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निजी स्कूलों की एसोसिएशनों ने किया सरकार के खिलाफ खुली जंग का ऐलान

18 को सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे फरीदाबाद जिले के सभी प्राईवेट स्कूल
नवीन गुप्ता/जस्प्रीत कौर
फरीदाबाद, 16 सितंबर
: हरियाणा प्रोग्रेस्सिव स्कूल कांफ्रेंस (एचपीएससी)ने सरकार द्वारा प्राईवेट स्कूलों पर एडमिशन के लिए लागू किए जा रहे नियम134ए तथा स्कूली बसों में एक विशेष कंपनी के ही जीपीएस/सीसीटीवी कैमरे लगाने जैसे तुगलकी फैसले/फरमान के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए खुली जंग का ऐलान कर दिया है। इस जंग के तहत एचपीएससी ने पूरे प्रदेश में सरकारी नीतियों का विरोध करते हुए रिले क्लोजर के तहत जिलवार सांकेतिक हड़ताल करने का फैसला किया है जिसकी शुरूआत मंगलवार से 15 सितम्बर को अम्बाला जिले में प्राईवेट स्कूलों को बंद करके कर दी गई हैं। इसी क्रम में 18 सितम्बर को फरीदाबाद तथा 21 सितम्बर को सोनीपत जिले के भी प्राईवेट स्कूलों को बंद रखकर स्कूलों संचालकों द्वारा जिला उपायुक्त को उपरोक्त सरकारी फैसले के खिलाफ ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस रिले क्लोजर के तहत 18 सितम्बर को फरीदाबाद में होने वाली सांकेतिक हड़ताल में एचपीएससी के अलावा फरीदाबाद की प्राईवेट स्कूल्ज एसोसिएशन, आईडियल प्राईवेट स्कूल्ज एसोसिएशन, पब्लिक स्कूल्ज वेलफेयर सोसायटी तथा यूनाईटेड प्राईवेट स्कूल्ज आदि हरियाणा एजूकेशन बोर्ड से संबंद्व एसोसिएशन भी शामिल होंगी। यह जानकारी एचपीएससी के प्रदेश अध्यक्ष एसएस गोंसाईं, जिला अध्यक्ष सुरेश चंद्र तथा जिला सचिव डा० सुमित वर्मा, रमेश डागर आदि ने आज यहां होटल डिलाईट ग्रेंड में आयोजित एक प्रैस सम्मेलन में दी। इस अवसर पर डा० सुभाष श्योराण, नरेन्द्र परमार, नीलम गांधी, गौरव पाराशर, उमंग मलिक, नंदलाल आदि विभिन्न स्कूलों के प्रिंसीपल विशेष तौर पर मौजूद थे।
विभिन्न एसोसिएशनों के इन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अपने सरकारी स्कूलों की दशा और गुणवत्ता तो सुधार नहीं पा रही बल्कि की उनके प्राईवेट स्कूलों में 134ए तथा आरटीई जैसे गैर-कानूनी फैसलों की आड़ में अपना हस्तक्षेप कर उनके यहां का माहौल बिगाडऩे का काम कर रही है। इनका कहा है कि सरकार धारा 134 को 134ए में बदलकर स्वयं ही इसमें धारा में पांच बार बदलाव कर चुकी हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके स्कूलों में 134ए के मेधावी व गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के लिए प्रशासन द्वारा मिड सैसन में भेड़-बकरियों की तरह जो बच्चे भेजे जा रहे हैं उनके लिए भी प्रशासन पर कोई मापदंड नहीं है। यहां तक की कई बच्चों पर तो फर्जी दस्तावेज पाए गए है जिससे कि प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही व तानाशाही उजागर होती है। सरकार ने अदालत के आदेशों को भी अपनी सुविधा के हिसाब से ही परिभाषित किया हैं जोकि तर्कसंगत नहीं है।
इन पदाधिकारियों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि गरीब बच्चों को साक्षर करने के लिए केंद्र सरकार से सर्व शिक्षा अभियान के तहत आया करोड़ों रूपये तो सरकार खुद डकार रही है और ईडब्ल्यू एस के तहत गरीब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने का बोझ गैर-कानूनी रूप से हमारे प्राईवेट स्कूलों पर डाल रही हैं।
यहीं नहीं स्कूली बसों में एक विशेष कंपनी के ही जीपीएस/सीसीटीवी कैमरे लगाने के परिवहन विभाग के आदेशों को इन्होंने सरकारी अधिकारियों की दलाली बताया। जिसके तहत परिवहन विभाग स्कूली बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने में भी तरह-तरह की अड़चनें लगा रहा है। इनका कहना है कि परिवहन विभाग को इन आदेशों को उन पर लागू करने से पहले अपनी रोड़वेज बसों में यह सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए जिनमें कि रोजाना लाखों महिला, पुरूष व बच्चे आदि यात्रा करते हैं।
इसके अलावा हुडा प्रशासन पर भी इन पदाधिकारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि झुठी-सच्ची शिकायतों के नाम पर ये हुडा अधिकारी हर साल प्राईवेट स्कूलों को नोटिस भेजते और फिर स्कूल संचालकों को अपने कार्यालय के बाहर खड़ा करके उन्हें घंटों तक इंतजार करवा कर उनसे एक अपराधी की तरह व्यवहार किया जाता है जोकि ठीक नहीं हैं।
इन पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अपनी पारदर्शी नीति बनाए जिसमें कोई कंफ्यूजन न हो उसकी पालना करने में प्राईवेट स्कूलों को भी कोई समस्या न हो। और यदि ऐसा नहीं होता है तो अब एचपीएससी अपने साथ होने वाले अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगी चाहे इसके लिए उन्हें सरकार से कोई भी लड़ाई क्यों न लडऩी पड़े।


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