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दत्तक पुत्र बनकर मंत्रियों के पुत्रों और भांजे पर अपराधिक मुकदमे दर्ज करवाने में माहिर संदीप चपराना विवादों में!

राजनैतिक परिवारों के खिलाफ अपराधिक मुकदमे दर्ज करवाने में माहिर संदीप चपराना किसी स्टंटमैन से कम नहीं!
मैट्रो प्लस से नवीन गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट।
फरीदाबाद, 27 सितंबर
: कांग्रेस सरकार के समय चौ.महेन्द्र प्रताप सिंह का तो भाजपा सरकार में कृष्णपाल गुर्जर का दत्तक पुत्र बनकर उनके साथ साये की तरह साथ रहने वाले संदीप चपराना के साथ ऐसा क्या है कि विवाद उसका साथ ही नहीं छोडऩे का नाम ले रहे हैं। पहले चौ.महेन्द्र प्रताप सिंह के बेटों के खिलाफ तो अब केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री के भांजे और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज करवाकर आखिर संदीप चपराना क्या दिखाना चाहता है, ये समझ से परे है। शायद वो अपनी ताकत दिखाना चाहता है या इसके पीछे कोई और राजनीति है। जो भी हो, आज की तारीख में शहर के बड़े राजनैतिक घरानों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाने वाला संदीप चपराना अब खुद विवादों में है।
बता दें कि थाना सेक्टर-31 पुलिस ने संदीप चपराना व उसके भाई सहित कई लोगों के खिलाफ आम्र्स एक्ट सहित कई संगीन अपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया है, जबकि उसी दिन उससे पूर्व ही संदीप चपराना ने केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के भांजे अमर व राजू पंडित सहित कई अन्य युवकों के खिलाफ इसी सेक्टर-31 थाने में जान से मारने के प्रयास को लेकर 307 सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करवाया था।
काबिलेगौर रहे कि इससे पूर्व यही संदीप चपराना कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह के बेटों विजय प्रताप और विवेक प्रताप पर भी करीब 9.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप लगाकर सन् 2016 में एक अपराधिक मामला दर्ज करवा चुका है। वो बात अलग है कि बाद में उस मामले में शिकायतकर्ता संदीप चपराना ने फैसला कर लिया था।
यहीं नहीं, उसके बाद फिर से विवादों में आये संदीप चपराना के खिलाफ वन विभाग फरीदाबाद ने सूरजकुंड थाने में 11 सितंबर, 2019 को FIR नंबर-599 तथा 23 जून, 2020 को FIR नंबर-309 विभिन्न आपराधिक धाराओं में दर्ज करवाई थी। इन दोनों मामलों में भी अभी तक उसे पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। इन दोनों ही केसों में वन विभाग ने पुलिस में दी शिकायत में संदीप चपराना को भूमाफिया बताते हुए कहा था कि जब उन्होंने उसे वन क्षेत्र में अवैध रूप से निर्माण करने से रोकने का प्रयास किया तो उन्हें उसके हथियारबंद गुंडों ने उन्हें धमकाकर वहां से भगा दिया। मजेदार बात तो यह है कि सरकारी अधिकारियों द्वारा दर्ज मुकदमों में भी फरीदाबाद की काबिल पुलिस ना जाने इस संदीप चपराना को दो साल तक भी क्यों नहीं गिरफ्तार नहीं कर पाई।
हां, इतना जरूर है कि इसी संदीप चपराना की शिकायत पर पुलिस ने केंद्रीय राज्यमंत्री के भांजे अमर व अन्य युवकों के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला जरूर तुरंत दर्ज कर लिया। इससे ना केवल पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे, बल्कि शिकायतकर्ता संदीप चपराना भी फिर से विवादों में आ गया। बता दें कि थाना सैक्टर-31 में गत् 25 सितंबर को संदीप चपराना द्वारा दर्ज शिकायत में कहा गया है कि शुक्रवार दिन में जब वह सेक्टर-28 के जिम से निकलकर मोटरसाइकिल से जा रहा था तो दो स्कार्पियो गाडिय़ों ने उसे टक्कर मारी और वो 10 फुट दूर जा कर गिरा और फिर मंत्री के भांजे अमर सिंह व अन्य युवक ने उस पर गोलियां दागी, लेकिन वह बच गया और भागकर अपने घर पहुंच गया। उसकी इस शिकायत पर पुलिस ने तुरंत मुकदमा भी दर्ज कर लिया।
संदीप चपराना ने जिस तरीके से उक्त घटनाक्रम बताया है, वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं हैं। आमतौर पर देखा जाए तो यदि किसी मोटरसाइकिल सवार को कोई कार टक्कर मार जाए तो मोटरसाइकिल सवार को जान बचाने के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। इसमें तो स्कॉर्पियो जैसी भारी-भरकम दो गाडिय़ों ने टक्कर मारी और शिकायतकर्ता के अनुसार वो 10 फुट दूर तक जाकर गिरा। बन्दूक से गोलियां चली बताई गई वो भी उसे लगी नहीं। यहीं नहीं, उसने उस समय अपनी जान बचाने के गाडिय़ों के नंबर तक भी नोट कर लिए जो उसने एफआईआर में लिखवाए हैं। इस सारे घटनाक्रम को देखा जाए तो इस पूरे मामले या कहिए स्टोरी में संदीप चपराना किसी बड़ी मूवी/पिक्चर का हीरो/एक्टर लगता है जिसे ना तो अपने ऊपर हुए जानलेवा हमले में ना तो कोई चोट लगी और ना ही कोई गोली लगी और वो सही-सलामत अपने घर भी पहुंच गया। यहीं नहीं,फरीदाबाद की मुस्तैद पुलिस ने भी संदीप चपराना की शिकायत पर तुरंत करवाई कर मुकदमा भी दर्ज कर दिया।
इस घटनाक्रम के बाद जब लोगों को पुलिस की मुस्तैदी के बारे में ये पता लगा तो चर्चा शुरू हो गई कि शहर में किसी भी व्यक्ति के साथ वारदात हो जाये तो पुलिस इतनी आसानी से मुकदमा दर्ज कर लेती है क्या? रूटीन में तो पुलिस पहले मामले की जांच करती है, वारदात/घटनास्थल का दौरा करती है, दूसरी पार्टी से पूछताछ करती है और जांच के बाद कैसे-कैसे मामला दर्ज होता है, सभी लोग जानते हैं। लेकिन इस मामले में पुलिस ने अपनी इतनी काबलियत दिखाई। आखिर शिकायतकर्ता के पास ऐसा कौन सा यंत्र है या उसके ऊपर किसका हाथ है, जो पुलिस ने इतनी जल्दी मुकदमा दर्ज भी कर दिया।
यही नहीं, इसके बाद उसी दिन बदरपुर में रहने वाले अजय कुमार ने पुलिस को लिखित शिकायत देकर बताया कि वह फरीदाबाद की सेक्टर-28 मार्किट में वह अपने दोस्त राजू ओमकारी के ऑफिस में बैठा था कि संदीप चपराना, दीपक चपराना एवं अमित भाटी अपने साथियों के साथ लाठी-सरिये लेकर आये और उन पर हमला बोल दिया। ऑफिस में तोडफ़ोड़ की और उनसे 1.25 लाख रुपये छीनकर जान से मारने की धमकी देते हुए भाग गए। इस पर भी पुलिस ने संदीप चपराना सहित उक्त युवकों के खिलाफ सेक्टर-31 थाना में उसी दिन 25 सितंबर को एफआईआर नंबर-324 दर्ज कर ली।
इस सारे घटनाक्रम के बाद कई प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं, जिसने पुलिस और आरोपियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। लोगों में चर्चा है कि क्या फरीदाबाद पुलिस अब इतनी चुस्त-दुरुस्त हो गयी है कि तुरंत ही मुकदमें दर्ज कर लेती है।
लोगों में ये भी चर्चा है कि क्या संदीप चपराना वाकई किसी फिल्मी स्टंटमैन की तरह है जो इतनी बड़ी टक्कर में भी बच गया और बन्दूक की गोलियां भी उसे छू नहीं पाई। या कहीं ऐसा तो नहीं कि राजू ओमकारी के ऑफिस पर हमला करने से पहले ही अपने बचाव में फिल्मी स्टाईल में उसने उक्त घटनाक्रम का सीन रचा हो।
ये सारी चर्चाएं अब लोगों में होने लगी हैं और लोग इंतजार कर रहे हैं कि पुलिस अब क्या कार्रवाई करती है और पुलिस के काबिल अफसरों की जांच में क्या निकल कर आता है। लेकिन पूरे शहर सहित राजनैतिक गलियारों में उपरोक्त घटनाक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है।

जिमखाना क्लब सैक्टर-21 में 22 जुलाई, 2016 में प्रैस कांफ्रेंस कर पूर्व मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह और उनके बेटों विजय प्रताप और विवेक प्रताप पर आरोप लगाते हुए संदीप चपराना और प्रेमकृष्ण आर्य उर्फ पप्पी। -फाईल फोटो

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