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कांग्रेस शासनकाल में बलात्कार की घटनाएं तीन गुना, डबल इंजन सरकार ने अपराधियों पर प्रभावी नकेल कसी है: मुख्यमंत्री

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।

चंडीगढ़, 27 अगस्त: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। इस नीति की घोषणा उन्होंने 18 अक्टूबर 2024 को प्रथम मंत्रिमंडल बैठक के बाद ही कर दी थी। उस समय मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी थी कि अपराधी या तो अपने रास्ते बदल लें अन्यथा सरकार उन्हें सुधारने के लिए बाध्य करेगी। किसी भी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत या प्रभावशाली पद के बावजूद, यदि वह कानून तोड़ेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। हरियाणा में कानून की सर्वोच्चता स्थापित होगी, अपराधी की हैसियत नहीं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि उनकी स्पष्ट चेतावनी का ही परिणाम है कि आज हरियाणा में प्रमुख अपराधों की संख्या और दर दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वर्ष-2014 से पूर्व की स्थिति के विपरीत आज न तो नागरिक को एफआईआर दर्ज करवाने में कोई बाधा आती है और न ही पुलिसकर्मी को अपराधियों पर कार्य करने से भयभीत होना पड़ता है। अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही के कारण आज प्रदेश की जनता का हरियाणा पुलिस पर भरोसा और अधिक मजबूत हुआ है।

विपक्ष पर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की तख्तियां लेकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल 2004-2014 में बलात्कार की घटनाएं तीन गुना बढ़ीं। वर्ष 2004 में ऐसे 386 मामले दर्ज हुए थे, जो 2014 में बढ़कर 1174 तक पहुंच गए। उन्होंने विपक्ष को असंवेदनशील सरकार बताते हुए कहा कि दस वर्षों के शासनकाल में कांग्रेस ने मात्र एक ही महिला थाना, खानपुर कलां में खोला।

कांग्रेस शासन के दौरान घटित एक मामले का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि 10 अप्रैल 2008 को रोहतक थाना परिसर में ही 5 पुलिसकर्मियों ने एक महिला के साथ बलात्कार किया। पीडि़ता 40 दिनों तक न्याय और कार्यवाही के लिए दफ्तरों और अधिकारियों के चक्कर काटती रही, लेकिन न तो पुलिस ने उसकी सुनी और न ही उस समय के किसी विधायक, सांसद या मंत्री ने मदद की। अंतत: जब मामला लगातार मीडिया की सुर्खियां बना तो 31 मई 2008 को एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद भी पीडि़ता को इतनी प्रताडऩा झेलनी पड़ी कि 9 जून 2008 को उसने पंचकूला में पुलिस मुख्यालय के बाहर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। मामले में हड़कंप मचने पर कांग्रेस सरकार ने 16 जून, 2008 को केस सीबीआई को सौंपा। पांच वर्ष बाद 20 जुलाई, 2013 को सीबीआई अदालत ने एक सब इंस्पेक्टर और एक हेडकांस्टेबल को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।

इसके विपरीत मौजूदा सरकार की त्वरित कार्यवाही का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 20 सितंबर, 2024 को जिला यमुनानगर में एक नाबालिग के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और मात्र 8 माह में, 15 मई 2025 को अदालत से उसे फांसी की सजा सुनाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री की दूरदर्शी सोच से ही अंग्रेजों के बनाए पुराने कानूनों को हटाकर नए आपराधिक कानून लागू किए गए, जिनकी वजह से यह संभव हुआ। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि 2004 से 2014 तक के अपने शासनकाल में यदि किसी बलात्कारी को उन्होंने फांसी की सजा दिलवाई हो तो उदाहरण प्रस्तुत करें। उन्होंने बताया कि मौजूदा कार्यकाल में अनेक मामलों में 7 से 8 महीनों के भीतर ही दोषियों को 20-20 वर्ष की सजाए आजीवन कारावास अथवा फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे स्पष्ट है कि डबल इंजन सरकार ने अपराधियों पर प्रभावी नकेल कसी है।

इनेलो के एक पूर्व विधायक पर मई 2011 में रोहतक जिले के कलानौर अनाज मंडी में गोलीबारी कर हत्या का आरोप लगा था। घटना के बाद आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने पैतृक गांव मोखरा को समर्थकों की मदद से किले में बदल दिया। हथियारबंद समर्थकों की घेराबंदी के कारण पुलिस भीतर नहीं जा पाई। अंतत: आरोपी ने जुलूस निकालकर आईजीपी कार्यालय पहुंचकर आत्मसमर्पण किया। 2013 में हाईकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।

रोहतक के बहुचर्चित अपना घर कांड का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मई 2012 में यह जघन्य अपराध हुआ, जिसमें अनाथालय की बच्चियों पर अमानवीय अत्याचार किए जाते थे। 8 मई 2012 को राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की टीम ने छापा मारकर लगभग 120 बच्चियों को मुक्त कराया। जून 2012 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया। अप्रैल 2018 में सीबीआई की विशेष अदालत ने मुख्य संचालिका जसवंती देवी और उसके दामाद जयभगवान सहित 9 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए कठोर सजाएं सुनाईं।

कांग्रेस कार्यकाल की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 जून, 2008 को एक प्रमुख हिंदी अखबार ने लंबी है हरियाणा पुलिस के कारनामों की फेहरिस्त शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें 1996 से 2008 तक पुलिस अधिकारियों के दुराचार, रिश्वतखोरी और अपराधों का विवरण था। उन्होंने इस उदाहरण से विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के प्रत्येक नागरिक और उसकी संपत्ति की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च जिम्मेदारी है, जिसे निभाने में वे कभी पीछे नहीं हटे हैं और न कभी हटेंगे।

मुख्यमंत्री ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 2014 में पूरे प्रदेश में 1106 हत्या के मामले दर्ज हुए थे जबकि 2024 में 965 हत्या के मामले दर्ज हुए। 2014 की तुलना में 2024 में हत्या की वारदातों में 12 प्रतिशत की कमी आई है। इस हिसाब से कांग्रेस कार्यकाल में रोज 4 हत्याएं होती थी। उन्होंने सदन को बताया कि 1 जनवरी 2024 से अब तक हरियाणा पुलिस ने 110 मुठभेड़ों में 13 कुख्यात अपराधियों को ढेर किया और 157 को घायल किया है। लगभग 75 प्रतिशत साइबर अपराध प्रदेश से बाहर से संचालित होते हैं, लेकिन कठोर काय के कारण अनेक गैंगस्टर विदेशों में जाकर छिपने को विवश हुए हैं। 13 जुलाई, 2024 से अब तक 5 कुख्यात गैंगस्टरों को विदेश से गिरफ्तार कर लाया गया है, जबकि पिछले 5 वर्षों में 9 गैंगस्टर विदेश से पकड़े गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून-व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना चाहिए। उन्होंने चिंता जताई कि सोशल मीडिया के कुछ वर्ग अपराधियों और गैंगस्टरों का महिमामंडन करते हैं, जिससे युवाओं में उनकी छवि नायक जैसी बनती है। यह प्रवृत्ति न केवल समाज की सांस्कृतिक और नैतिक नींव को कमजोर करती है बल्कि पुलिस बल की मेहनत को भी आघात पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि मीडिया को अपराधियों और गैंगस्टरों से किसी भी प्रकार के महिमामंडन करने से परहेज करना चाहिए। उनके नाम व फोटो न छापें।


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