देखिए, वन विभाग ने अरावली में डीसी के आदेशों का कोर्ट स्टे के नाम पर कैसे उड़ाया खुलकर मजाक?
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की खास रिपोर्ट
फरीदाबाद, 20 जुलाई: हरी-भरी अरावली का सीना चीरकर उस पर बारूद और JCB चलाकर वहां आलीशान फार्म हाउस और बैंक्वट हॉल बनाने वालों की सांसें फिलहाल अधर में रुकी सी हुई हैं। कारण, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद खोरी में जारी तोडफ़ोड़ के बीच अचानक जिस प्रकार से मुख्यमंत्री ने प्रतिबंधित अरावली क्षेत्र में अवैध रूप से बने फार्म हाऊसों और बेंक्वट हॉलों पर कार्यवाही या कहिए उनका सफाया करने के सख्त आदेश जिला उपायुक्त को जो दे दिए हैं। इससे अवैध रूप से बने उन आलीशान फार्म हाऊसों और बेंक्वट हॉल संचालकों की सांसे अटक गई हैं जिन्होंने संबंधित विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर हरे-भरे जंगलों में कंकरीट के महल खड़े करते हुए यहां फार्म हाऊसों और बेंक्वट हॉल का निर्माण कर दिए हैं, खासतौर पर लॉकडाऊन के दौरान। यदि मुख्यमंत्री के आदेशों पर जिला उपायुक्त गंभीरता से अमल करते हैं तो ऐसे सभी अवैध फार्म हाऊसों और बैंक्वट हॉलों का ध्वस्त कर इनका सफाया करते हुए मिट्टी में मिला दिया जाएगा वरना आप जानते ही हैं….उसके सामने सब झुक जाते हैं!
जानकारी के मुताबिक प्रतिबंधित अरावली पर्वतमाला क्षेत्र के अंतर्गत अनखीर-सुरजकुंड रोड़ सहित अनखीर, मेवला-महाराजपुर, अनंगपुर, लकड़पुर आदि गांवों की राजस्व संपदा और गैर-मुमकिन पहाड़ों में करीब 200 फार्म हाउस और बैंक्वट हॉल बने हुए हैं। इनमें से जिला प्रशासन करीब 140 को तो तोडफ़ोड़ के लिए चिन्हित भी कर चुका है, लेकिन वो बात अलग है कि इन पर अभी तक छुटपुट तोडफ़ोड़ के अलावा प्रशासन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पाया है। सुत्रों के मुताबिक प्रतिबंधित अरावली पर्वतमाला में बने इनमें से कई आलीशान फार्म हाउस और बैंक्वट हॉल देश-प्रदेश के कई राजनेताओं, विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और उद्योगपतियों के नामी-बेनामी रूप से बताए जाते हैं जोकि अरावली का सीना चीर कर बनाये गए हैं।
बता दें कि गत् शनिवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सार्वजनिक रूप से जिला उपायुक्त से खोरी मामले की रिपोर्ट लेते वक्त उन्हें अरावली क्षेत्र में अवैध रूप से बने फार्म हाऊसों और बेंक्वट हॉलों पर कार्यवाही करने के आदेश दिए थे। उस वक्त फरीदाबाद के लगभग सभी मंत्री, विधायकगण, अधिकारीगण और सरकारी अमला भी मौजूद था। स्वयं जिला उपायुक्त यशपाल यादव और जिला वन अधिकारी राजकुमार ने भी उक्त आदेशों की पुष्टि की है।
मुख्यमंत्री के उक्त आदेशों के बाद वन विभाग ने रविवार को सूरजकुंड रोड़ पर एक-दो फार्म हाउसों पर तोडफ़ोड़ की नाममात्र की कार्यवाही कर 10-20 ईंटे गिराकर अपने निर्माण/शेड को 2-3 दिन में स्वयं ही हटाने की मौखिक अंडरटेकिंग ले ली है, लेकिन ये अवैध शेड हट पाता है या नहीं ये देखने की बात है।
जिला वन अधिकारी यानि डीएफओ राजकुमार के मुताबिक उनके विभाग ने रविवार को सूरजकुंड रोड़ पर बने दो फार्म हाऊसों में जब तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को शुरू किया तो उनके संचालकों द्वारा अपने अवैध निर्माणों/शैड को दो-तीन दिन में स्वयं ही हटा लेने की मौखिक अंडरटेकिंग के बाद तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को रोक किया गया। उसके बाद से अभी तक कहीं भी वन विभाग द्वारा तोडफ़ोड़ की कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि इसके ठीक सामने या कहिए बराबर में शहर के एक नामी-गिरामी उद्योगपति ने एक आलीशान फॉर्म हाउस बनाकर उसमें कंक्रीट का भव्य अवैध निर्माण किया हुआ है जिस पर शायद जिला उपायुक्त की नजर नहीं पड़ी है। हालांकि इस फार्म हाउस में नगर निगम दो बार भारी तोडफ़ोड़ भी कर चुका है, बावजूद इसके ये फॉर्म हाउस अब लगभग पूरी तरह लॉकडाउन में बनकर तैयार हो चुका है।
इसके बारे में जब जिला वन अधिकारी राजकुमार से बात की गई तो उन्होंने इसके बारे में अनभिज्ञता जाहिर की, जबकि ऐसा कैसे हो सकता है कि उनकी जानकारी के बगैर उस मेन सूरजकुंड रोड पर इतना आलीशान फार्म हाउस बनकर तैयार हो जाये जहां से वीवीआईपी सहित रोजाना हजारों लोगों की आवाजाही होती हो। ये सब जिला वन अधिकारी की ईमानदारी पर एक बहुत बड़ा प्रश्रचिन्ह है।
वहीं दुसरी तरफ जिला वन अधिकारी इस मामले में ज्यादा कुछ बताने से जिस तरह से गुरेज कर रहे हैं, उससे इनकी मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे कि आखिरकार कैसे इतने बड़े-बड़े आलीशान फार्म हाऊस उनकी सहमति केे बिना इस अरावली क्षेत्र में बनकर तैयार हो गए। हाल-फिलहाल अरावली क्षेत्र में बने उन अवैध फार्म हाऊसों और बेंक्वट हॉलों पर तोडफ़ोड़ की तलवार लटक गई है जोकि खासतौर पर लॉकडाऊन के दौरान बने हैं। वहीं चंद फार्म हाऊस तो गैर-मुमकिन पहाड़ों पर भी बने होने बताए जा रहे हैं।
एक साल पहले भी हुई थी तोडफ़ोड़:-
ध्यान रहे कि करीब एक वर्ष पहले जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने प्रतिबंधित अरावली क्षेत्र में बने अवैध फार्म हाऊसों और अवैध निर्माणों को तोडऩे के लिए आदेश जारी किए थे, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने बजाए डीसी के आदेशों पर कार्यवाही करने के कथित तौर पर अवैध निर्माणकर्ताओं से सांठगांठ के चलते तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को अंजाम ना देते हुए उनके आदेशों का जमकर मजाक उड़वाया था। उस समय वन विभाग के रेंज ऑफिसर रविन्द्र सिंह की अगुवाई में अरावली में तोडफ़ोड़ करने गए नगर निगम और वन विभाग के दस्ते को लगभग हर जगह मुंह की खानी पड़ी थी। पुलिस के लाव-लश्कर को लेकर तोडफ़ोड़ करने पहुंची वन विभाग के अधिकारियों ने शुरूआती एक-आध घंटे में तो बडख़ल-सूरजकुंड रोड़ पर डिलाईट गार्डन के साथ लगते रोड़ पर चार-पांच चारदीवारी को गिराया था, लेकिन उसके बाद यह तोडफ़ोड़ दस्ता जहां भी पहुंचा वहां कहीं किसी मंत्री के नाम पर तो कहीं कोर्ट स्टे के नाम पर वहां से इन्हें उल्टे पैर होना पड़ा था।
उस समय ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्त नगर निगम एनआईटी के ज्वाईंट कमिश्रर प्रशांत अटकान ने तो एक जगह काजल नामक एक फार्म हाऊस मालिक पर तमाचा ही जड़कर उसे मारने के लिए अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से डंडा तक मांग लिया था। आरोप था कि कोर्ट स्टे के बावजूद काजल के फार्म हाऊस की चारदीवारी तोडऩे से तिलमिलाए काजल ने जब अधिकारियों पर पैसे मांगने के आरोप लगाए तो प्रशांत अटकान ने गुस्से में आकर उसमें थप्पड़ मार दिया। वहीं काजल ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों को कोर्ट आदेशों की अवमानना में कोर्ट में घसीटने की बात कही थी। वहीं दूसरी तरफ तोडफ़ोड़ की यह टीम लाव-लश्कर के साथ जब यहां से दूसरे अवैध निर्माणों पर पहुंची तो बताते है कि वहां पर ज्यादातर ने कोर्ट स्टे की कॉपी दिखाकर तोडफ़ोड़ नहीं होने दी थी।
मजेदार बात तो यह है कि जिन लोगों ने इस प्रतिबंधित अरावली क्षेत्र में अपने फार्म हाऊसों आदि पर कोर्ट से स्टे की कॉपी दिखाकर अपना बचाव किया था, उनमें से ज्यादातर ने वन विभाग को कोर्ट में पार्टी ही नहीं बना रखा था जोकि विभागीय सांठगांठ को दर्शाता है।
फार्म हाउस और बैंक्वट हॉल मालिकों की स्टे को लेकर चालाकी:-
अवैध रूप से बने इन फार्म हाउस और बैंक्वट हॉल मालिकों में से कईयों ने प्रशासन को गुमराह करने और तोडफ़ोड़ से बचने के लिए चालाकी बरतते हुए कोर्ट से स्टे तो लिया हुआ है, लेकिन केस में कहीं भी वन विभाग को पार्टी नहीं बनाया हुआ है। कारण, यदि ये वन विभाग को पार्टी बनाते तो कोर्ट से स्टे या स्टेट्स-को नहीं मिलता क्योंकि वन विभाग की जमीन पर पीएलपीए के तहत कोई भी निर्माण नहीं हो सकता।
अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री के सख्त आदेशों के बाद जिला प्रशासन और वन विभाग कब तक इन अवैध फार्म हाऊसों और बैंक्वट हॉलों पर अपनी जेसीबी का पीला पंजा चलाकर तोडफ़ोड़ की कार्यवाही को अंजाम देता है या फिर सीएम के आदेशों को दरकिनार कर कोई मीठी गोली सरकार को चूसाकर अपने स्वार्थ को सीधा करता है।
नोट:- अगली खबरों में बताएंगे कि किस प्रकार प्रतिबंधित अरावली क्षेत्र में नेचर ऑफ लेंड की धज्जियां उड़ाते हुए हरे-भरे जंगलात में कंकरीट के जंगल उगाए गए।
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