Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट
चंड़ीगढ़/फरीदाबाद, 18 जुलाई: एक बार फिर हरियाणा महिला आयोग को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ये सवाल हैं आयोग के चेयरपर्सन का कार्यकाल और आयोग के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर और उठाने वाले हैं पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी मामलों के जानकार एडवोकेट हेमंत कुमार।
बकौल एडवोकेट हेमंत कुमार, आज से ठीक छ:महीने पूर्व 18 जनवरी, 2025 को रेणु भाटिया जिन्हें जनवरी 2022 में प्रदेश की तत्कालीन मनोहर लाल सरकार द्वारा हरियाणा राज्य महिला आयोग के चेयरपर्सन पद पर नामित (नियुक्त) किया गया था, का तीन वर्ष कार्यकाल पूरा हो गया था। हालांकि आज भी रेणु भाटिया महिला आयोग की चेयरपर्सन के तौर पर आसीन हैं। चूंकि गत् वर्ष 26 नवम्बर, 2024 को हरियाणा सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार उनका आयोग की चेयरपर्सन के तौर पर कार्यकाल 18 जनवरी, 2025 के बाद आगामी आदेशो तक बढ़ाने का उल्लेख किया गया था। सनद रहे कि दिसम्बर-2017 से दिसम्बर-2020 तक रेणु आयोग में बतौर मेंबर भी रही थी।
बहरहाल, इस विषय पर आज एडवोकेट हेमंत कुमार ने प्रदेश के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी, विभाग के एसीएस सुधीर राजपाल, महानिदेशक मोनिका मलिक, प्रदेश के एडवोकेट जनरल, विधि सचिव आदि को लिखकर हरियाणा राज्य महिला आयोग कानून, 2012 की मौजूदा धारा 4(1) में तत्काल संशोधन की अपील की है।
उन्होंने लिखा है कि उपरोक्त धारा में स्पष्ट उल्लेख है कि आयोग की चेयरपर्सन, वाईस-चेयरपर्सन और मेंबर (सदस्य) का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक नहीं हो सकता। इस कारण 18 जनवरी, 2025 को कानूनन तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद गत छ: महीनों से आयोग की चेयरपर्सन के तौर पर आसीन रेणु भाटिया के कार्यकलापों को वैधानिक मान्यता देने के लिए उपरोक्त धारा में संशोधन आवश्यक है। चूंकि केवल महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जारी एक पत्र मार्फत उन्हें आयोग के चेयरपर्सन पद पर एक्सटेंशन देने को कानूनी वैधता प्राप्त नहीं हो सकती है।
हेमंत ने बताया कि बेशक हरियाणा में चौटाला सरकार में शीला भ्याण 5 वर्ष और भूपेन्द्र हुड्डा शासनकाल में सुशीला शर्मा 6 वर्ष तक हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रही थी, परन्तु ध्यान देने योग्य है कि उन दोनों के समय प्रदेश महिला आयोग हेतू प्रदेश विधानसभा से उपरोक्त कानून नहीं बना था। वर्ष 2012 में हरियाणा राज्य महिला आयोग कानून के बाद चेयरमैन, वाईस-चेयरपर्सन और सदस्य अधिकतम तीन वर्ष के लिए ही आयोग में अपने पद पर रह सकते है।
इस आशय में हेमंत ने मई-2016 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक डिवीजन बेंच द्वारा दिए एक निर्णय का भी हवाला देते हुए बताया कि उसमें अदालत द्वारा हरियाणा महिला आयोग अधिनियम, 2012 की मौजूदा धारा 4 (1) की व्याख्या करते हुए उल्लेख किया गया था कि इस कानूनी प्रावधान अनुसार प्रदेश सरकार अधिकतम तीन वर्ष की अवधि के लिए ही आयोग की चेयरपर्सन और वाईस-चेयरपर्सन को नियुक्त कर सकती है, उससे अधिक नहीं। यह निर्णय प्रदेश की तत्कालीन भूपेंद्र हुड्डा सरकार द्वारा मई-2014 में आयोग की चेयरपर्सन के तौर पर नियुक्त कमलेश पंचाल और वाईस-चेयरपर्सन के तौर पर सुमन दहिया द्वारा दायर याचिकाओं के सम्बन्ध में दिया गया था जब वर्ष 2015 में मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा उक्त दोनों को उनके तीन वर्ष के कार्यकाल की अवधि से पहले ही हटाने का आदेश जारी किया गया था।
हेमंत ने बताया कि हरियाणा राज्य महिला आयोग कानून, 2012 की धारा 3(2) के अनुसार आयोग में चेयरपर्सन के अतिरिक्त एक वाईस-चेयरपर्सन और अधिकतम पांच सदस्य हो सकते हैं जिन्हें प्रदेश सरकार द्वारा नॉमिनेट किया जाता है जिनमें से कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से होना चाहिए। उपरोक्त पदाधिकारियों के अतिरिक्त वर्ष 2012 कानून अनुसार आयोग में एक वरिष्ठ महिला एचसीएस अथवा आईएएस महिला अधिकारी आयोग की सदस्य सचिव होंगी। इसके अतिरिक्त महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रशासनिक सचिव आयोग में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगी। इसी प्रकार महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक और प्रदेश के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) आयोग के पदेन (उनके पद के कारण) सदस्य होंगे।
हेमंत ने यह भी बताया कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि हरियाणा महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया के साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल दौरान प्रदेश सरकार द्वारा आयोग में कानूनन प्रस्तावित अधिकतम पांच सदस्यों तो दूर बल्कि एक भी सदस्य नहीं बनाया गया। हालांकि गत वर्ष 15 मार्च, 2024 को सोनीपत जिले की खरखौदा क्षेत्र निवासी सोनिया अग्रवाल को हरियाणा महिला आयोग की वाईस-चेयरपर्सन नामित किया गया था।
गत् वर्ष दिसम्बर, 2024 में सोनिया को एंटी करप्शन ब्यूरो, हरियाणा द्वारा भ्रष्टाचार के एक कथित मामले में गिरफ्तार भी किया गया था, जिस कारण 9 जनवरी 2025 से सोनिया को उनके तय एक वर्ष के कार्यकाल से समय पूर्व ही वाईस-चेयरपर्सन पद से हटा दिया गया था। उसके बाद हरियाणा महिला आयोग में न तो वाईस-चेयरपर्सन और न ही पांच सदस्यों में से किसी सदस्य की नियुक्ति की गई है।