नवीन गुप्ता
फरीदाबाद, 19 फरवरी: मानव रचना शैक्षणिक संस्थान में निर्यात जागरुकता सेमिनार- निर्यात बंधु स्कीम व इंटरनेशनल बिजनेस में सुनहरे अवसर का आयोजन किया गया। इस जागरुकता सेमिनार का आयोजन ईईपीसी (इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल) इंडिया व डीजीएफटी (डायरैक्टरेट जनरल ऑफ फॉरन ट्रेड) के द्वारा किया गया था। सेमिनार का उद्वेश्य स्टूडेंट्स को निर्यात के बारे में विस्तृत में बताना था व उनको जागरुक करना था कि निर्यात विषय को उज्जवल भविष्य की राह के रूप में देखा जा सकता है। स्टूडेंट्स ने इस सेमिनार में पूरी उत्सुकता के साथ हिस्सा लिया व एक्सपर्टों से निर्यात के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
कार्यक्रम में भारत सरकार सीएलए के जॉइंट डीटीएफटी डॉ० अमिया चंद्रा बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे। इस मौके पर मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के एमडी व एमआरयू के वाइस चांसलर डॉ० संजय श्रीवास्तव, ईईपीसी इंडिया के रीजनल डॉयरेक्टर राकेश सूरज, चैंबर ऑफ इंडियन ओवरसीज एंटरप्रिय्नोर्स फरीदाबाद के चेयरमैन व हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फरीदाबाद के प्रेसिडेंट रवि वासुदेव, एमआरआईयू के एफसीबीएस विभाग के डीन डॉ० सुरेश बेदी व एमआरयू के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट एंड ह्यूमैनिटीज के प्रो० डॉयरेक्टर डॉ० अमित सेठ मौजूद रहे।
स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ० अमिया चंद्रा ने निर्यात से जुड़ी समस्याओं व संभावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने अलग अलग बाजारों के बारे में भी बताया जिसमें निर्यात की संभावनाएं हैं। उन्होंने स्टूडेंट्स से आग्रह किया कि वह प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर ध्यान दें व निर्यात को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना देने के लिए सहयोगपूर्ण कार्य करें। उन्होंने कहा कि नई सोच व विदेशी भूमि की डिमांड को देख निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोजेक्ट तैयार किए जा सकते हैं।
वहीं राकेश सूरज ने अपने ग्लोबल मार्केट में निर्यात से जुड़ी अनुभवों को स्टूडेंट्स के साथ सांझा किया। कार्यक्रम में मौजूद श्री रवि वासुदेव ने कहा कि यह प्लेटफार्म हैं जहां पर पर स्टूडेंट्स निर्यात के क्षेत्र में राहें तलाश कर सकते हैं।
इस मौके पर डॉ० सुरेश बेदी ने कहा कि आयात व निर्यात से अर्थव्यवस्था वल्र्ड के साथ जुड़ी रहती है। उन्होंने निर्यात के अलग-अलग पहलुओं के बारे में स्टूडेंट्स को बताया। दिनेश सहित बड़ी संख्या में उद्योग प्रबंधक व मीडिया से जुड़े लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।