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हमें बाबा साहेब के आदर्श पर चलने का प्रण लेना चाहिए: सावित्री गौतम

डॉ० साहेब की बेमिसाल भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।
बाबा साहब स्पष्ट वक्ता दूरदर्शी एवं सच्चे राष्ट्रवादी थे।
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 15 अप्रैल:
भारत रत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर की 131वीं जयंती/जन्मोत्सव गांव सीकरी के डॉ. अम्बेडकर पार्क में बड़ी धूमधाम से मनाते हुए उनकी मूर्ति पर पुष्पांजलि कर उन्हें नमन किया गया। डॉ. बीआर अम्बेडकर पार्क एवं भवन विकास समिति सीकरी द्वारा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में समिति की प्रधान सावित्री गौतम ने कहा कि बाबा साहेब की पहचान एक न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के रूप में होती है। उनका कहना था कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का कहना था कि शिक्षित बनो और संघर्ष करो।
प्रधान सावित्री गौतम ने इस अवसर पर कहा कि महापुरूष किसी भी एक जाति विशेष के नहीं होते, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा के स्त्रोत होते हैं। हमें ऐसे महापुरूषों की जयंतियां बड़ी धूमधाम के साथ मनानी चाहिए और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रण लेना चाहिए।
मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व जिला पार्षद महावीर तथा अति विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता सोहनपाल सिंह छोकर, विशिष्ट अतिथि के रूप में जजपा नेता अरविंद भारद्वाज, शीतलदास चेयरमैन, बसपा से करन सिंह, भाजपा नेता मानसिंह, हट्टी राम ठेकेदार, प्रोफेसर लक्ष्मण यादव, बीरसिंह नंबरदार आदि मौजूद रहे।
समिति की प्रधान सावित्री गौतम, उप-प्रधान नीरज, सचिव जिले सिंह, खजांची महेंद्र, सह-सचिव हरभजन, प्रवक्ता प्रेमपाल, रवि अम्बेडकर, गोपाल, शीशपाल एडवोकेट, ज्ञानचंद, राजेन्द्र नंबरदार, शोभाराम, चरणसिंह, सुशील कुमार एवं अनिल कुमार सरपंच सीकरी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया। ग्राम सीकरी की महिलाओं व आस-पास के गांव के लोगों ने भी कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इस अवसर पर अतिथियगणों ने बाबा साहेब के जीवन चरित्र प्रकाश डालते हुए उपस्थितजनों को बाबा साहेब द्वारा बताये गए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भीमराव अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्रअपने आप आ जाता है।
सारी दुनिया आमतौर पर उन्हें या तो भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका के नाते याद करती है या फिर भेदभाव वाली जाति व्यवस्था की प्रखर आलोचना करने और सामाजिक गैर-बराबरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले योद्धा के तौर पर। इन दोनों ही रूपों में डॉण् साहेब की बेमिसाल भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।
संविधान निर्माता अंबेडकर की जयंती पर वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब एक समाज सुधारक थे। उन्होंने दलित, बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों की वकालत भी की। इसलिए हमें बाबा साहेब के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज में एक.दूसरे से बिना भेदभाव किए रहना चहिए। हमेशा भाईचारा बनाए रखने के प्रयास करने चाहिए। बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलकर ही समता मूलक समाज की स्थापना की जा सकती है।
बाबा साहेब को समानता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। बाबा साहेब जीवन पर्यन्त समाज को एक डोर में बांधने के लिए संकल्पित रहे।
कार्यक्रम में संस्था की प्रधान सावित्री गौतम ने संस्था द्वारा किये गए कार्यों के बारे में उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया।
संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अतिथिगणों ने कहा कि बाबा साहब के नाम पर राजनीति करने की बजाय उनके विचारों को आत्मसात करके समरस समाज की संकल्पना को साकार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जाति-भेद एवं छुआछात के दंश को झेलने के बाद बाबा साहब ने हाथ में कलम आते ही एक झटके में समाज की बुराइयों को नेस्तनाबूद करके सामाजिक सदभाव की नीव रखी। बाबा साहब स्पष्ट वक्ता दूरदर्शी एवं सच्चे राष्ट्रवादी थे तभी तो उन्होंने 1952 में सुरक्षा परिषद की सदस्यता ने मिलने पर पंडित नेहरू की आलोचना की और 1953 में चीन द्वारा तिब्बत में किए जा रहे कब्जे से आगाह किया। उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में बाबा साहब जैसे राजनेताओं की आवश्यकता है तभी देश की एकता अखंडता कायम रह सकती है।


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