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मानव रचना की टीम स्पाइरो स्टूडियोस को मिला पहला इन्फी मेकर अवार्ड इंडिया

हेल्थ कैटिगरी में विजेता बन हासिल किया 5 लाख का प्राइज
मैट्रो प्लस
फरीदाबाद, 27 सितंबर (मोहित गुप्ता): मानव रचना हमेशा से अपने स्टूडेंट्स को अलग सोच के साथ नई-नई खोजे करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा है। इसी का नतीजा रहा है कि एमआर के स्टूडेंट्स नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते रहे हैं। एक बार फिर मानव रचना के स्टूडेंट्स ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। एमआर की टीम स्पाइरो स्टूडियोस ने इंफोसिस का पहला इन्फी मेकर अवार्ड हासिल किया है।
मानव रचना के स्टूडेंट्स ने हेल्थ कैटिगरी में पहला इन्फी मेकर अवार्ड हासिल कर पांच लाख का प्राइज प्राप्त किया है। टीम ने फिजियो प्रोजेक्ट के माध्यम से अपनी अलग सोच का परिचय देते हुए यह अवार्ड हासिल किया है। इस टीम में वीरपाल शर्मा 2016 में यूनिवर्सिटी के न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स विभाग से पासआउट व एमआरयू बीकैट आईटी का स्टूडेंट्स देवयांशु वार्षेण शामिल रहा। टीम ने एमआईटी टेक रिव्यू इनोवेटर्स अंडर 35 विजेता एमआरयू के स्टूडेंट्स रूपम शर्मा के मार्गदर्शन में बनाया है। 2500 रजिस्ट्रेशन में से एमआर की टीम ने हेल्थ कैटिगरी में यह अवार्ड प्राप्त किया है।
इन्फी मेकर अवार्ड इंफोसिस कमिटी के द्वारा मेकिंग इन इंडिया के स्पोर्ट में शुरू किया गया था। यह अवार्ड साल 2015 में यूएसए में प्रेसिडेंट बेराक ओबामा की मेकर पहल का साथ देते हुए शुरू किया गया था। यह प्रतियोगिता हेल्थ, एनर्जी, एजुकेशन, साउंड एंडम्यूजिक, सोशल चेंज सोल्यूशन्स, रोबोटिक्स,आर्ट एंड डिजाइन, आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस, इलैक्ट्रोनिक्स व अन्य श्रेणियों में आयोजित की गई थी। इसमें से टीम स्पोइरो ने हेल्थ कैटिगरी में अपने फिजियो प्रोजेक्ट की मदद से विजेता का पद हासिल किया है। इससे पहले टीम स्पाइरो आईआईटी गुवाहटी में आयोजित हुए टेकएक्सप्लोर 2016 में सेकंड प्राइज हासिल किया व माइक्रोसोफ्ट इमेजिन कप 2016 में यह टीम टॉप 8 इंडियन नेशनल फाइनलिस्ट में शामिल रही।
फिजियो एक वास्तविक पूर्नवास का माध्यम है। इसकी मदद से मरीज अपनी फिजियोथैरपी का ट्रैक रख सकता है और फिजिकल थैरपी एक्सरसाइज की जगह विडियो गेम की मदद से एक्सरसाइज कर सकता है। केवल यही नहीं इसके तहत थ्री डी फुल बाडी मोशन सैंसिंग गेम भी तैयार की गई है। इसके साथ-साथ फिजियो की मदद से मरीज अपनी अनुभव भी शेयर कर सकते हैं और फिजिशियन व थैरपिस्ट अपने मरीज में सुधार के लिए फोलो अप कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट बनाने की शुरुआत साल 2015 नवंबर में उस समय की गई जब टीमको फाउंडर देवांशु ने एक्सीडेंट के बाद सुविधाओं के अभाव में परेशानियों का सामना किया। यह प्रोजेक्ट उसी अनुभव व परेशानियों को दूर करने के रूप में सामने आया है।
स्टूडेंट्स को बधाई देते हुए मानव रचना शैक्षणिक संस्थान एमआरईआई के वाइस प्रेसिडेंट डॉ० अमित भल्ला ने कहा कि फिजियोथैरपी के क्षेत्र में यह नई खोज है। जिस सोच व जज्बे के साथ स्टूडेंट्स ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है, उसकी मैं सराहना करना चाहूंगा व आने वाले समय में इस तरह की खोजों के साथ वह काम करते रहे इसके लिए शुभकामनाएं देना चाहुंगा।


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