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हरियाणा में पूर्व विधायकों की बल्ले-बल्ले, नायब सैनी सरकार मेहरबान जबकि गुजरात-पंजाब में मेहरबानी दरकिनार…!

गुजरात में पूर्व विधायकों को पेंशन तक नहीं जबकि हरियाणा में पेंशन, उस पर महंगाई भत्ता और शीघ्र ही हर पूर्व विधायक को मिलेगा प्रतिमाह 10 हजार रुपये विशेष यात्रा भत्ता…
लोकसभा और राज्यसभा के पूर्व सदस्यों/सांसदों को पेंशन पर महंगाई भत्ता तक देने की व्यवस्था नहीं…
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
चंडीगढ़, 24 अगस्त:
हरियाणा विधानसभा के शुक्रवार 22 अगस्त से आरम्भ हुए मानसून सत्र के पहले ही दिन प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री महिपाल ढांडा द्वारा सदन में हरियाणा विधानसभा (सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन) संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया गया जिसके द्वारा मूल कानून अर्थात हरियाणा विधानसभा (सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन) अधिनियम, 1975 की धारा 7 (सी) में संशोधन मार्फत प्रदेश के हर पूर्व विधायक के स्वयं अथवा उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए देश में कहीं भी यात्रा करने के लिए प्रतिमाह दस हजार रुपये विशेष यात्रा भत्ते के तौर पर दिए जाने का प्रावधान है। चूंकि इस विधेयक पर प्रमुख विपक्षी कांग्रेस पार्टी भी ऐतराज नहीं उठाएगी जिससे अगले सप्ताह सदन से पारित होने एवं तत्पश्चात राज्यपाल की स्वीकृति मिलने बाद उपरोक्त संशोधन विधेयक कानून के तौर पर लागू हो जाएगा।

बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और विधायी मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि दो माह पूर्व 26 जून को हरियाणा कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के हर पूर्व विधायक को स्पेशल ट्रेवलिंग अलाउंस (एसटीए) अर्थात विशेष यात्रा भत्ते के तौर पर प्रतिमाह 10 हजार रुपये देने का निर्णय लिया गया था जिसे अब कानूनी जामा पहनाया जा रहा है। इस निर्णय से राज्य के अनेक पूर्व विधायकों की पेंशन राशि में स्वत: ही बढ़ोतरी हो जायेगी विशेषकर जिनकी मौजूदा पेंशन राशि प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक है क्योंकि वर्तमान में केवल एक लाख रुपये से कम पेंशन प्राप्त कर रहे पूर्व विधायकों को ही ऐसा यात्रा भत्ता प्राप्त होता है और वह भी सभी के लिए एक समान प्रतिमाह दस हजार रुपये नहीं है, बल्कि ऐसा प्रावधान है कि हर पूर्व विधायक की पेंशन राशि, उस पर मिल रही महंगाई राहत (डिअरनेस रिलीफ डीआर) की दर से अतिरिक्त राशि और विशेष यात्रा भत्ता तीनों मिलकर एक लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।

सरलता के लिए हेमंत ने अपने गृह विधानसभा हलके अम्बाला शहर से पूर्व भाजपा विधायक असीम गोयल का उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2014 से 2024 तक दो बार विधायक रहे असीम की दो कार्यकाल की पेंशन प्रतिमाह 60 हजार रुपये बनती है, उस पर 55 प्रतिशत की दर से 33 हजार रुपये डीआर बनता है जिससे आज की तारीख से उनकी कुल पेंशन राशि प्रतिमाह 93 हजार रुपये बनती है। अब चूंकि यह एक लाख रुपये से कम है, इसलिए उन्हें विशेष यात्रा भत्ता तो प्राप्त हो रहा है परन्तु यह एक लाख से 93 हजार रुपये कम अर्थात प्रतिमाह 7 हजार रुपये मिलता है।
बहरहाल, ताजा संशोधन के बाद अब पूर्व विधायक असीम गोयल को प्रतिमाह पूरा 10 हजार रुपये विशेष यात्रा भत्ता प्राप्त होगा जिससे उनकी मासिक पेंशन मौजूदा एक लाख रुपये से तीन हजार बढक़र 1 लाख तीन हजार रुपये हो जायेगी।

इसके अतिरिक्त इसी माह 1 अगस्त को हरियाणा कैबिनेट की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि 60 वर्ष से ऊपर की आयु के प्रदेश के पूर्व विधायकों को प्रतिमाह 10 हजार रुपये फिक्स्ड मेडिकल अलाउंस के तौर पर भी दिया जायेंगे। हेमंत ने बताया कि इसके लिए विधानसभा से सम्बंधित कानून में संशोधन कराने की कोई आवश्यकता नहीं है एवं वर्ष 1988 के हरियाणा विधानसभा (सदस्यों को चिकित्सा सुविधायें) नियमों में राज्य सरकार द्वारा मात्र एक नोटिफिकेशन द्वारा संशोधन कर ऐसा संभव हो जाएगा जो अधिसूचना फिलहाल जारी की जानी लंबित है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि हरियाणा विधानसभा के पूर्व सदस्यों अर्थात पूर्व विधायकों पर प्रदेश की नायब सिंह सैनी सरकार पूरी तरह मेहरबान है।

ध्यान रहे कि देश की संसद (लोकसभा और राज्यसभा) के पूर्व सदस्यों/सांसदों को प्रतिमाह मिलने वाली पेंशन पर महंगाई राहत (डीआर) प्राप्त नहीं होती है। दूसरी और पड़ोसी पंजाब राज्य में हर पूर्व विधायक को एक ही कार्यकाल की पेंशन प्राप्त होती है बेशक वह कितनी बार भी विधायक बना हो। आज से तीन वर्ष पूर्व 2022 में मौजूदा भगवंत मान सरकार द्वारा इस बारे में प्रदेश के पूर्व विधायकों को पेंशन देने सम्बन्धी कानून में संशोधन कर ऐसी व्यवस्था लागू की गई थी जिसे कुछ पूर्व विधायकों द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती भी दी गई जहां यह मामला आज भी लंबित है। हालांकि आज तक अदालत द्वारा उस पर स्टे प्रदान नहीं किया गया है। हरियाणा को भी इस सम्बन्ध में पंजाब जैसी कानूनी व्यवस्था का अनुसरण करना चाहिए।

इस सबके बीच हेमंत ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण पॉइंट उठाते हुए बताया कि देश में गुजरात ऐसा इकलौता राज्य है जहां प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्यों (विधायकों) को पेंशन ही नहीं मिलती है। हालांकि वर्ष 1984 में तत्कालीन माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व विधायकों को पेंशन देने सम्बन्धी विधानसभा से कानून बनाया गया था। हालांकि उसकी अनुपालना नहीं हो सकी। सितम्बर, 2001 में तत्कालीन केशुभाई पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विधानसभा द्वारा उपरोक्त 1984 कानून को ही रद्द करवा दिया था। उसी वर्ष 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने परन्तु उन्होंने भी अपने 13 वर्षो के शासनकाल में प्रदेश के पूर्व विधायकों को पेंशन देने सम्बन्धी कोई नया कानून नहीं बनवाया। मोदी के बाद पहले आनंदीबेन पटेल, फिर दिवंगत विजय रूपाणी और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल के कार्यकाल में भी पूर्व विधायकों को पेंशन की व्यवस्था नहीं की गई है।


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