हरियाणा 58 साल पुराने जमीन प्रबंधन सिस्टम को डिजिटल और नागरिक-अनुकूल मॉडल में बदल रहा है: वित्तायुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा
हरियाणा में भूमि निशानदेही के सभी आवेदन अब केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से
तहसीलों में शुरू होगा क्यूआर आधारित नागरिक फीडबैक सिस्टम
कैश पेमेंट खत्म, हरियाणा ने अपनाई 100 प्रतिशत डिजिटल फीस व्यवस्था
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
चंडीगढ़, 28 अक्टूबर: हरियाणा में स्टाम्प पेपरों के माध्यम से रजिस्ट्री अब बीते जमाने की बात हो जाएगी। पेपरलेस रजिस्ट्री, ई-पेमेंट ऑटो-म्यूटेशन और रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग जैसी पहल के साथ हरियाणा डिजिटल भूमि शासन में राष्ट्रीय स्तर पर बैंचमार्क स्थापित करने जा रहा है। और यह पहल की है राजस्व विभाग की वित्तायुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने।
हरियाणा ने भूमि एवं राजस्व प्रशासन को पूर्ण रूप से डिजिटल करते हुए पारदर्शी और नागरिक-अनुकूल शासन के नए युग की शुरूआत कर दी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन की वित्त आयुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने आज सभी जिला उपायुक्तों के साथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिये उच्चस्तरीय बैठक करते हुए डिजिटल सुधारों की प्रगति की समीक्षा की।
बैठक में 58 साल पुराने पारंपरिक प्रणाली से एक आधुनिक और डिजिटल रूप में किए गए ऐतिहासिक बदलाव को लेकर चर्चा करते हुए बताया गया कि इसका उद्देश्य कार्यक्षमता के साथ-साथ पारदर्शिता और नागरिक सुविधा को बढ़ाना है। जल्द ही सभी तहसील कार्यालयों में क्यूआर-कोड आधारित फीडबैक सिस्टम शुरू किया जाएगा, जिसके माध्यम से नागरिक अपनी सेवा अनुभव को तुरंत रेट कर सकेंगे और किसी भी समस्या की रियल-टाइम रिपोर्टिंग कर सकेंगे।
वित्तायुक्त डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि 1 नवंबर से हरियाणा पूरी तरह पेपरलेस भूमि पंजीकरण प्रणाली में प्रवेश करेगा, जिसके बाद किसी भी तहसील में भौतिक दस्तावेज की आवश्यकता नहीं रहेगी। अब सभी रजिस्ट्री केवल डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से ही मान्य होंगी। ऐसा होने के बाद जालसाजी या दस्तावेज खोने के जोखिम समाप्त हो जाएंगे।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि आमजन की सुविधा के लिए 3 नवंबर से पहले खरीदे गए स्टाम्प 15 नवंबर, 2025 तक नए डिजिटल सिस्टम में मान्य रहेंगे। यदि आवश्यकता हो तो गवाहों को भी डिजिटल रूप से बदला जा सकेगा। डॉ. मिश्रा ने सभी तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों व पंजीयन कर्मियों को निर्देश दिए कि वे राजस्व विभाग पोर्टल पर अपने यूजऱ अकाउंट का कार्य तुरंत पूरा करें ताकि हर जिले का ऑनलाइन ट्रांजिशन सुचारू रूप से हो सके।
सेवाओं की समयबद्व डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए डॉ. मिश्रा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी लंबित म्यूटेशन (नामांतरण) मामलों का निपटान इस सप्ताह के अंत तक कर दिया जाए। विभाग वर्तमान 10-दिवसीय सत्यापन नियम की समीक्षा कर रहा है और 25 नवंबर को ऑटो-म्यूटेशन सिस्टम लागू किया जाएगा जिससे स्वामित्व हस्तांतरण स्वत: रिकॉर्ड हो सकेगा और देरी तथा विवाद समाप्त होंगे।
इसके साथ ही मैनुअल फीस कलेक्शन की जगह अब सभी भुगतान केवल सरकारी ई-गवर्नेंस पेमेंट गेटवे के माध्यम से होंगे जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। डीड राइटर्स को मैनुअल ड्राफ्टिंग बंद करने के निर्देश दिए गए हैं क्योंकि केवल पोर्टल द्वारा तैयार की गई ऑनलाइन डीड ही कानूनी मान्यता प्राप्त होगी। इन डीड्स को भूमि अभिलेखों से स्वत: सत्यापित किया जाएगा और संबंधित अधिकारियों द्वारा डिजिटल हस्ताक्षरित किया जाएगा।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि सभी 7ए भूमि रिकॉर्ड नंबर और कोर्ट स्टे ऑर्डर्स को इस शुक्रवार तक केंद्रीय प्रणाली में अपडेट व सत्यापित किया जाए ताकि डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बनी रहे।
उन्होंने हरियाणा लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट (HaLMSP) की समीक्षा की और सभी उपायुक्तों को तितामा अपडेट कार्य को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए। यह प्रोजेक्ट हर प्लॉट के लिए जीपीएस आधारित डिजिटल मानचित्र तैयार करेगा जिससे सीमा विवाद समाप्त होंगे और नागरिकों को सटीक तथा विधिक रूप से प्रमाणित संपत्ति रिकॉर्ड मिल सकेगा।
हरियाणा में सभी निशानदेही आवेदन अब केवल ऑनलाइन पोर्टल से ही स्वीकार किए जाएंगे। ऑफलाइन आवेदन पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। फीस को नागरिक-अनुकूल रखा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में 1 हजार प्लस प्रति अतिरिक्त एकड़ 500 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 2 हजार रुपये फिक्स किए गए है। यह प्रक्रिया जीपीएस-इनेबल्ड रोवर तकनीक के माध्यम से उच्च सटीकता से की जाएगी और अनुमोदन सर्कल रेवेन्यू ऑफिसर्स व कानूनगो द्वारा किया जाएगा।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने जिला टीमों की प्रतिबद्वता की सराहना करते हुए कहा कि हम ऐसा शासन तंत्र बना रहे हैं जहां हर भूमि रिकॉर्ड सटीक हो। हर नागरिक की आवाज सुनी जाए और हर अधिकारी जवाबदेह हो। उन्होंने कहा कि पेपरलेस रजिस्ट्री, ई-पेमेंट ऑटो-म्यूटेशन और रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग जैसी पहल के साथ हरियाणा डिजिटल भूमि शासन में राष्ट्रीय स्तर पर बैंचमार्क स्थापित कर रहा है।




