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सरकार ने एडवोकेट ओपी शर्मा के साथ किया अन्याय: सुमित गौड़

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 3 सितंबर:
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार काउंसिल चंडीगढ़ एनरोलमेंट कमेटी के चेयरमैन ओपी शर्मा की पत्नी के दाह संस्कार के लिए उनको पैरोल न दिए जाने का मामला अब तूल पकडऩे लगा है। इस मामले को लेकर हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं सचिव सुमित गौड़ ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि सरकार व प्रशासन के इस रवैये से पूरे ब्राह्मण समाज की भावनाएं आहत हुई है और यह इंसानियत के लिहाज से भी बहुत शर्मसार करने देने वाला निर्णय है। उन्होंने कहा कि देश की 36 बिरादरी का यह मौलिक अधिकार है कि अपने परिजनों की मृत्यु पर उनको जेल से दाह संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल दी जाए। मगर फरीदाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी ओपी शर्मा के मामले में जिस प्रकार सरकार व प्रशासन ने व्यवहार किया वह कतई बर्दाश्त के बाहर है।
कांग्रेसी नेता सुमित गौड़ ने इस पूरे प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे पूरी तरह से राजनीतिक बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का दबाव है और वो चाहते हैं कि ओपी शर्मा बाहर न निकलें। मगर यह पूरी तरह आम आदमी के मौलिक अधिकारों का हनन है। एक पीडि़त परिवार जिस पर पहले से ही दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो और ज्यादा मानसिक प्रताडऩा नहीं देनी चाहिए। अक्सर देखने में आता है बड़े-बड़े क्रिमिनल को भी अपने परिजनों के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल मिल जाती है, मगर एक बुद्धिजीविए वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ इस तरह का दोगला व्यवहार अमानवीयता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार घिनौनी राजनीति कर रही है और नैतिकता की सभी हदें पार कर दी हैं। उल्लेखनीय है कि ओपी शर्मा एक केस में नीमका जेल में सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी का निधन 1 सितम्बर को हो गया। जिनका दाह संस्कार मंगलवार को किया जाना था। ओपी शर्मा ने अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए जेल प्रशासन को लैटर लिखा, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद उनके परिजनों ने प्रशासन से गुहार लगाई कि श्री शर्मा को उनकी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने की परमिशन दी जाए। जिस पर प्रशासन ने बोला था कि परमिशन आपको मिल जाएगी, मगर उन्होंने परमिशन न देकर जेल सुप्रीडेंट को वापिस लैटर भेज दिया जबकि वहां से परमिशन पहले ही रिजेक्ट कर दी गई थी।
इस प्रकार जेल प्रशासन एवं प्रशासन ने पूरे मामले को जानबूझकर घुमाया और ओपी शर्मा स्वयं अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल न हो पाए। जबकि ओपी शर्मा ने वीडियों कांफ्रेंसिंग व व्हॉटसप वीडियों कॉल के जरिए भी अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन की इच्छा जाहिर की, जिसे राजनीतिक दबाव की वजह से नकार दिया गया।


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