Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
Faridabad, 19 सितंबर: शांति बाहर नहीं भीतर है, ध्यान व्यक्ति को शांत करता है और शांत मन ही विश्व में शांति फैला सकता है। मन को शांत और स्थिर करने के लिए ध्यान मेडिटेशन एक शक्तिशाली साधन है और विश्व एकता और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। यह कहना था विश्व एकता और विश्वास की राष्ट्रीय थीम पर ब्रह्माकुमारी वरदानी भवन सैक्टर-21डी में आयोजित इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर मीट में राजयोगिनी बीके ऊषा दीदी का। इस मौके पर संस्था कि कार्यप्रभारी बीके प्रीति राज योगिनी दीदी, बीके रंजना दीदी भी मौजूद थी।
वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका और अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता ऊषा दीदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में लोग भय के माहौल में जी रहे हैं। वर्तमान समय में लोग असुरक्षित और भयभीत महसूस कर रहे हैं और ब्रह्माकुमारी संस्था का यह मानना है कि इसका समाधान आध्यात्मिकता और आत्म-साक्षात्कार में है।
ब्रह्माकुमारी योग और ध्यान के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती है जिससे व्यक्ति को मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति और स्वयं पर विश्वास प्राप्त होता है और यह आंतरिक शक्ति ही बाहरी परिस्थितियों से निपटने में मदद करती है। विश्वस्तर पर ध्यान मेडिटेशन और एकता यूनिटी लाने के लिए व्यक्ति को पहले स्वयं उन सिद्धांतों का पालन करना होगा, क्योंकि किसी भी बड़े सामाजिक या वैश्विक परिवर्तन की शुरूआत व्यक्तिगत स्तर पर ही होती है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि भारत तभी विश्व गुरू बनेगा जब यहां भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास का भी उचित संतुलन होगा। विश्व गुरू बनने के लिए केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि एक उच्चतर आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहार राजीव जेटली ने कहा कि हमें अपने मन को कर्म के क्षेत्र में बदलने की आवश्यकता है, न कि उसे कुरूक्षेत्र युद्ध भूमि बनने देना है, जिसके लिए अध्यात्म को अपनाना जरूरी है। उन्होंने कहा स्वयं को जानना दूसरों को जानने से ज्यादा महत्वपूर्ण है और यह आत्मज्ञान तभी संभव है जब कोई व्यक्ति आध्यात्मिकता से जुड़ता है, क्योंकि आध्यात्मिकता ही व्यक्ति को आंतरिक शांति और स्पष्टता देती है।
इस मौके पर नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त डॉ० गौरव अंतिल ने कहा कि वर्तमान समय नकारात्मकता को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए आध्यात्मिक जुड़ाव एक बहुत ही प्रभावी तरीका है और पिता परमेश्वर से जुडऩा जीवन का मूल मंत्र है। रोजाना लगभग 10 मिनट का समय निकालकर आध्यात्म का अभ्यास करना, सकारात्मक ऊर्जा लाने और नकारात्मकता को दूर करने में मदद कर सकता है।
इस अवसर पर श्रीमद् जगतगुरू विजय राम देवाचार्य भैया महाराज ने कहा कि हम जिस माहौल या संगत में रहते हैं, उसका हमारी आध्यात्मिकता और जीवन की दिशा पर गहरा असर पड़ता है। लेकिन यह भी सच है कि अध्यात्म का अर्थ केवल किसी संस्था या समूह में रहना नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक यात्रा है जो व्यक्ति को अपने अस्तित्व, जीवन के अर्थ और ब्रह्मांड से जुड़ाव को समझने में मदद करती है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत भक्ति गीतों से हुई। वहीं बच्ची द्वारा नृत्य नाटिका प्रस्तुति की गई।