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मेयर जोशी के मामले में फंस सकता है कानूनी पेंच!

Metro Plus से Naveen Gupta की स्पेशल रिपोर्ट
Chandigarh/Faridabad,
8 अप्रैल: प्रवीण बत्तरा जोशी ने गत 31 मार्च को फरीदाबाद नगर निगम के नए मेयर के तौर पर पदभार संभाला। उससे पूर्व 25 मार्च को उन्हें पंचकूला में आयोजित राज्यस्तरीय शपथ ग्रहण समारोह में फरीदाबाद के डिविजनल कमिश्रर संजय जून द्वारा उन्हें पद और निष्ठा की शपथ दिलाई गई थी। प्रवीण जोशी फरीदाबाद नगर निगम के मेयर पद के लिए 2 मार्च को हुए मतदान के बाद 12 मार्च को सम्पन्न मतगणना में फरीदाबाद नगर निगम की कुल मतदाता संख्या 14, लाख 70 हजार, 687 में से कुल 6, लाख, 2 हजार, 93 वोट पड़े जिनमें में से 4 लाख, 16 हजार, 927 वोट प्राप्त कर प्रत्यक्ष/डॉयरेक्ट तौर पर मेयर निर्वाचित हुई थी। इन्होंने मेयर के चुनाव में देशभर में सबसे ज्यादा वोट लेकर रिकार्ड तोड़ने का काम किया।

बहरहाल, वास्तविक सत्य यह है कि हरियाणा में नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था लागू होने बावजूद कानून में आज भी अप्रत्यक्ष तौर पर अर्थात नगर निगम के सभी निर्वाचित सदस्यों (जिन्हें आम तौर पर पार्षद/म्युनिसिपल काउंसलर-एमसी कहा जाता है हालांकि ये शब्द हरियाणा नगर निगम कानून में नहीं है) के द्वारा एवं उनमें से ही मेयर (महापौर) के निर्वाचन का प्रावधान मौजूद है।

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट एवं म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ने इस विषय पर रोचक परन्तु महत्वपूर्ण कानूनी जानकारी देते हुए बताया कि साढ़े 6 वर्ष पूर्व सितम्बर-2018 में हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम अधिनियम- 1994 की कुछ धाराओं में संशोधन कर नगर निगम क्षेत्र के मतदाताओं द्वारा मेयर का प्रत्यक्ष (सीधा) चुनाव करने सम्बन्धी प्रावधान किया गया था, परन्तु ऐसा करते समय उक्त कानून की धारा 53 में उपयुक्त संशोधन नहीं किया गया जिस कारण आज भी इस धारा अनुसार नगर निगम के आम चुनाव के संपन्न होने के बाद उनके नतीजों के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर सम्बंधित मंडल आयुक्त द्वारा नगर निगम की बुलाई गई पहली बैठक में मेयर पद का चुनाव करवाने का उल्लेख है।

इस आशय में आगे यह भी उल्लेख है कि मंडल आयुक्त द्वारा किसी नगर निगम सदस्य जो मेयर पद के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार नहीं होगा, को इस चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए मनोनीत/नामित किया जाएगा।

इसमें आगे उल्लेख है कि अगर मेयर पद के ऐसे करवाए गए चुनाव हेतू हुए मतदान में अगर मेयर का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के वोट बराबर होते हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने से उन उम्मीदवारों में से कोई एक मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने वाले नगर निगम सदस्य द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रॉ ऑफ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा।

हालांकि एडवोकेट हेमंत कुमार ने यह भी बताया कि दूसरी ओर 14 नवंबर-2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली-1994 के कई नियमों में उपयुक्त संशोधन किया गया जिसमें उसके नियम 71 को भी पूर्णत: संशोधित कर उसमें उल्लेख किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामों की अधिसूचना के 30 दिनों के भीतर बुलाई गयी पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा सीधे निर्वाचित मेयर और नगर निगम सदस्यों को पद और निष्ठा की शपथ दिलाई जाएगी।

इस प्रकार हरियाणा में नगर निगम आम चुनाव के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे/कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 की उक्त धारा 53 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71 में अंतर्विरोध/ विरोधाभास है।

ध्यान रहे कि फरीदाबाद मंडल के आयुक्त संजय जून द्वारा गत माह 25 मार्च को हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 53 के तहत नहीं बल्कि हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के नियम 71(3) के अंतर्गत प्रवीण जोशी को फरीदाबाद नगर निगम के मेयर पद की शपथ दिलाई गई।
बहरहाल, इस सम्बन्ध में एडवोकेट हेमंत कुमार का स्पष्ट कानूनी मत है कि चूंकि किसी विषय पर अगर अधिनियम (कानून) की किसी धारा/प्रावधान और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में कोई अंतर्विरोध हो तो कानूनी धारा/प्रावधान ही सर्वोपरि/मान्य होता है क्योंकि कानून को विधानसभा (या संसद) द्वारा अधिनियमित किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत नियमों को राज्य (या केंद्र सरकार) के प्रशासनिक सचिव/अधिकारियों द्वारा बनाये जाते हैं। हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 भी हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 32 के अंतर्गत बनाई गयी है।

इसके दृष्टिगत हेमंत कुमार द्वारा गत् वर्षो में कई बार प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को लिखा गया कि हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 53 में उपयुक्त संशोधन किया जाए एवं नगर निगम के आम चुनावों के बाद बुलाई पहली बैठक में मेयर के चुनाव सम्बन्धी उल्लेख को हटा दिया जाए एवं ऐसा कानूनी संशोधन साढ़े 6 वर्ष पूर्व की तिथि अर्थात 4 अक्टूबर, 2018 से लागू किया जाए अर्थात जिस तिथि से हरियाणा नगर निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2018 (नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष निर्वाचन का प्रावधान) लागू किया गया।

उक्त कानूनी संशोधन के बाद ही प्रदेश के सभी नगर निगमों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मेयरों का प्रत्यक्ष चुनाव चुनाव कराने को पूर्ण वैधानिक मान्यता प्राप्त हो सकती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो इस मामले में कानूनी पेंच फंस सकता है।
वैसे अब मेयर के शपथग्रहण समारोह और उनके द्वारा 31 मार्च को मेयर का पदभार संभालने के बाद उम्मीद की जा रही है कि नगर निगम सदन की पहली बैठक 15 अप्रैल के आसपास हो सकती है। इसी बैठक में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का भी चुनाव होना है। देखना यह है कि नगर निगम सदन की इस बैठक में क्या-क्या कार्यवाही अमल में लाई जाती है।


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