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क्या बंद हो सकेंगी प्राईवेट स्कूलों में प्राईमरी कक्षाएं, HPSC की कार्यप्रणाली पर भी उठे सवाल!

शिक्षा निदेशालय के आदेश व्यवहारिक नहीं, बच्चों का भविष्य खतरे में।
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
फरीदाबाद, 4 दिसम्बर:
एडमीशनों के इस मौसम में प्रदेशभर के मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों चाहे वह सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हो या फिर हरियाणा बोर्ड से, में चलाई जा रही नर्सरी, एलकेजी व यूकेजी कक्षाओं को अवैध बताकर उन्हें बंद कराने के आदेश जारी की जहां हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशालय ने स्कूल संंचालकों की लूट-खसोट पर लगाम लगाने की कोशिश की हैं, वहीं उन अभिभावकों में अपने बच्चों के शैक्षणिक भविष्य को लेकर उहापोह की स्थिति पैदा कर दी हैं जिनके बच्चे या तो इन कक्षाओं में पढ़ रहे है या फिर उन्होंने मोटी रकम/चंदा देकर अगले शैक्षणिक सत्र में उनके एडमीशन करा दिए हैं। अभिभावकों के सामने समस्या यह आ रही है कि शिक्षा निदेशालय के आदेशों के बाद यदि उपरोक्त कक्षाएं बंद हो जाती हैं तो फिर उनके बच्चे कहां जाएंगे, जिसके संशय का फायदा सीधे-सीधे प्राईवेट स्कूल संचालक उठाने की कोशिश में हैं।
वहीं, हरियाणा के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राईवेट स्कूलों की एसोसिएशन Haryana Progressive Schools Conferences (HPSC) भी इस मामले में अभी तक चुप्पी मारे बैठी है या कह सकते हैं कि गांधी जी के तीन बंदरों की तरह गुंगी-बहरी-अंधी हुई पड़ी है। कारण, कांफ्रेस के पदाधिकारियों ने हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशालय के उक्त आदेशों के जारी होने के बाद से अभी तक ना तो उक्त आदेशों को गलत बताया है और ना ही इसका कोई खंडन किया है।
जबकि चंद स्कूल संचालकों का इस बारे में कहना है कि शिक्षा निदेशालय के ये आदेश व्यवहारिक नहीं हैं जिस पर अमलीजामा पहनाना प्रशासन व सरकार दोनों के लिए आसान नहीं है। इनका कहना है कि सरकार व प्रशासन को ये कक्षाएं बंद कराने से पहले इन कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य खराब ना हो। साथ ही उन्होंने एचपीएससी को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि एचपीएससी के पदाधिकारी एसोसिएशन के सदस्य स्कूलों के भले की बजाए राजनेताओं की चापलुसी में लगे रहते हैं, जिस कारण धीरे-धीरे एचपीएससी का आस्तित्व समाप्त होता जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार के बाद अब अभिभावक एकता मंच ने भी शिक्षा निदेशक के हवाले से इस मामले में कहा है कि शिक्षा नियमावली के तहत प्राइवेट स्कूलों को मान्यता सिर्फ कक्षा एक से प्रदान की जाती है। अत: इससे पहले चलाई जा रही कथाएं नियमानुसार गलत हैं। मंच का कहना है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मंच द्वारा लगाई गई एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि वह प्राइवेट स्कूलों को मान्यता कक्षा एक से प्रदान करता है उससे पहले चलाई जाने वाली नर्सरी, केजी, यूकेजी की कक्षाओं से सीबीएसई का कोई लेना-देना नहीं है।
अभिभावक एकता मंच का कहना है कि अब तो मौलिक शिक्षा निदेशक हरियाणा की ओर से सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए आदेश पत्र में भी यह कहा गया है कि प्रदेशभर में चल रहे सभी 8500 प्राइवेट स्कूलों में चल रही नर्सरी, केजी, एलकेजी की कथाएं पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने इन कक्षाओं को तुरंत बंद कराने के आदेश भी दे दिए हैं।
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व जिला सचिव डॉ. मनोज शर्मा ने कहा है कि मंच पहले से ही इस मुद्दे पर आवाज उठाता रहा है। स्कूल प्रबंधक सबसे ज्यादा लूटमार नर्सरी, केजी, कक्षाओं के दाखिले में ही करते हैं। नर्सरी, केजी दाखिला में 50 हजार से सवा लाख रुपए वसूलते हैं। दाखिला फार्म ही 500 से 1000 में बेचते हैं। इसी में ही हज़ारों/लाखों रुपए कमा लेते हैं। दाखिले के समय बच्चे के साथ-साथ उनके मां-बाप का भी इंटरव्यू लेते हैं। जिस बच्चे के मां-बाप आर्थिक दृष्टि से संपन्न हैं और पढ़े-लिखे हैं, उनके बच्चों को ही दाखिला देते हैं। गरीब, मध्यम वर्ग के अभिभावकों को तो दाखिला फार्म भी नहीं देते हैं। स्कूल प्रबंधक अभिभावकों की आकांक्षा व मजबूरी का भरपूर फाया उठाते हैं।
कैलाश शर्मा का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी हमेशा प्राइवेट स्कूलों की सशक्त लॉबी के दबाव में रहते हैं। इसके अलावा सांसद, विधायक का पूरा संरक्षण स्कूल प्रबंधकों को मिला हुआ है। ऐसी हालात में मौलिक शिक्षा निदेशक के आदेश पर स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारी कितना अमल कर पाते हैं, यह देखना बाकी है।


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