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अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर उप-चुनाव को 8 महीने बाद भी कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं।

मेयर उप-चुनाव को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण दोनों मेयरों द्वारा किये गए आदेशों-निर्देशों की वैधता पर उठे गंभीर सवाल..
Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
चंChandigarh, 13 नवंबर:
ऐसे सुनने और पढऩे में भले भी आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु सत्य यही है कि अम्बाला नगर निगम मेयर शैलजा सचदेवा और सोनीपत नगर निगम मेयर राजीव जैन, जो दोनों आज से ठीक आठ महीने पूर्व 12 मार्च 2025 को मेयर उप-चुनाव में विजयी घोषित हुए थे, के निर्वाचन को कानूनी वैधता अर्थात वैधानिक मान्यता ही प्राप्त नहीं है।

पंजाब एवं हाईकोर्ट में एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून जानकार हेमंत कुमार ने इस विषय पर रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया कि बेशक इस वर्ष फरवरी-मार्च में हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण में प्रदेश की तीन दर्जन नगर निकायों के आम चुनाव के साथ-साथ अम्बाला और सोनीपत दोनों नगर निगमों के मेयर पद के लिए उप-चुनाव कराया गया, परन्तु आज तक प्रदेश सरकार उक्त दोनों मेयर उप-चुनाव को कानूनी मान्यता देने में मौन धारण कर बैठी है।

12 मार्च, 2025 को अम्बाला नगर निगम के मेयर पद के उप-चुनाव में भाजपा की शैलजा सचदेवा जबकि सोनीपत नगर निगम में भाजपा के ही राजीव जैन निर्वाचित घोषित हुए थे। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 20 मार्च, 2025 को उपरोक्त दोनों का निर्वाचन आधिकारिक तौर पर प्रदेश के शासकीय गजट में अधिसूचित किया गया जिसमें उपरोक्त दोनों नव-निर्वाचित मेयरों का कार्यकाल उनसे पूर्व निर्वाचित मेयर के शेष कार्यकाल अर्थात जनवरी-2026 तक के लिए उल्लेख किया गया। 25 मार्च, 2025 को पंचकूला में आयोजित राज्य स्तरीय शपथ ग्रहण समारोह में शैलजा और राजीव को सम्बंधित मंडलायुक्तों द्वारा मेयर पद की शपथ भी दिलाई गई थी।

इसी बीच हेमंत ने ठीक 8 महीने पूर्व 12 मार्च, 2025 को अर्थात उप-चुनाव के नतीजे के ही दिन हरियाणा निर्वाचन आयोग में तत्कालीन आयुक्त धनपत सिंह और प्रदेश सरकार को लिखकर उनके संज्ञान में यह विषय लाया गय कि बेशक आयोग द्वारा अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद का उप-चुनाव संपन्न करा लिया गया है परन्तु इन दोनों उप-चुनाव को पूर्ण कानूनी वैधता अर्थात वैधानिक मान्यता तभी प्राप्त होगी जब प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की दो धाराओं नामत: 9(5) और 13(1) में तत्काल कानूनी संशोधन किया जाएगा।

हेमंत ने बताया कि हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 13 (1), जो नगर निगम मेयर और निगम सदस्यों (पार्षदों) की रिक्त हुई सीटों के उप-चुनाव द्वारा भरे जाने से संबंधित है, में नवम्बर-2020 में प्रदेश विधानसभा द्वारा संशोधन कर ऐसा उल्लेख कर दिया गया था कि उक्त धारा के प्रावधान रिक्त मेयर पद पर लागू नहीं होंगे अर्थात इसका सरल शब्दों में अर्थ यह है कि नगर निगम के मेयर का पद बेशक वह किसी भी कारण से रिक्त हुआ हो, तो उसे राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उप-चुनाव द्वारा भरा नहीं जा सकता है। चूंकि इस कानूनी प्रतिषेध (रोक) बावजूद अम्बाला और सोनीपत में मेयर पद के लिए उप-चुनाव कराया गया, इसलिए अब उसकी कानूनी मान्यता के लिए उक्त धारा में संशोधन आवश्यक है।

हेमंत ने बताया की वास्तव में प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम कानून की उक्त धारा 13(1) में संशोधन कर ऐसा उल्लेख किया जाना चाहिए था कि उसके प्रावधान अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए मेयर पद पर लागू नहीं होंगे जैसा कि नवम्बर-2020 में ही हरियाणा नगरपालिका कानून-1973, जो प्रदेश की सभी नगरपालिका परिषदों (नप) और नगरपालिका समितियों (नपा) पर लागू होता है, की धारा 15 में नगरपालिका परिषद/समिति अध्यक्ष के विषय में भी स्पष्ट कानूनी प्रावधान किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव से रिक्त हुए ऐसे नप/नपा अध्यक्षों के पदों को उप-चुनाव से भरने का प्रावधान नहीं लागू होगा।

इसी प्रकार हरियाणा नगर निगम कानून-1994 की धारा 9 (5) का हवाला देते हुए हेमंत ने बताया कि इस धारा में स्पष्ट उल्लेख है कि अगर नगर निगम के रिक्त हुए पद को जिसका शेष कार्यकाल कम से कम 6 महीने या उससे अधिक हो, को राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उपचुनाव मार्फत भरा जाना है तो ऐसा उस पद के रिक्त होने के अधिकतम 2 महीने के भीतर ही किया जा सकता है।

गत वर्ष 8 अक्टूबर, 2024 को अम्बाला नगर निगम की तत्कालीन मेयर शक्ति रानी शर्मा के पंचकूला जिले के कालका विधानसभा हलके से भाजपा विधायक बनने और सोनीपत नगर निगम के तत्कालीन मेयर निखिल मदान के सोनीपत विधानसभा हलके से भाजपा विधायक बनने के कारण हरियाणा नगर निगम कानून-1994 की धारा 8ए के अंतर्गत अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उसी दिन से ही रिक्त हो गए थे क्योंकि एक ही समय पर कोई व्यक्ति मेयर एवं साथ-साथ विधायक नहीं रह सकता है।

इस प्रकार अगर हरियाणा निर्वाचन आयोग को हरियाणा नगर निगम कानून-1994 की धारा 13(1) को दरकिनार कर अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों में मेयर पद का उप-चुनाव कराना ही था तो ऐसा 8 दिसंबर, 2024 से पहले पहले करा लेना चाहिए था, उसके बाद नहीं। अब चूंकि अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के रिक्त मेयर पद के उप-चुनाव फरवरी-मार्च, 2025 में कराया गया, इसलिए ऐसे में उप-चुनाव कराने की मौजूदा दो महीने की समय सीमा में कानूनी संशोधन करना आवश्यक है।

बहरहाल, हरियाणा निर्वाचन आयोग द्वारा सर्वप्रथम 20 मार्च, तत्पश्चात 3 जुलाई, फिर 29 अगस्त और उसके बाद 10 सितम्बर को उक्त विषय पर निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय विभाग को पत्र भेजकर की गई वांछित कार्रवाई बारे याचिकाकर्ता को सूचित करने एवं आयोग को भी सूचनार्थ एवं रिकॉर्ड हेतू भेजने बारे लिखा गया, परन्तु आज तक इस बारे में कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। अम्बाला और सोनीपत मेयर उप-चुनाव को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण दोनों मेयर द्वारा गत् आठ महीनों में किये गए सभी कार्यकलापों और जारी आदेशों-निर्देशों की वैधता पर गंभीर सवाल उठता है।



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