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विजय प्रताप की धर्मपत्नी वेणुका प्रताप खुल्लर ने किया कलश यात्रा का शुभारंभ

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News,18 नवम्बर:
यदि कोई भगवद् गीता का सारांश यथार्थ रूप से समझने में सक्षम हो तो वह परम सत्य का अनुभव कर राग बंधन की भ्रान्ति व संसार के दुखों में से मुक्त हो सकता है। अर्जुन ने भी महाभारत का युद्ध लड़ते हुए सांसारिक दुखों से मुक्ति प्राप्त की थी। उक्त वक्तव्य एसजीएम नगर 22 फीट रोड़ पर राधा कृष्ण मंडल के तत्चाधान में मुख्य प्रबंधक एवं शिक्षाविद भारत भूषण आर्य द्वारा आयोजित भागवद कथा में कांग्रेसी नेता विजय प्रताप की धर्मपत्नी वेणुका प्रताप खुल्लर ने कहे।
इस अवसर पर विशेष तौर पर कांग्रेस नेता विवेक प्रताप सिंह की धर्मपत्नी दीप्ती प्रताप सिंह भी उपस्थित थी। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिए गए दिव्यचक्षु के कारण ही यह संभव हो सका और इसी दिव्यचक्षु के कारण अर्जुन कोई भी कर्म बांधे बिना युद्ध लडऩे में सक्षम बने और उसी जीवन में मोक्ष प्राप्त किया। उन्होंने विधिविधानपूर्वक पूजा अर्चना की और कलश उठाकर यात्रा का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर कथा वाचक पं० रोशनलाल वशिष्ठ बठैन ने आए हुए भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गीता में कृष्ण भगवान दो ही शब्द कहना चाहते हैं। वे दो शब्द लोगों की समझ में आ सकें, ऐसा नहीं है। इसलिए गीता का इतना बड़ा स्वरूप दिया और उस स्वरूप को समझने के लिए लोगों ने फिर से विवेचन लिखे हैं। कृष्ण भगवान ने खुद कहा है कि मैं जो गीता में कहना चाहता हूं उसका स्थूल अर्थ एक हजार में से एक व्यक्ति समझ सकेगा। ऐसे एक हजार स्थूल अर्थ समझने वाले व्यक्तियों में से एक व्यक्ति गीता का सूक्ष्म अर्थ समझ सकेगा। ऐसे एक हजार सूक्ष्म अर्थ समझने वालों में से एक व्यक्ति सूक्ष्मतर अर्थ को समझ सकेगा। ऐसे एक हजार सूक्ष्मतर अर्थ को समझने वालों में से एक व्यक्ति गीता का सूक्ष्मतम अर्थ अर्थात् मेरा आशय समझ सकेगा। कृष्ण भगवान क्या कहना चाहते थे कि वही एक उसे समझ सकेगा। अब इस साढ़े तीन अरब की बस्ती में कृष्ण भगवान को समझने में किसका नंबर लगेगा कृष्ण भगवान जो कहना चाहते थे वे दो ही शब्दों में कहना चाहते थे। उसे तो जो खुद कृष्ण बन चुका हो वही समझ सकता है और कह सकता है अन्य किसी का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि आज हम खुद कृष्ण आए हैं, तुझे तेरा जो काम निकालना हो वह निकाल ले। कृष्ण क्या कहना चाहते हैं। व्यक्ति मर जाए तब कहते हैं न कि अंदर से चले गए। वह क्या है। वह माल है और यहां पड़ा रह जाता है, वह पैकिंग है। इन चर्मचक्षुओं से दिखता है वह पैकिंग है और अंदर माल है, मटीरियल है। देयर आर वेराइटीज ऑफ पैकिंग्स। इससे पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें सैंकड़ों महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस अवसर पर मुख्य प्रबंधक भारत भूषण आर्य, प्रधान शिवचरण गर्ग, विनोद कौशिक, सुरेन्द्र दुगगल, राव रोहताश, जयपाल चंदीला, विष्णु अग्रवाल, विष्णु सिंगला, ओमप्रकाश सिंगला, जयपाल सिंगला, हरि किशन खटाना, ओमप्रकाश गौड़, परवीन भाटी, मूलचंद गर्ग, हुकम बंसल, लोकेश गुप्ता, रामनिवास गर्ग, श्यामसुन्दर गोयल, इन्द्रपाल गुप्ता, धर्मबीर भड़ाना, दौलत भाटी, धर्मबीर शर्मा एवं रामअवतार शर्मा आदि लोग मुख्यरूप से उपस्थित थे।


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