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हुड्डा ने कहा, सरकार बिना एक पल की देरी किये तीनों कृषि कानूनों को रद्दकर किसानों की मांगों को स्वीकार करे।

मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की रिपोर्ट
फरीदाबाद, 3 दिसम्बर:
हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल के बड़े भाई की श्रद्धांजलि सभा में पुष्प अर्पित करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त कर परिवारजनों से मिलकर ढांढस बंधाया। इसके बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विनोद गोयल एक अच्छे इंसान थे जिनका इस उम्र में जाना गोयल परिवार के लिए एक बड़ी क्षति है। इसके अलावा वे विधायक नीरज शर्मा की ताई के निधन पर शोक व्यक्त करने उनके आवास पर भी गए और यहां से लखन सिंगला के चाचा के निधन पर उनके घर पहुंचकर परिवारजनों से मिलकर अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की।
भूपेन्द्र हुड्डा ने मौजूदा सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से फेल है। समाज का कोई भी वर्ग इस सरकार से खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान अपनी जायज मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहा है। सरकार को बिना एक पल की देरी किये तीनों कृषि कानूनों को रद्दकर उनकी सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने हरियाणा की गठबंधन सरकार की सहयोगी जजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव और सरकार बनते समय चेताया था कि जजपा वोट किसी की और सपोर्ट किसी और का काम करेगी, आज उनकी एक-एक बात सही साबित हुई है। हुड्डा ने कहा कि जजपा कुर्सी और किसान में फर्क नहीं कर पा रही है। निजी स्वार्थ और सत्ता के लोभ में वो कुर्सी से चिपकी हुई है जबकि उन्हें किसानों का साथ देना चाहिए। किसान की पीड़ा से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।
ेउन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार का रवैया किसानों के प्रति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। संविधान के दायरे में शांतिप्रिय ढंग से चल रहे किसान आन्दोलन को दबाने के लिए हरियाणा में शांतिपूर्ण तरीके से केंद्र सरकार से अपनी बात कहने जा रहे आंदोलनकारी किसानों पर वाटर कैनन, आँसू गैस और लाठियाँ चलाई गईं। किसानों को अपनी जायज मांग के लिए दिल्ली आने से नहीं रोकना चाहिए था। अगर किसानों को पहले ही बिना किसी रोक-टोक के आने दिया होता तो अब तक यहां पहुंच कर फैसला भी हो गया होता।
उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि सरकार किसानों पर झूठे मुकदमे दर्ज करा रही है। उन्होंने सरकार को चेताया कि जोर-जबरदस्ती से किसानों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, उनके अधिकारों को छीना नहीं जा सकता। सरकार का दमनकारी रवैया आने वाले समय में उसे महंगा पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार बेमन से बातचीत का दिखावा कर रही है और दूसरी तरफ इन तीन किसान विरोधी कानूनों को सही भी ठहरा रही है। यही कारण है कि किसानों को सरकार की बात पर भरोसा नहीं हो रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और एमएसपी से कम पर खरीदने वाले के लिए सजा का कानूनी प्रावधान जब तक नहीं होगा तब तक किसी कानून का किसानों के लिए कोई औचित्य नहीं है।


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