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इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटान के लिए हर जिले में ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स स्थापित करने का सरकार का लक्ष्य: CM नायब सैनी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किया स्टेट एनवायरमेंट प्लान-2025 का शुभारंभ

Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।

चंडीगढ़, 16 सितंबर: हरियाणा ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए प्रदूषण नियंत्रण और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्टेट एनवायरमेंट प्लान-2025 का शुभारंभ और नॉन सीओ-2 पाथवेज रिपोर्ट 2025-26 का विमोचन किया। यह कदम हरियाणा के सतत् विकास और पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर साबित होगा। इस योजना के लागू होने से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी और प्रदेश के नागरिकों को एक स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण मिलेगा। साथ ही यह पहल हरियाणा को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत् विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में अग्रणी बनाएगी।

इस मौके पर नायब सिंह सैनी ने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में ऐसी पहल करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है। राज्य पर्यावरण योजना केवल एक या दो विभागों का काम नहीं है। इस योजना के लिए कई विभागों को मिलकर काम करना होगा। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। जो विभिन्न विभागों के बीच तालमेल और प्रगति की निगरानी का काम करेगी। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी विभाग मिशन मोड में काम करें, पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ आगे बढ़ें और जनता की भागीदारी भी सुनिश्चित हो।

इस अवसर पर नायब सिंह सैनी ने कहा कि आज पेड़ काटे जा रहे हैं। जंगल सीमित हो रहे हैं। जिससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है और उसका दुष्परिणाम मानव जाति पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य पर्यावरण योजना भावी पीढिय़ों के लिए स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी और हरी-भरी धरती सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर व्यापक योजना लागू की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जल, वायु, मिट्टी जैसे संसाधनों को बचाने का संदेश दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनीति में कुछ ऐसे लोग भी हुए हैं, जो वाहवाही लूटने के लिए डंपिंग ग्राउंड पर खड़े होकर कचरे को साफ करने की बातें करते थे। लेकिन कचरा कभी साफ नहीं हुआ बल्कि उन्होंने लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया। ये भी एक प्रकार का प्रदूषण ही है, जबकि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कचरे के निपटान की दिशा में मजबूत कदम उठाए गए हैं और कचरे का निरंतर निपटान सुनिश्चित किया जा रहा है।

ठोस कचरा निपटान के लिए राज्य में 13 इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट्स स्थापित करने की योजना:-

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हरियाणा के शहरों में हर रोज 5,600 टन ठोस कचरा पैदा हो जाता है। इसमें से 77 प्रतिशत का निपटान तो हो रहा है। लेकिन अभी भी 23 प्रतिशत कचरे का प्रबंधन करना बाकी है। इसके समाधान के लिए पूरे राज्य में 13 इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट्स स्थापित करने की योजना बनाई गई है। इसके अतिरिक्त, सालों से डंपिंग ग्राउंड में जमे कचरे को भी साफ किया जा रहा है। अब तक 50 प्रतिशत कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान हो चुका है और बाकी पर भी काम तेजी से चल रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटान के लिए हर जिले में ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स स्थापित करने का सरकार का लक्ष्य:-

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी एक बड़ी चुनौती है। इससे निपटने के लिए प्रदेश में 42 ई-वेस्ट रीसाइक्लर काम कर रहे हैं। आने वाले समय में, हम हर जिले में ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स स्थापित करना सरकार का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग 7 हजार अस्पतालों से प्रतिदिन निकलने वाले 22 टन बायोमेडिकल अपशिष्ट का शत-प्रतिशत निपटान किया जा रहा है। यह निपटान 11 सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट निपटान सुविधाओं के माध्यम से किया जा रहा है। इसके अलावा, उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक कचरे के निपटान के लिए फरीदाबाद के पाली में एक सामान्य कचरा प्रबंधन स्थल बनाया है। यह सुविधा पूरे राज्य से आने वाले हानिकारक कचरे के सुरक्षित निपटान की गारंटी देती है।

क्लीन एयर प्रोजेक्ट के तहत गुरूग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत के लिए खरीदी जाएंगी 500 इलेक्ट्रिक बसें:-

श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वायु प्रदूषण जैसी बड़ी चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार ने वल्र्ड बैंक के साथ मिलकर 3600 करोड़ रूपये की लागत के क्लीन एयर प्रोजेक्ट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की शुरूआत की है। इसके तहत गुरूग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत के लिए 500 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ऑटो के लिए सब्सिडी दी जाएगी। डीजल के जनरेटर के स्थान पर गैस से चलने वाले जनरेटर, गैस बॉयलर और एडवांस मॉनिटरिंग उपकरणों के लिए भी सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश के शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना पर पहले ही काम शुरू किया हुआ है। सिटी बस सेवा के लिए 375 इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की प्रक्रिया जारी है। इनमें से 50 बसें मिल चुकी हैं तथा 105 बसें और मिल जाएंगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पूरे राज्य में 370 से अधिक ई.वी.चार्जिंग स्टेशन स्थापित भी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली जलाना भी रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को जागरूक किया गया है और उन्हें पराली प्रबंधन के लिए 1 लाख से ज्यादा मशीनें दी हैं। इसके फलस्वरूप पराली जलाने की घटनाओं में वर्ष 2016 से अब तक 90 प्रतिशत की कमी आई है।

18 वायु गुणवत्ता स्टेशन स्थापित करने की योजना:-

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सी.एन.जी. और पी.एन.जी. जैसे स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया है। वायु की गुणवत्ता की निगरानी भी लगातार की जा रही है। इसके लिए प्रदेश में 29 स्वचालित और 46 मैनुअल वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन कार्यरत हैं। आने वाले समय में 18 और स्टेशन स्थापित करने की योजना है।

इसके अलावा, जल प्रदूषण को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाएं गए हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, प्रदूषित पानी को साफ करके फिर से उपयोग करने लायक बनाया जा रहा है। इस समय राज्य में कुल सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता 2,343 एम.एल.डी है। इसका 74 प्रतिशत उपयोग हो रहा है। सरकार का लक्ष्य सभी डिस्चार्ज पॉइंट्स को सीवरेज नेटवर्क से जोड़कर इस क्षमता को शत-प्रतिशत करने का है। आज हरियाणा में 201 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स कार्यरत हैं। इन प्लांट्स से निकलने वाले शोधित पानी का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेवाड़ी के मसानी बैराज में बरसाती पानी के साथ-साथ रेवाड़ी और धारूहेड़ा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी भी इक_ा होता है। इस पानी को साफ करके खेती और अन्य कामों में लाया जाता है। इसके अलावा, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के शोधित पानी को सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने की 27 योजनाएं तैयार की हैं। इनमें से 11 पूरी हो चुकी हैं। इनसे सिंचाई के लिए एक स्थायी जल स्रोत मिलेगा, नहरों पर दबाव कम होगा और भूजल का दोहन भी घटेगा। प्रदेश सरकार मसानी बैराज को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित कर रही है, ताकि इसी मॉडल को पूरे प्रदेश में लागू किया जा सके। इसके अलावा, वर्ष-2026 तक प्रदेश में तालाबों के जीर्णोद्धार करने का लक्ष्य भी रखा है। सरकार ने खनन गतिविधियों को नियंत्रित करने और ध्वनि प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिए भी अनेक कदम उठाए हैं। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन संतुलित और नियमों के दायरे में रहे, ये सुनिश्चित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने नागरिकों का आह्वान करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने एक पेड़ मां के नाम अभियान शुरू किया है, इसलिए स्वच्छ पर्यावरण के लिए सभी पानी बचाने, पेड़ लगाने और वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने का संकल्प लें।


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