Metro Plus से Naveen Gupta की रिपोर्ट।
Chandigarh, 19 नवंबर: किसी भी राजनेता और अधिकारी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ मिलना बड़े सम्मान की बात होती है, लेकिन अब गार्ड ऑफ ऑनर मिलना आसान नहीं होगा। इसके लिए एक बार फिर सरकार ने VVIP प्रोटोकॉल में चल रही अव्यवस्था पर एक बड़ी ‘सर्जरी’ करते हुए नई गाईडलाईंस जारी कर दी हैं।
सरकार ने VIP दौरे के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर देने को लेकर आ रही शिकायतों, जिलों में अलग-अलग प्रेक्टिस और 2024 की अधिसूचना के बाद फैली भ्रम की स्थिति के मद्देनजर यह कठोर और व्यापक आदेश जारी किया है। पूरे राज्य में अब कौन सा गणमान्य व्यक्ति किस मौके पर, किस स्तर की टुकड़ी और किस फॉर्मेशन के साथ सलामी पाएगा, यह पूरी तरह फिक्स कर दिया गया है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की ओर से जारी किए गए आदेशों ने साफ कर दिया है कि अब कोई जिला, कोई एसपी, कोई DC अपनी मर्जी से ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ नहीं दे पाएगा और ना ही ज्यादा और कम कर पाएगा। प्रोटोकॉल का एक ही कोड चलेगा और वही राज्य का अंतिम नियम माना जाएगा।
जिला प्रोटोकॉल में असमानता, गलतहहमियां और आधिकारिक नाराजगी के मामले लगातार सामने आ रहे थे। इसी वजह से सरकार को स्थिति हाथ में लेनी पड़ी पिछले एक साल में कई जिलों से ऐसी घटनाएं सामने आईं कि मंत्री के आगमन पर कहीं पूरा बैंड तैनात तो कहीं सिर्फ एक बगलर। किसी जगह हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज को अपेक्षित सम्मान नहीं मिला तो कहीं DC/SP ने अलग-अलग व्याख्या करके असहज माहौल बना दिया।
सूत्र बताते हैं कि कई मौकों पर वरिष्ठ अधिकारियों ने सीधे सरकार से शिकायत की कि हर जिले का प्रोटोकॉल अलग क्यों हैं? उसी के बाद राज्य सरकार ने महसूस किया कि पुराने नियम (2024) अस्पष्ट थे। संशोधन इतने हुए कि कोई नहीं समझ पा रहा था कि अंतिम नियम क्या है? और सबसे अहम यह कि प्रोटोकॉल जैसे संवेदनशील विषय में एकरूपता न होने से राज्य की छवि को नुकसान हो रहा था। इसीलिए सरकार ने कहा कि अब पुरानी सभी अधिसूचनाएं खत्म, एक नया नियम लागू।
हरियाणा सरकार ने प्रदेशभर में गणमान्य व्यक्तियों को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर देने के सम्बन्ध में जो नए निर्देश जारी किए हैं। उनका उद्देश्य प्रोटोकॉल से जुड़ी प्रक्रियाओं में एकरूपता, स्पष्टता और अनुशासन सुनिश्चित करना है ताकि सभी विभागों, जिला प्रशासन एवं पुलिस द्वारा निर्धारित मानकों का एक समान पालन किया जा सके।
राष्ट्रपति से लेकर डीसी-एसपी तक का सम्मान लेवल तय:-
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त करने के पात्र गणमान्य व्यक्तियों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। प्रथम श्रेणी में वे सभी उच्चपदस्थ व्यक्ति शामिल हैं जिन्हें भारत सरकार के प्रोटोकॉल के तहत गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इनमें देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, उपमंत्री, विदेशी एवं कॉमनवेल्थ देशों के राजनयिक मिशनों के प्रमुख, कॉमनवेल्थ देशों के राष्ट्राध्यक्ष या गवर्नर जनरल तथा विदेशी या कॉमनवेल्थ देशों के प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री शामिल हैं। इस श्रेणी के लिए गार्ड ऑफ ऑनर केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार ही दिया जाएगा।
दूसरी श्रेणी में हरियाणा के वे गणमान्य व्यक्ति शामिल हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। इनमें हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, कैबिनेट मंत्री, विधानसभा उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (जिला प्रशासनिक न्यायाधीश के रूप में), मुख्य सचिव, गृह एवं राजस्व विभागों के प्रशासनिक सचिव, पुलिस महानिदेशक, मंडल आयुक्त, रेंज के एडीजीपी, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक शामिल हैं।
अधिसूचना में प्रत्येक गणमान्य व्यक्ति के लिए निर्धारित अवसरों पर गार्ड ऑफ ऑनर की संख्या और संरचना स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है। अब हर विजिट पर सलामी नहीं मिलेगी। उदाहरणस्वरूप, हरियाणा के राज्यपाल को कार्यभार ग्रहण, कार्यभार से मुक्त होने, विधानसभा सत्र के दौरान अभिभाषण तथा अन्य विशेष अवसरों पर 1 राजपत्रित अधिकारी, 2 अराजपत्रित अधिकारी, 4 हेड कांस्टेबल और 100 कांस्टेबल सहित पूर्ण बैंड के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। सामान्य आधिकारिक यात्राओं के दौरान 1 अराजपत्रित अधिकारी, 2 हेड कांस्टेबल, 10 कांस्टेबल और एक बग्लर द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार की संरचना मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रीगण तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के लिए भी निर्धारित की गई है।
जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को केवल कार्यभार ग्रहण करने और कार्यभार से मुक्त होते समय ही गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा जिसके लिए 1 हेड कांस्टेबल तथा 4 कांस्टेबल और एक बग्लर की संरचना निर्धारित की गई है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि गार्ड ऑफ ऑनर की संरचना, ड्रेस कोड, सेरेमोनियल ड्रिल एवं अन्य प्रोटोकॉल प्रक्रियाओं से संबंधित विस्तृत मानक संचालन प्रक्रियाएं गृह विभाग की स्वीकृति के बाद पुलिस महानिदेशक द्वारा अलग से जारी की जाएंगी। यदि किसी परिस्थिति में इन दिशा-निर्देशों में छूट की आवश्यकता हो तो संबंधित विभागों को पूर्व स्वीकृति हेतु सामान्य प्रशासन विभाग (प्रोटोकॉल शाखा) से अनुमति लेनी होगी।












