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रेडियो मानव रचना एफएम ने विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान स्तनपान के बारे में महिलाओं को किया जागरूक

Faridabad News, 9 अगस्त: विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल 1 अगस्त से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। इस सप्ताह का मकसद नए माता-पिता को जागरूक करना और दुनिया भर में शिशु स्वास्थ्य में सुधार करना है। हर साल रेडियो मानव रचना 107.8 एफएम ब्रेस्ट फीडिंग वीक स्तनपान सप्ताह के मौके पर प्रतिदिन खूब सारी जानकारी लेकर आता है और 1 से 7 अगस्त तक कई महिलाओं को अपने कार्यक्रमों से जोड़ता है।
हाल ही में बनी मां के मन में कई तरह के सवाल आते हैं उन सभी में जो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या कोविड पॉजिटिव मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है या अपने बच्चे का ख्याल कोविड के समय में किस तरह से रखें। आज के समय में बाजारों में मिलने वाले डिब्बाबंद दूध बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं बच्चों की सेहत पर इसका क्या असर पड़ता है। डॉ० नीता धाभाई जो एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं और डब्ल्यूएचओ के साथ जुड़ी हुई हैं ने इन सभी सवालों के बारे में जानकारी दी।
बेहतर आहार और स्वस्थ जीवन शैली की सलाह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को दी जाती है इससे बच्चा स्वस्थ होता है परन्तु आमतौर पर यह देखा जाता है कि प्रसव के बाद महिला अपनी सेहत को लेकर थोड़ी लापरवाह हो जाती है लेकिन यह गलत है। डिलीवरी के बाद भी महिला को उतनी ही देखभाल की जरूरत है जितनी उसे गर्भावस्था में होती है। प्रसव के बाद उसे बच्चों को ब्रेस्टफीड स्तनपान कराना होता है जिसके लिए उसका पोषक लेना बहुत जरूरी है। इस दौरान ब्रेस्ट फीड करने वाली जो महिलाएं हैं उनकी भूख बढ़ जाती है और उन्हें बार-बार कुछ ना कुछ खाना होता है और ऐसे में वह कुछ भी अस्वास्थ्य आहार खा लेती हैं लेकिन ये सही तरीका नहीं है और इन सभी चीजो पर बात करने के लिए रेडियों मानव रचना के साथ जुड़ी अंकिता शर्मा जो एक पोषण विशेषज्ञ है। उन्होंने बताया कि दूध पिलाने वाली मां के लिए एक स्वस्थ आहार कितनी जरुरी है। उन्होंने संतुलित आहार के बारे में बात की तथा बताया किन चीजों से दूध पिलाने वाली मां को दूरी बना लेनी चाहिए।
इस विश्व स्तनपान सप्ताह में हमारे कार्यक्रमों में बहुत सी ऐसी महिलाएं भी जुड़ी जो कोरोना के समय में अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान करवाती थी और उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था और अभी भी वो स्तनपान के समय किस तरह से सावधानियां बरतती हैं उन्होंने अपना अनुभव साझा किया। साथ ही हमारे साथ जुड़ी वह महिलाएं जो दादी या नानी है और उन्होंने भी अपना अनुभव साझा किया तथा कुछ नई माताओं को कुछ टिप्स दिए।
इस मौके पर डॉक्टर महिमा बख्शी जो मातृ-शिशु कल्याण सलाहकार हैं और एक लेखक हैं उन्होंने बताया कि दूध पिलाने वाली की मां किस तरह की डाइट होनी चाहिए और साथ ही उन्हें कितनी बार खाना चाहिए और इसी के साथ दूध उत्पादन करने वाले कौन से खाद्य पदार्थ हैं। उन्होंने पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में कई सारी जानकारी दी। डॉ० रूचिका मंगला गइनेकोलॉजिस्ट ने बताया कि शुरूआत में बच्चों को कितनी बार ब्रेस्ट फीड कराएं और नई मां को ब्रेस्ट फीड कराने के कुछ बेहतरीन टिप्स दिए।
इन कार्यक्रमों से जुड़े सभी डॉक्टर्स और महिलाओं ने सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो मानव रचना 107.8 का धन्यवाद करते हुए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम सामाजिक हित के लिए बहुत आवश्यक हैं ।


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