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कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने किया संविधान दिवस पर संविधानिक मूल्यों के महत्व को उजागर!

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
Faridabad News, 26 नवंबर:
कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने संविधान की स्थायी प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि न्याय समानता और लोकतंत्र के भविष्य के संरक्षक के रूप में ये छात्र संविधानिक मूल्यों की मशाल को आगे ले जाएंगे। यह आवश्यक है कि हर नागरिक अपने अधिकारों को जाने और संविधान का पालन करे, जिसे महिलाओं सहित विभिन्न वर्गों के लाभ के लिए संशोधित किया गया है। विपुल गोयल आज यहां संविधान दिवस के अवसर पर मानव रचना परिसर में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थितजनों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप मेंं विधायक सतीश कुमार फागना, धनेश अदलखा, डीसी विक्रम सिंह एवं फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त सौरभ सिंह भी समारोह में शामिल रहे।

विपुल गोयल ने इस अवसर पर कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है अपितु यह हमारे देश की आत्मा है। इसकी रक्षा करना और इसके मूल्यों को बढ़ावा देना हर नागरिक का कर्तव्य है। संविधान की रक्षा में ही देश की प्रगति और समृद्धि निहित है।

इस अवसर पर विपुल गोयल ने संविधान सप्ताह प्रदर्शनी का उद्वघाटन भी किया जिसे विधि विभाग के छात्रों ने तैयार किया था। यह प्रदर्शनी भारतीय संविधान के दर्शन और उसकी गहन समझ को समर्पित थी। उन्होंने प्रदर्शनी को संविधान के प्रति गहरी निष्ठा और कानूनी ज्ञान का प्रतीक बताया। उनके अनुसार यह प्रदर्शनी न केवल छात्रों की रचनात्मकता का परिचय देती है बल्कि यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।

संविधान के सिद्धांतों को आत्मसात करने की प्रेरणा:-
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने विधि विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह विभाग छात्रों को सिर्फ विधि के सिद्धांत ही नहीं सिखाता बल्कि उन्हें संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने की प्रेरणा भी देता है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान न्याय, समानता और लोकतंत्र का आधार है। यह प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शक है।

विद्यार्थी बनेंगे संविधान के सशक्त प्रहरी:-
विपुल गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि विधि विभाग के छात्र-छात्राएं भविष्य के उन नेताओं और न्यायप्रहरियों के रूप में उभरेंगे जो संविधान के मूल्यों की रक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि ये विद्यार्थी केवल अपने लिए नहीं बल्कि एक न्यायपूर्ण और समान समाज के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएंगे। उनकी शिक्षा और प्रतिबद्धता भारत के उज्जवल भविष्य की नींव रखेगी।

संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ-
कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया। इस अनुष्ठान ने संविधान के प्रति निष्ठा और उसमें निहित संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों को सुदृढ़ करने का संदेश दिया।

प्रतियोगिता विजेताओं का सम्मान:-
संविधान सप्ताह के दौरान विधि विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। इन प्रतियोगिताओं ने छात्रों को संविधान के सिद्धांतों को समझने और उनके व्यावहारिक पहलुओं को आत्मसात करने का अवसर प्रदान किया। कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने विजेताओं की सराहना करते हुए कहा कि इन प्रयासों के माध्यम से विद्यार्थी एक सशक्त न्याय प्रणाली की नींव तैयार करेंगे। वे भविष्य में संविधान के संवाहक और समाज के मार्गदर्शक बनेंगे।

वहीं कार्यक्रम में मानव रचना की ओर से मंच पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्वों में डॉ० दीपेंद्र कुमार झा, वाईस चांसलर मानव रचना विश्वविद्यालयय डॉ० संजय श्रीवास्तव, वाईस चांसलर मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीजय एनसी वधवा (डॉयरेक्टर जनरल, एमआरईआई) डॉ० संगीता बांगा, (प्रो० वाइस चांसलर, मानव रचना यूनिवर्सिटी) रमेश कुमार अरोड़ा, रजिस्ट्रार और डॉ० आशा वर्मा (डीन स्कूल ऑफ लॉ, मानव रचना यूनिवर्सिटी) शामिल थे।

यह कार्यक्रम भारतीय संविधान को अपनाए जाने की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया जिसमें राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों और विधिक ढांचे को सम्मानित किया गया। संविधान सप्ताह प्रदर्शनी का औपचारिक उदघाटन मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया, जो भारत की संवैधानिक भावना को एक श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करता है। इस प्रदर्शनी को स्कूल ऑफ लॉ द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें छात्रों और शिक्षकों की रचनात्मकता और न्यायशास्त्रीय अंतर्दृष्टि प्रदर्शित की गई।

वहीं डॉ० दीपेंद्र कुमार झा ने संविधानिक मूल्यों पर आधारित भविष्य की अपनी दृष्टि साझा करते हुए कहा संविधान ऐसा ढांचा प्रदान करता है जो कानून व्यवस्था और समानता सुनिश्चित करता है। एक शिक्षाविद् के रूप में हमारा उद्वेश्य अपने छात्रों में एक सुरक्षित और समान भविष्य बनाने की जिम्मेदारी का भाव विकसित करना है।

कार्यक्रम के दौरान संविधान सप्ताह के अंतर्गत स्कूल ऑफ लॉ और अन्य सरकारी संस्थानों द्वारा आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। उनके प्रोजेक्ट्स ने भारत के मूलभूत विधिक सिद्धांतों की समझ को दर्शाया।

सरकार द्वारा इस वर्ष की शुरूआत में शुरू किए गए ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान अभियान ने भी इस समारोह में प्रमुख स्थान प्राप्त किया। इस अभियान का उद्वेश्य क्षेत्रीय आयोजनों, डिजिटल गतिविधियों और शैक्षिक पहलों के माध्यम से संविधान की समझ को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। सभी ने संविधान दिवस के अवसर पर देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और निभाने का संकल्प लिया।


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