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MCF के भ्रष्ट्र अधिकारियों की हो सकती है सम्पति की जांच!

निगमायुक्त यश गर्ग कैसे बढ़ा सकते हैं निगम की आय? जानिए!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
फरीदाबाद, 15 जनवरी:
एक लम्बे अरसे से कंगाली के दौर से गुजरते चले आ रहे नगर निगम फरीदाबाद यानि एमसीएफ पर चादर से बाहर पैर पसारना, आमदनी चवन्नी-खर्चा रूपया जैसी बुर्जुगों की बनाई कहावतें एकदम फिट/सटीक बैठती हैं। नगर निगम की मासिक आय करीब 15 करोड़ है जबकि खर्चा करीब 28 करोड़ इसका जीता-जागता उदाहरण है।
काबिलेगौर रहे कि नगर निगम फरीदाबाद के भ्रष्ट्र अधिकारियों/कर्मचारियों के कारण नगर निगम का खजाना तो खाली रहता है, लेकिन इन अधिकारियों/कर्मचारियों की तिजोरियों हमेशा भरी रहती हैं। हरियाणा के पहले नगर निगम की माली आर्थिक हालत किसी से छिपी नहीं हैं। बावजूद इसके यहां का एक अधिकारी वर्ग कभी पड़ोस के नगर निगम गुरूग्राम से कर्जा लेकर तो कभी प्रदेश सरकार से वित्तीय/आर्थिक सहायता या कहिए लोन लेकर अपने अधिकारियों/कर्मचारियों की तनख्वाह देता है और अपने खर्चे का जुगाड़ करता है। अब जब प्रदेश के मुखिया यानि मुख्यमंत्री ने यह कह दिया कि अब प्रदेश सरकार हरियाणा के किसी भी नगर निगम, नगर परिषद्, नगर पालिका आदि को कोई फंड मुहैया नहीं करेगी और सभी अपने खर्चे का जुगाड़ स्वयं अपने स्तर पर करेंगे तो ऐसे में संबंधित अधिकारियों की सांसे फूल गई है।
यहीं कारण रहा कि नगर निगम फरीदाबाद के कमिश्रर यश गर्ग ने जब से निगमायुक्त के तौर पर अपना पदभार संभाला है तब से ही उन्होंने निगम की आय बढ़ाने के लिए बकायदारों से रिकवरी करने की मुहिम छेड़ रखी है। इस क्रम में वे बकायेदारों की सम्पति को लगातार सील करने का काम करवाने में लगे हुए हैं।
अगर अब बात करें नगर निगम के खजाने के भरने की तो नगर निगम फरीदाबाद में आय बढ़ाने के बहुत से स्त्रोत हैं। विभिन्न मदों में टेक्स की रिकवरी के साथ-साथ निगमायुक्त यदि निगम क्षेत्र में बिना सीएलयू के रिहायशी प्लॉटों पर रिहायशी नक्शा पास बन रही बहुमंजिला व्यवसायिक ईमारतों व होटलों, अवैध निर्माणों, इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में बिना सीएलयू के औद्योगिक प्लॉटों के हो रहे सब-डिवीजन और उन पर हो रहे अवैध निर्माणों पर ही अंकुश लगाकर यहां कोई पॉलिसी बना दे नगर निगम का खजाना लबालब भरा जा सकता। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। कारण, निगम का वो अधिकारी वर्ग ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता जोकि उपरोक्त कामों को होने देने की एवज में अवैध निर्माणकर्ताओं से मोटी रकम लेकर नगर निगम की बजाए अपनी तिजोरियों भरने में लगा रहता है।
विश्वसनीय सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के लोकल बॉडी मिनिस्टर अनिल विज और लोकल बॉडी कमिश्रर वी.उमाशंकर जोकि एक ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, ऐसे भ्रष्ट्र अधिकारियों की सम्पति की निष्पक्ष जांच किसी ईमानदार एजेंसी से करवाने की जुगत में लगे हुए हैं। जिससे कि पता चल जाएगा कि निगम को कंगाल करने वाले चंद अधिकारी कितने सैकड़ों/हजारों करोड़ की नामी-बेनामी सम्पति के मालिक बने बैठें है जिन्होंने के नगर निगम को कंगाल करके भूखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। ऐसे अधिकारियों में इंजीनियरिंग, तोडफ़ोड़, परचेज आदि मलाईदारों विभागों के चंद बड़े अधिकारी निशाने पर बताए जा रहे हैं।
यहां यह बात भी ध्यान रहे कि लोकल बॉडी मिनिस्टर अनिल विज गुरूग्राम औप फरीदाबाद के नगर निगमों के स्पेशल ऑडिट करवाने की बाद चंद दिन पहले कह चुके हैं जिससे कि यहां के चंद भ्रष्ट्र अधिकारियों की सांसें फूली हुई हैं। -क्रमश:


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