-मनधीर मान को हो चुकी है दो-दो केसों में सजा
– हलफनामे में नहीं दी अपराधिक केसों और सजा की जानकारी
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 4 मई: एक नहीं बल्कि दो-दो केसों में सजा होने के बावजूद भी चुनाव आयोग को अंधेरे में रखकर अपने अपराधिक केसों से संबंधित जानकारी छिपाना बसपा प्रत्याशी मनधीर सिंह मान को महंगा पड़ सकता है। ऐसे गंभीर मामले में चुनाव आयोग को गलत शपथ पत्र/हलफनामा देने पर उनका नामांकन रद्द होने के साथ-साथ उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी हो सकती है।
काबिलेगौर रहे कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए अपने आदेशों में कहा हुआ है कि चुनाव लडऩे वाले हर उम्मीदवार को अपने बारे में पूरी जानकारी फार्म-26 में एक शपथ-पत्र के माध्यम से जिला चुनाव अधिकारी को देनी होगी। इसमें उसकी जमीन-जायदाद सहित अपने ऊपर चल रहे अपराधिक केसों की पूरी जानकारी होगी। साथ ही, उसे अपने ऊपर चल रहे अपराधिक केसों की जानकारी मीडिया के माध्यम से भी तीन बार में लोगों/जनता के सामने सार्वजनिक करनी होगी। लेकिन मनधीर मान ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के इन आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी को गलत हलफनामा जमा कराकर पार्टी सिम्बल ले लिया। मैट्रो प्लस द्वारा यह केस उजागर किए जाने के बाद अब यह मामला मनधीर मान के गले की फांस बन सकता है।
चुनाव कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार के तौर पर सीही गांव निवासी 43 वर्षीय मनधीर सिंह मान (फार्म-26/ शपथ-पत्र में केवल मनधीर) ने अपना नामांकन भरा हुआ है। इस नामांकन पत्र में दिए गए अपने सत्यापित शपथ पत्र के पार्ट-ए के क्रमांक न०-5 व 6 में 11वीं क्लास तक पढ़े मनधीर सिंह मान ने लिखा है कि उनके खिलाफ ना तो कोई क्रिमनल/अपराधिक केस पेंडिंग है और ना ही उन्हें किसी मामले में सजा हुई है। इसके अलावा किसी कोर्ट में उनके खिलाफ कोई अपराधिक मामला भी विचाराधीन नहीं है। बसपा उम्मीदवार मनधीर सिंह मान द्वारा इस संबंध में चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्र को आप इस खबर के आखिर में पढ़ सकते हैं जिसमें सब कुछ साफ-साफ लिख हुआ है।
जबकि वास्तव में देखा जाए तो मनधीर मान का यह शपथ पत्र सच्चाई से कोसों दूर है। मैट्रो प्लस के पास इस संबंध में वो सभी जरूरी दस्तावेज मौजूद है जो यह साबित करते हैं कि फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार मनधीर सिंह मान को 20-21 मार्च, 2018 को एक नहीं बल्कि दो-दो क्रिमनल केसों में 45-45 लाख रूपये की रकम का Compensation Amount भरने के साथ-साथ तीन-तीन महीने की सजा भी सुनाई जा चुकी है। हाल-फिलहाल ये दोनों केस अपील में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तथा जिला सेशन कोर्ट फरीदाबाद में विचाराधीन हैं। हाईकोर्ट में जहां इस मामले में एमाऊंट को लेकर बहस होनी है वहीं सेशन कोर्ट में की गई अपील में 12 मई को हरियाणा में होने वाले लोकसभा चुनाव के मतदान से दो दिन बाद यानि 14 मई को बहस होनी हैं। यदि सेशन कोर्ट इस मामले में मनधीर मान की अपील को डिसमिस कर देती है तो उन्हें उसी दिन तीन महीने के लिए जेल की हवा खाने जाना पड़ेगा। क्योंकि सेशन कोर्ट द्वारा अपील डिसमिस किए जाने के बाद इसकी अपील हाईकोर्ट में होगी और जब तक वहां से उनकी जमानत नहीं होगी तब तक उन्हें जेल में ही रहना पड़ेगा। अब देखना यह यह कि 14 मई को सेशन कोर्ट बहस के बाद क्या फैसला करती है। फिलहाल मनधीर मान सेशन कोर्ट से जमानत पर हैं।
वहीं सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेशानुसार जिला चुनाव अधिकारी को गलत हलफनामा देने पर बसपा उम्मीदवार मनधीर सिंह मान का नामांकन रद्द होने और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही किए जाने की संभावना बनी हुई हैं जोकि उनका राजनैतिक कैरियर खत्म कर सकती हैं। इस बारे में मनधीर सिंह मान से कई बार सम्पर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात ना हो सकी।
क्या कहते है सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग के आदेश:-
सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक इंट्ररेस्ट फाऊंडेशन एंड अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एंड अन्य नामक केस W.P. (सिविल) न.-536 of 2011 में गत् 25 सितंबर, 2018 को दिए गए अपने आदेशों में साफ तौर पर कहा है कि सभी उम्मीदवार अपने ऊपर चल रहे अपराधिक मुकदमें चाहे वह पेंडिंग हों या फिर सजा का मामला हो, ऐसे मामलों में उम्मीदवार को अपने ऊपर चल रहे अपराधिक केसों और सजा की जानकारी अखबारों और टेलीविजन के माध्यम से तीन बार अलग-अलग नामांकन वापिस लेने की अंतिम तारीख से पहले तथा मतदान/पोलिंग से दो दिन पहले तक सार्वजनिक करनी होगी। इसमें उम्मीदवार को अपने नामांकन पत्र के फार्म-26 के क्रमांक 5 व 6 में भरे गए कॉलम के अनुसार ही अपने चुनाव क्षेत्र में इसकी जानकारी तीन बार अखबार और टेलिविजन के माध्यम से फार्म/शपथ पत्र में दिए गए Format के अनुसार सार्वजनिक करनी होगी। साथ ही साथ इसकी कॉपियां जिला चुनाव अधिकारी के पास इस पर आए खर्चे को चुनावी खर्चे के साथ जोड़कर जमा करानी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इन्हीं आदेशों को चुनाव आयोग ने 10 अक्टूबर, 2018 को अपने पत्र क्रमांक 3/ER/2018/SDR के तहत अमल में लाते हुए दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं।