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फरीदाबाद, 14 अप्रैल (नवीन गुप्ता): भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता परम पूज्य भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज ओल्ड फरीदाबाद स्थित भीम बस्ती में युवा अंबेड़कर संस्था द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कांग्रेस नेता विकास चौधरी, राकेश भड़ाना, ज्ञानचंद आहूजा, ओमपाल टोंगर व बाल्मीकि समाज के प्रधान रमेश सहारिया आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर भीम पार्क में लगी बाबा साहब की प्रतिमा पर सभी अतिथियों ने माल्र्यापण किया और बाबा साहब अमर रहे के नारों से गुंजायमान हो गया।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता विकास चौधरी, राकेश भड़ाना, ज्ञानचंद आहूजा ने कहा कि बाबा साहब ने कोलम्बिया विश्वविद्यालय अर्थ शास्त्र में एमए और डाक्टरेट, लंदन स्कूल ऑफ इकनोमिक्स से अर्थ शास्त्र में मास्टर ऑफ साईंस और डाक्टरेट और ग्रेस इन से बेरिस्टर एट लॉ जैसे डिग्रियां हासिल करना उस समय एक भारतीय के लिए एक बहुत बड़ा सपना होता था और दिलचस्प बात यह है कि यह डिग्री किसी संभ्रात भारतीय ने नहीं ब्रिटिशकालीन भारत में यहां के निवासियों द्वारा अछूत कहे जाने वाली जाति के एक होनहार और संघर्षशील युवा ने हासिल की थी। जिनका नाम है बाबा साहब भीम राव आंबेडकर। जिस कारण बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने देश के उन चुन्निदा नेताओं में शामिल है। जिनके योगदान को बयान करने के लिए कागज के टुकड़े कम पड़ जाए।
श्री चौधरी, भड़ाना व आहूजा ने कहा कि डॉ० भीम राव अंबेडकर महान विचारक और समाज सुधारक थे। उन्होंने कहा कि वह किसी व्यक्ति विशेष या एक समाज के न होकर संपूर्ण भारतवसियों के थे। उन्होनें कहा कि समाज के लोगों ही नहीं वरन देश का प्रत्येक वासी बाबा साहेब का सदैव ऋणी रहेगा। हमारी आने वाली पीढ़ी को बाबा साहब द्वारा किए गए त्याग व सामाजिक भावना से प्रेरित करना चाहिए। बाबा साहब ने समाज को तीन मूल मंत्र दिए शिक्षित बनो-संगठित रहो-संघर्ष करो। इन तीन मूल मंत्रों को समाज के अन्य लोगों ने अपने जीवन में उतार कर अपनी व अपने समाज की तरक्की की परन्तु बाबा साहब का समाज अभी भी इस मूल मंत्र की ताकत को नहीं समझ पाया है।
इस मौके पर युवा अंबेड़कर संस्था भीम बस्ती फरीदाबाद जितेन्द्र तंवर, राहुल, मिलन, पवन, सोनू, बलराज, नवल किशोर, लालमन प्रधान, सूरजमल, सुरेश गुदराना, मोहनलाल, चेतनदास नम्बरदार, रतिराम, बलराज, कर्मवीर अत्री, रोहताश शर्मा, सुखविंद्र ढिल्लो आदि मौजूद थे।