं।
अब होता क्या है, यह तो भविष्य के गर्भ में हैं।


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